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Shri Kashi Vishwanath Dham में हुआ ज्ञान विज्ञान सम्मेलन का आयोजन, पद्मश्री डॉ कर्ण सिंह ने कही ये बातें - वाराणसी में ज्ञान विज्ञान सम्मेलन का आयोजन

श्री काशी विश्वनाथ धाम में ज्ञान विज्ञान सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस दौरान कहा गया कि विश्वशांति का सपना साकार करना है तो भारतीय सिद्धांतों को जानना जरूरी है. वसुधैव कुटुम्बकम्‌ के सिद्धांतों के तत्वों पर चलते हुए प्रत्येक धर्म में शामिल होकर उनकी अच्छाई को बताओ.

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Published : Feb 9, 2023, 6:37 PM IST

वाराणसी: माईर्स एमआईटी वर्ल्ड पीस युनिवर्सिटी, पुणे, द्वारा आयोजित 9वें ज्ञान, विज्ञान, अध्यात्म और दर्शनशास्त्र का उद्घाटन किया गया. इस दौरान पद्मविभूषण डॉ. करण सिंह ने कहा, सृष्टि पर नया समाज और नई दुनिया बनाने के लिए वसुधैव कुटुम्बकम्‌, एकम्‌ सत्‌ विप्रा बहुधा वदन्ति और बहुजन सुखाय बहुजन हिताय यह भारतीय सिद्धांत सबसे महत्वपूर्ण है. इसी के बदौलत संपूर्ण मानव का कल्याण होने वाला है.

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ज्ञान, विज्ञान, अध्यात्म और दर्शनशास्त्र का उद्घाटन

इस मौके पर नई दिल्ली के मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के अध्यक्ष इंद्रेश कुमार, हिमालय स्थित स्वामी योगी अमरनाथ, बिहार के पूर्व मंत्री प्रमोद कुमार और डॉ. योंगेद्र मिश्रा भी मौजूद थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता माईर्स एमआईटी वर्ल्ड पीस युनिविर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रो विश्वनाथ दा. कराड ने निभाई. पद्मविभूषण डॉ. करण सिंह ने आगे कहा, ज्ञान योग, भक्ती योग, कर्म योग और राजयोग इन सिद्धांतों के पालन करने से संपूर्ण मानव जाति का उद्धार होगा. सृष्टि के सारे धर्मों में मानव कल्याण की बात कहीं गई है. सभी भारतीय संत और दार्शनिकों ने राजयोग के बदौलत मानव कल्याण के कार्य करते हुए उन्हें नई राह दिखाई है.

डॉ. करण सिंह ने कहा कि राजयोग यह आत्मिक शक्तियों की कुंजी है. इन्हीं के बदौलत नई सृष्टी का निर्माण होने वाला है. इंद्रेश कुमार ने कहा, विश्वशांति का सपना साकार करना है तो भारतीय सिद्धांतों को जानना जरूरी है. वसुधैव कुटुम्बकम्‌ के सिद्धांतों के तत्वों पर चलते हुए प्रत्येक धर्म में शामिल होकर उनकी अच्छाई को बताओ. इसी के बदौलत मानवता लाएगी. इन्सान होते हुए भी कुछ लोगों ने बुराई का हाथ थामा है वह गलत है.

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संबोधित करते हुए पद्मविभूषण डॉ. करण सिंह

डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, अध्यात्म और विज्ञान के समन्वय से ही दुनिया में शांति आ सकती है. यह कॉरिडॉर अब ज्ञान की भाषा में तब्दिल होना चाहिए. धर्म ग्रंथ ही जीवन ग्रंथ होता है. इसलिए अंतिम सत्य की खोज में लगना है. सारी दुनिया को सुख, शांति और समाधान का मार्ग केवल भारत माता ही दिखाएगी.
योगी साधक अमरनाथ ने कहा, जहां ज्ञान है. वहां विद्वता होती है. प्राचीन सिद्धांतों पर अनुसंशोधन कर दुनिया के सामने रखने का समय आ गया है. सदियों से ज्ञान प्राप्त है. अब विज्ञान उसी के आधार पर नई नई खोज कर रही है. इसके मंथन से जो निकलेगा उससे ही मानव कल्याण होनेवाला है. अब हमें आत्मिक ढंग से सोचने की जरूरत है.

डॉ. योगेंद्र मिश्रा ने कहा, प्रत्येक व्यक्ती सुख की खोज में है. ऐसे में पुणे के एमआईटी डब्ल्यूपीयू की ओर से जो विश्वशांति का सराहनिय कार्य चल रहा. इसलिए सारी दुनिया विश्व कल्याण की अपेक्षा भारत के पास है. जीवन में अकडों मत सदैव झुके रहो. सत्य पर चलते हुए समय का सद्‌उपयोग करों. जीवन में वासन का तिरस्कार और वैराग्य का प्रयास करना चाहिए.

यह भी पढ़ें- Varanasi News : BHU के छात्र ने दी जान, अस्पताल में इलाज के दौरान मौत

वाराणसी: माईर्स एमआईटी वर्ल्ड पीस युनिवर्सिटी, पुणे, द्वारा आयोजित 9वें ज्ञान, विज्ञान, अध्यात्म और दर्शनशास्त्र का उद्घाटन किया गया. इस दौरान पद्मविभूषण डॉ. करण सिंह ने कहा, सृष्टि पर नया समाज और नई दुनिया बनाने के लिए वसुधैव कुटुम्बकम्‌, एकम्‌ सत्‌ विप्रा बहुधा वदन्ति और बहुजन सुखाय बहुजन हिताय यह भारतीय सिद्धांत सबसे महत्वपूर्ण है. इसी के बदौलत संपूर्ण मानव का कल्याण होने वाला है.

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ज्ञान, विज्ञान, अध्यात्म और दर्शनशास्त्र का उद्घाटन

इस मौके पर नई दिल्ली के मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के अध्यक्ष इंद्रेश कुमार, हिमालय स्थित स्वामी योगी अमरनाथ, बिहार के पूर्व मंत्री प्रमोद कुमार और डॉ. योंगेद्र मिश्रा भी मौजूद थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता माईर्स एमआईटी वर्ल्ड पीस युनिविर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रो विश्वनाथ दा. कराड ने निभाई. पद्मविभूषण डॉ. करण सिंह ने आगे कहा, ज्ञान योग, भक्ती योग, कर्म योग और राजयोग इन सिद्धांतों के पालन करने से संपूर्ण मानव जाति का उद्धार होगा. सृष्टि के सारे धर्मों में मानव कल्याण की बात कहीं गई है. सभी भारतीय संत और दार्शनिकों ने राजयोग के बदौलत मानव कल्याण के कार्य करते हुए उन्हें नई राह दिखाई है.

डॉ. करण सिंह ने कहा कि राजयोग यह आत्मिक शक्तियों की कुंजी है. इन्हीं के बदौलत नई सृष्टी का निर्माण होने वाला है. इंद्रेश कुमार ने कहा, विश्वशांति का सपना साकार करना है तो भारतीय सिद्धांतों को जानना जरूरी है. वसुधैव कुटुम्बकम्‌ के सिद्धांतों के तत्वों पर चलते हुए प्रत्येक धर्म में शामिल होकर उनकी अच्छाई को बताओ. इसी के बदौलत मानवता लाएगी. इन्सान होते हुए भी कुछ लोगों ने बुराई का हाथ थामा है वह गलत है.

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संबोधित करते हुए पद्मविभूषण डॉ. करण सिंह

डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, अध्यात्म और विज्ञान के समन्वय से ही दुनिया में शांति आ सकती है. यह कॉरिडॉर अब ज्ञान की भाषा में तब्दिल होना चाहिए. धर्म ग्रंथ ही जीवन ग्रंथ होता है. इसलिए अंतिम सत्य की खोज में लगना है. सारी दुनिया को सुख, शांति और समाधान का मार्ग केवल भारत माता ही दिखाएगी.
योगी साधक अमरनाथ ने कहा, जहां ज्ञान है. वहां विद्वता होती है. प्राचीन सिद्धांतों पर अनुसंशोधन कर दुनिया के सामने रखने का समय आ गया है. सदियों से ज्ञान प्राप्त है. अब विज्ञान उसी के आधार पर नई नई खोज कर रही है. इसके मंथन से जो निकलेगा उससे ही मानव कल्याण होनेवाला है. अब हमें आत्मिक ढंग से सोचने की जरूरत है.

डॉ. योगेंद्र मिश्रा ने कहा, प्रत्येक व्यक्ती सुख की खोज में है. ऐसे में पुणे के एमआईटी डब्ल्यूपीयू की ओर से जो विश्वशांति का सराहनिय कार्य चल रहा. इसलिए सारी दुनिया विश्व कल्याण की अपेक्षा भारत के पास है. जीवन में अकडों मत सदैव झुके रहो. सत्य पर चलते हुए समय का सद्‌उपयोग करों. जीवन में वासन का तिरस्कार और वैराग्य का प्रयास करना चाहिए.

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