वाराणसी: हिंदू भावनाओं को आहत करने के मामले में सपा प्रमुख अखिलेश यादव और ओवैशी पर मुकदमा दर्ज करने के मामले में वादी के स्थगन आवेदन के बाद अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 15 जुलाई नियत कर दी. आवेदन में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता आरपी शुक्ल के बीमार होने के कारण 14 जुलाई तक सुनवाई स्थगित किए जाने का अनुरोध किया गया था. श्रृंगार गौरी ज्ञानवापी मामले में अब 12 जुलाई को सुनवाई होने है. वकील हरि शंकर पांडेय की तरफ से ज्ञानवापी मे हिंदू पक्ष के दावे के मुताबिक, मिले शिवलिंग को फव्वारा कहने और बार-बार हिंदू भावनाओं को आहत करने के मामले में सपा प्रमुख अखिलेश यादव, ओवैसी, उनके भाई सहित 18 से ज्यादा लोगों समेत लगभग 2000 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज कराने की याचिका पर आज सुनवाई होनी थी.
ज्ञानवापी प्रकरण से जुड़ी एक याचिका पर आज वाराणसी के एसीजेएम उज्ज्वल उपाध्याय की कोर्ट में सुनवाई होनी थी. यह याचिका एडवोकेट हरिशंकर पांडेय ने दाखिल की थी. याचिका में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी सहित मुस्लिम पक्ष पर धार्मिक भावना आहत करने के आरोप में मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई है. एसीजेएम के अवकाश पर रहने के कारण याचिका पर बीते जून महीने में सुनवाई नहीं हो पाई थी. प्रकरण सांसद और विधायक से जुड़ा होने के कारण इसकी सुनवाई का अधिकार मजिस्ट्रेट स्तर पर गठित एसीजेएम 5th की विशेष अदालत को दिया गया है.
वकील हरिशंकर पांडेय ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156-3 के तहत अदालत में आवेदन पत्र दिया था. अधिवक्ता का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग मिला है. पूज्य शिवलिंग जहां मिला है, वहां हाथ-पैर धोए जाने, खखार कर थूकने और गंदा पानी बहाए जाने से काशीवासियों के साथ ही सनातन धर्म को मानने वालों का मन पीड़ा से भर गया. आरोपियों ने साजिश के तहत स्वयंभू आदि विश्वेश्वर के शिवलिंग को फव्वारा कहकर आस्था पर कुठाराघात किया.
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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बयान दिया था कि पीपल के पेड़ के नीचे पत्थर रखकर झंडा लगा दो तो वही भगवान और शिवलिंग है. सांसद असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई हिंदुओं के धार्मिक मामलों और स्वयंभू आदि विश्वेश्वर के खिलाफ लगातार अपमानजनक बात कह रहे हैं. इन नेताओं की बातें जन भावनाओं के खिलाफ हैं. इस संबंध में वाराणसी के पुलिस कमिश्नर को आवेदन पत्र दिया गया. लेकिन, कार्रवाई नहीं हुई तो उन्हें अदालत की शरण में आना पड़ा. पूरे प्रकरण की साजिश में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी, शहर काजी और शहर के उलेमा भी शामिल हैं. इसलिए सभी आरोपियों के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने सहित अन्य आरोपों के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए.
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