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रेलवे के पेट्रोलमैन जीपीएस से लैस, कंट्रोल रूम को हर पल की मिलेगी खबर - पेट्रोलमैन को जीपीएस

रेलवे ने वाराणसी मंडल के पेट्रोलमैनों को जीपीएस सिस्टम से लैस कर दिया है. अब पटरियों के फ्रैक्चर होने या और कोई दिक्कत आने पर तुरंत सटीक जानकारी मिल सकेगी, जिससे दुर्घटनाओं पर लगाम लगेगी.

वाराणसी रेलवे के पेट्रोलमैन जीपीएस से हुए लैस.
वाराणसी रेलवे के पेट्रोलमैन जीपीएस से हुए लैस.
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Published : Dec 5, 2020, 4:36 PM IST

वाराणसी: सर्दियों के मौसम में पटरियों के चटकने से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है. इसके तहत पटरियों के दिन रात पेट्रोलिंग करने के लिए पेट्रोलमैनों को जीपीएस से लैस कर नियुक्त किया गया है. यह पेट्रोलमैन रेल लाइनों का भ्रमण कर निगरानी रखेंगे और पटरी में फ्रैक्चर मिलने पर कंट्रोल रूम को सूचित करेंगे.

उत्तर रेलवे प्रशासन ने पटरी की दिन-रात पेट्रोलिंग करने वाले पेट्रोलमैन को जीपीएस यानी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम से लैस कर दिया है. इसके तहत अब पेट्रोलिंग में लापरवाही पूरी तरह से बंद हो जाएगी. दफ्तर में बैठे अधिकारी पेट्रोल मैन की हर गतिविधियों को ट्रैक कर सकेंगे. यही नहीं अब वाराणसी और लखनऊ कंट्रोल रूम से भी कर्मचारियों की निगरानी होगी.

पटरी के निरीक्षण के लिए तैनात हुए पेट्रोलमैन

रेलवे ने पटरी के निरीक्षण के लिए पेट्रोलमैन तैनात कर दिए हैं. सर्द मौसम में रेल लाइन सिकुड़ने और फ्रैक्चर होने की संभावनाओं को लेकर रेल में महकमा अलर्ट हो गया है. पटरी के निरीक्षण के लिए तैनात हुए पेट्रोलमैन को रेलवे ने प्रशिक्षित किया है. यह पेट्रोलमैन रोजाना सुबह से शाम तक रेल लाइनों का भ्रमण कर निगरानी रखेंगे और पटरी में फ्रैक्चर मिलने पर कंट्रोल रूम को सूचित करेंगे.

अक्सर सर्दियों के मौसम में आती हैं शिकायतें

सर्दियों में रेल लाइन सिकुड़ने की शिकायतें अक्सर आती हैं. वहीं गर्मी में यह फैलती है. रेलवे विशेषज्ञों के अनुसार कई बार पटरियों में अधिक सिकुड़ने और फैलने से फ्रैक्चर तक आ जाते हैं, जिससे रेल दुर्घटना होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है. इन्हीं सब संभावनाओं के मद्देनजर मुख्यालय स्तर पर रेल लाइनों में निरंतर पेट्रोलिंग कर निगरानी रखने के आदेश दिए गए हैं. इसी के तहत पेट्रोलमैन को प्रशिक्षित कर रेल संचालन को सुनिश्चित करने के लिए क्या किया जाना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए. इसे सिखाया गया है.

पेट्रोलमैनों को प्रशिक्षित कर जीपीएस दिया गया है, जिससे गश्त के दौरान उनकी लोकेशन कंट्रोल रूम को मिलती रहेगी और कोई सूचना आने पर स्थान का तुरंत पता लगाया जा सकेगा. इससे सर्दी के मौसम में होने वाले दुर्घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी.

पीयूष पाठक, एईएन, वाराणसी मंडल

वाराणसी: सर्दियों के मौसम में पटरियों के चटकने से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है. इसके तहत पटरियों के दिन रात पेट्रोलिंग करने के लिए पेट्रोलमैनों को जीपीएस से लैस कर नियुक्त किया गया है. यह पेट्रोलमैन रेल लाइनों का भ्रमण कर निगरानी रखेंगे और पटरी में फ्रैक्चर मिलने पर कंट्रोल रूम को सूचित करेंगे.

उत्तर रेलवे प्रशासन ने पटरी की दिन-रात पेट्रोलिंग करने वाले पेट्रोलमैन को जीपीएस यानी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम से लैस कर दिया है. इसके तहत अब पेट्रोलिंग में लापरवाही पूरी तरह से बंद हो जाएगी. दफ्तर में बैठे अधिकारी पेट्रोल मैन की हर गतिविधियों को ट्रैक कर सकेंगे. यही नहीं अब वाराणसी और लखनऊ कंट्रोल रूम से भी कर्मचारियों की निगरानी होगी.

पटरी के निरीक्षण के लिए तैनात हुए पेट्रोलमैन

रेलवे ने पटरी के निरीक्षण के लिए पेट्रोलमैन तैनात कर दिए हैं. सर्द मौसम में रेल लाइन सिकुड़ने और फ्रैक्चर होने की संभावनाओं को लेकर रेल में महकमा अलर्ट हो गया है. पटरी के निरीक्षण के लिए तैनात हुए पेट्रोलमैन को रेलवे ने प्रशिक्षित किया है. यह पेट्रोलमैन रोजाना सुबह से शाम तक रेल लाइनों का भ्रमण कर निगरानी रखेंगे और पटरी में फ्रैक्चर मिलने पर कंट्रोल रूम को सूचित करेंगे.

अक्सर सर्दियों के मौसम में आती हैं शिकायतें

सर्दियों में रेल लाइन सिकुड़ने की शिकायतें अक्सर आती हैं. वहीं गर्मी में यह फैलती है. रेलवे विशेषज्ञों के अनुसार कई बार पटरियों में अधिक सिकुड़ने और फैलने से फ्रैक्चर तक आ जाते हैं, जिससे रेल दुर्घटना होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है. इन्हीं सब संभावनाओं के मद्देनजर मुख्यालय स्तर पर रेल लाइनों में निरंतर पेट्रोलिंग कर निगरानी रखने के आदेश दिए गए हैं. इसी के तहत पेट्रोलमैन को प्रशिक्षित कर रेल संचालन को सुनिश्चित करने के लिए क्या किया जाना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए. इसे सिखाया गया है.

पेट्रोलमैनों को प्रशिक्षित कर जीपीएस दिया गया है, जिससे गश्त के दौरान उनकी लोकेशन कंट्रोल रूम को मिलती रहेगी और कोई सूचना आने पर स्थान का तुरंत पता लगाया जा सकेगा. इससे सर्दी के मौसम में होने वाले दुर्घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी.

पीयूष पाठक, एईएन, वाराणसी मंडल

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