वाराणसी: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आंगनबाड़ी केंद्रों को सुविधा संपन्न बनाने के लिए आवश्यक वस्तुओं के वितरण कार्यक्रम के अंतर्गत रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, ग्राम प्रधानों, विभिन्न स्वयं सहायता समूह और विभिन्न स्कूलों के शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि सेवा और समर्पण के पथ पर हमें चलना है. महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष तौर पर स्वास्थ्य कैंप आयोजित करने पर जोर दिया.
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने जिलाधिकारी को निर्देश दिए कि कैंपों में महिलाओं और बच्चों की विशेष जांच हो. इसमें सर्वाइकल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर तथा मोनोपॉज, बच्चों के दांत, लीवर, हॉर्ट व आंखों की जांच शामिल हो. राज्यपाल ने एक अन्य कार्यक्रम में कहा कि विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों को खुद को अपने परिसरों की सीमा तक सीमित नहीं रखना चाहिए. वास्तव में उन्हें बाहर जाकर दलित और वंचितों के उत्थान और विकास के लिए काम करना चाहिए.

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि बीमारियां आएंगी और हमें उससे लड़ना है, गरीबी से हमें लड़ना है और एक सशक्त समाज का निर्माण करना है. यही सोच लेकर हमारे प्रधानमंत्री से लेकर शासन प्रशासन सब उसी दिशा में काम कर रहे हैं. आंगनबाड़ी ऐसी होनी चाहिए, जहां हमारा भविष्य बनता हो, जहां हमारी माताएं बच्चों को जन्म देती हैं, जहां हमारी किशोरियां बड़ी होती हैं. इसीलिए सबसे पहले आंगनबाड़ी केंद्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया.
राज्यपाल ने अभिभावकों और शिक्षकों का आह्वान किया कि स्कूलों में 9 साल से 15 साल तक की बच्चियों को सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए वैक्सीन अवश्य लगवाएं. बहुत से लोगों को वैक्सीन की जानकारी ही नहीं है. कोरोना जैसी महामारी के दृष्टिगत लोगों से ब्लड डोनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन कराने का आह्वान किया, जिससे आपात स्थिति में प्लेटलेट्स की जरूरत पड़ने पर फोन कॉल करके उस मरीज के ब्लड ग्रुप के लोगों से प्लेटलेट्स लिया जा सके और मरीज का जीवन बचाया जा सके.
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, वरिष्ठ शिक्षाविद और शिक्षण समुदाय के सदस्य शुक्रवार को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में डॉ अंबेडकर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के राष्ट्रव्यापी लॉन्च समारोह में शामिल हुए थे. कृषि विज्ञान संस्थान के शताब्दी कृषि प्रेक्षागृह में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने विकास की यात्रा में पिछड़े हुए लोगों को शिक्षित, सशक्त और उत्थान के लिए विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों की आवश्यकता पर बल दिया.
उन्होंने शिक्षकों, छात्रों और शोधकर्ताओं से गांवों और पिछड़े क्षेत्रों में जाने और महिलाओं, बच्चों और गरीबों के साथ बातचीत करने, उनके मुद्दों और समस्याओं को बेहतर ढंग से समझने और उनके समाधान के उपाय सुझाने के लिए कदम उठाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि हर संस्था को एक गांव और आंगनबाड़ी को गोद लेना चाहिए और उनके विकास के लिए काम करना चाहिए जैसा कि उत्तर प्रदेश में किया जा रहा है. ऐसा करने से हम वास्तव में उन लोगों के जीवन में परिवर्तन देख पाएंगे, जो अभी भी बेहतर जीवन और बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
यह भी पढ़ें: लखनऊ विश्वविद्यालय ने जारी किया प्रवेश परीक्षा का स्वरूप, जानें कब तक भरेंगे फॉर्म
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के बारे में बोलते हुए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि यह सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों को सशक्त बनाने और शिक्षित करने के लिए एक योजना तैयार करता है और मातृभाषा में सीखने पर ध्यान केंद्रित करना इसका एक उदाहरण है. यदि कोई बच्चा अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करता है तो बेहतर और प्रभावी सीखने की संभावना अधिक होती है. यही एनईपी 2020 की बात करता है और एक बार जब बच्चे बेहतर शिक्षा प्राप्त कर लेते हैं, तो वे निश्चित रूप से विकास और विकास के पथ पर प्रयास करते हैं.
राज्यपाल और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री ने डॉ. अम्बेडकर उत्कृष्टता केंद्र का शुभारंभ किया, जो अनुसूचित जाति के छात्रों को मुफ्त कोचिंग प्रदान करेगा. केंद्र 31 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्थापित किए जा रहे हैं, जहां 100 छात्रों को विशेषज्ञों और प्रसिद्ध पेशेवरों से कोचिंग कक्षाएं मिलेंगी. केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय डॉ अम्बेडकर फाउंडेशन के माध्यम से रुपये प्रदान करेगा.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप