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वाराणसी: टीबी मरीज अब नही होंगे परेशान, स्वास्थ्य विभाग ने शुरु की ये नई पहल

सरकार की तरफ से साल 2025 तक देश को क्षय रोग (टीबी) मुक्त बनाने की कोशिश है. वाराणसी में 13 टीबी चैंपियन लोगों को क्षय उन्मूलन के प्रति जागरूक कर रहे हैं और मरीजों के उपचार में सहयोग कर रहे हैं. इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने एक नई पहल शुरू की है. आइये खबर में इस पहल के बारे में जानते हैं.

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टीबी मरीजों की मदद के लिए स्वास्थ्य विभाग ने शुरु की नई पहल
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Published : Jun 24, 2022, 8:21 PM IST

वाराणसी: साल 2025 तक देश को क्षय रोग (टीबी) मुक्त बनाने की दिशा में सरकार लगातार प्रयासरत है. हाल ही में बनाए गए जिले के 13 टीबी चैंपियन लोगों को क्षय उन्मूलन के प्रति जागरूक कर रहे हैं. वो क्षय रोग से पीड़ित मरीजों के उपचार में सहयोग कर रहे हैं. इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने एक नई पहल शुरू की है. इसके तहत विभाग ने सभी टीबी यूनिट, जिला अस्पताल, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर टीबी चैंपियन के पोस्टर और नंबर चस्पा किये हैं. इससे लोग टीबी चैंपियन से संपर्क कर अपनी दुविधाओं को दूर कर सकेंगे.

टीबी चैंपियन का पोस्टर लगाकर समाज को कर रहे जागरूक: जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. राहुल सिंह ने बताया कि पोस्टर में एक खास संदेश लिखा गया है. संदेश है कि 'जंग तो जीती टीबी से, कुछ खो के हमने पाया है. बनके टीबी चैंपियंस, अब मदद का जज्बा जागा है'. साथ ही पोस्टर में उनका फोन नंबर भी लिखा गया है, जिससे टीबी मरीज को परेशानी होने पर वह उनसे संपर्क कर अपनी परेशानी दूर कर सकें.

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टीबी मरीजों की मदद के लिए स्वास्थ्य विभाग ने शुरु की नई पहल

डॉ. राहुल सिंह ने बताया कि पूर्व में जनपद के सभी टीबी चैंपियन को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. जिससे टीबी मरीजों के उपचार और सहयोग के साथ-साथ समुदाय का व्यवहार परिवर्तन भी किया जा सके. उन्होने कहा कि टीबी का इलाज संभव है. सही समय पर इसका उपचार करवाया जाए और समय से दवाइयों का सेवन किया जाए तो मरीज आसानी से स्वस्थ हो सकते हैं.

यह भी पढ़ें- काशी: बढ़ते कोरोना के मामले ने डराया, स्वास्थ्य विभाग ने जारी की ये एडवाइजरी

पोस्टर पर लिखा है फोन नंबर कोई भी ले सकता हैं परामर्श: डॉ. राहुल सिंह ने बताया कि समाज में अब भी टीबी को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं. इन भ्रांतियों को दूर करने और क्षय रोगियों का मनोबल बढ़ाने के लिए जनपद में टीबी चैंपियन अपना अनुभव साझा कर रहे हैं. वह उन्हें बता रहे हैं कि टीबी का उपचार संभव है. साथ ही मरीजों और उनके परिवार के सदस्यों को जोखिम व उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं. टीबी चैंपियंस टीबी को देश से खत्म करने में अहम योगदान दे रहे हैं.

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टीबी मरीजों की मदद के लिए स्वास्थ्य विभाग ने शुरु की नई पहल
टीबी से जंग जीतकर बने चैंपियन, अब कर रहे दूसरों की मदद: टीबी चैंपियन धनंजय कुमार ने बताया कि बहुत समय पहले उसे क्षय रोग हुआ था. नियमित और पूरी दवा के सेवन और पोषण युक्त खानपान से उसने टीबी को मात दी. पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद टीबी चैंपियन के रूप में वो सक्रिय टीबी मरीजों की मदद कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें अपने अनुभव के कारण टीबी मरीजों की स्क्रीनिंग और काउंसलिंग करने में काफी सहायता होती है. लोगों का भी सकारात्मक व्यवहार देखने को मिल रहा है.

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वाराणसी: साल 2025 तक देश को क्षय रोग (टीबी) मुक्त बनाने की दिशा में सरकार लगातार प्रयासरत है. हाल ही में बनाए गए जिले के 13 टीबी चैंपियन लोगों को क्षय उन्मूलन के प्रति जागरूक कर रहे हैं. वो क्षय रोग से पीड़ित मरीजों के उपचार में सहयोग कर रहे हैं. इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने एक नई पहल शुरू की है. इसके तहत विभाग ने सभी टीबी यूनिट, जिला अस्पताल, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर टीबी चैंपियन के पोस्टर और नंबर चस्पा किये हैं. इससे लोग टीबी चैंपियन से संपर्क कर अपनी दुविधाओं को दूर कर सकेंगे.

टीबी चैंपियन का पोस्टर लगाकर समाज को कर रहे जागरूक: जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. राहुल सिंह ने बताया कि पोस्टर में एक खास संदेश लिखा गया है. संदेश है कि 'जंग तो जीती टीबी से, कुछ खो के हमने पाया है. बनके टीबी चैंपियंस, अब मदद का जज्बा जागा है'. साथ ही पोस्टर में उनका फोन नंबर भी लिखा गया है, जिससे टीबी मरीज को परेशानी होने पर वह उनसे संपर्क कर अपनी परेशानी दूर कर सकें.

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टीबी मरीजों की मदद के लिए स्वास्थ्य विभाग ने शुरु की नई पहल

डॉ. राहुल सिंह ने बताया कि पूर्व में जनपद के सभी टीबी चैंपियन को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. जिससे टीबी मरीजों के उपचार और सहयोग के साथ-साथ समुदाय का व्यवहार परिवर्तन भी किया जा सके. उन्होने कहा कि टीबी का इलाज संभव है. सही समय पर इसका उपचार करवाया जाए और समय से दवाइयों का सेवन किया जाए तो मरीज आसानी से स्वस्थ हो सकते हैं.

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पोस्टर पर लिखा है फोन नंबर कोई भी ले सकता हैं परामर्श: डॉ. राहुल सिंह ने बताया कि समाज में अब भी टीबी को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं. इन भ्रांतियों को दूर करने और क्षय रोगियों का मनोबल बढ़ाने के लिए जनपद में टीबी चैंपियन अपना अनुभव साझा कर रहे हैं. वह उन्हें बता रहे हैं कि टीबी का उपचार संभव है. साथ ही मरीजों और उनके परिवार के सदस्यों को जोखिम व उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं. टीबी चैंपियंस टीबी को देश से खत्म करने में अहम योगदान दे रहे हैं.

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टीबी मरीजों की मदद के लिए स्वास्थ्य विभाग ने शुरु की नई पहल
टीबी से जंग जीतकर बने चैंपियन, अब कर रहे दूसरों की मदद: टीबी चैंपियन धनंजय कुमार ने बताया कि बहुत समय पहले उसे क्षय रोग हुआ था. नियमित और पूरी दवा के सेवन और पोषण युक्त खानपान से उसने टीबी को मात दी. पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद टीबी चैंपियन के रूप में वो सक्रिय टीबी मरीजों की मदद कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें अपने अनुभव के कारण टीबी मरीजों की स्क्रीनिंग और काउंसलिंग करने में काफी सहायता होती है. लोगों का भी सकारात्मक व्यवहार देखने को मिल रहा है.

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