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वाराणसी: ब्लू व्हेल गेम की तर्ज पर सीरियल देख बच्ची ने खुद को लगाई आग - पढ़ाई में कमजोर होने की वजह से बच्ची ने लगाई आग

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में नौ साल की एक मासूम ने पढ़ाई में कमजोर होने की वजह से खुद को आग लगा ली. इसके पीछे की वजह किसी सीरियल से प्रेरित होना बताया जा रहा है. वहीं बच्ची के परिजन भी इस बात से हैरान हैं कि उनकी बच्ची ने क्या सोचकर यह कदम उठाया.

बच्ची ने खुद को लगाई आग
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Published : Sep 10, 2019, 8:22 PM IST

वाराणसी: छोटे पर्दे की दुनिया आधुनिक समाज में अंधविश्वास का जहर घोल रही है. इसका ताजा उदाहरण तब देखने को मिला, जब कक्षा तीन की एक छात्रा ने पढ़ाई में अच्छे नंबर लाने के लिए खुद को आग के हवाले कर दिया. इस घटना से उस बच्ची के घरवाले स्तब्ध हो गए. आनन-फानन में छात्रा को वाराणसी रेफर किया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है.

बच्ची ने खुद को लगाई आग.

क्या है मामला

⦁ भदोही की रहने वाली एक नौ साल की बच्ची ने खुद को आग के हवाले कर लिया.

⦁ बताया जा रहा है कि वह पढ़ाई में कमजोर थी और कोई सीरियल देखने के बाद उसने यह काम किया था.

⦁ आग लगने के बाद बच्ची को आनन-फानन में वाराणसी ले जाया गया.

⦁ यहां के मंडलीय चिकित्सालय में उसका इलाज चल रहा है.

इसे भी पढ़ें- ताजिया निकलने के दौरान दो पक्षों के बीच पथराव, 2 घायल

ऐसे मामलों को लेकर मनोचिकित्सकों का कहना है कि आज के समाज में मोबाइल और टीवी बच्चों पर खासा असर डाल रहे हैं. जो बच्चे टीवी और मोबाइल देखते हैं वह उनमें दिखाई जाने वाली चीजों को ही सच मानने लगते हैं और वही दोहराने लगते हैं. इसमें अभिभावक को विशेष ध्यान देना पड़ता है, क्योंकि आज के समय में अभिभावक बच्चों को खुद मोबाइल थमा देते हैं और अपने काम में मशगूल हो जाते हैं जबकि यह लापरवाही आगे चलकर बच्चों की जान पर बन आती है.

वाराणसी: छोटे पर्दे की दुनिया आधुनिक समाज में अंधविश्वास का जहर घोल रही है. इसका ताजा उदाहरण तब देखने को मिला, जब कक्षा तीन की एक छात्रा ने पढ़ाई में अच्छे नंबर लाने के लिए खुद को आग के हवाले कर दिया. इस घटना से उस बच्ची के घरवाले स्तब्ध हो गए. आनन-फानन में छात्रा को वाराणसी रेफर किया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है.

बच्ची ने खुद को लगाई आग.

क्या है मामला

⦁ भदोही की रहने वाली एक नौ साल की बच्ची ने खुद को आग के हवाले कर लिया.

⦁ बताया जा रहा है कि वह पढ़ाई में कमजोर थी और कोई सीरियल देखने के बाद उसने यह काम किया था.

⦁ आग लगने के बाद बच्ची को आनन-फानन में वाराणसी ले जाया गया.

⦁ यहां के मंडलीय चिकित्सालय में उसका इलाज चल रहा है.

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ऐसे मामलों को लेकर मनोचिकित्सकों का कहना है कि आज के समाज में मोबाइल और टीवी बच्चों पर खासा असर डाल रहे हैं. जो बच्चे टीवी और मोबाइल देखते हैं वह उनमें दिखाई जाने वाली चीजों को ही सच मानने लगते हैं और वही दोहराने लगते हैं. इसमें अभिभावक को विशेष ध्यान देना पड़ता है, क्योंकि आज के समय में अभिभावक बच्चों को खुद मोबाइल थमा देते हैं और अपने काम में मशगूल हो जाते हैं जबकि यह लापरवाही आगे चलकर बच्चों की जान पर बन आती है.

Intro:एंकर: दरअसल छोटे रुपहले पर्दे की दुनिया आज के आधुनिक समाज में अंधविश्वास का जहर घोल रही है इसका उदाहरण देखने को तब मिला जब एक कक्षा तीन की छात्रा ने खुद को आग लगाकर आत्महत्या करने की कोशिश की इस घटना से स्तब्ध पूरे घरवाले हो गए हैं आनन-फानन में छात्रा को वाराणसी रेफर किया गया जहां उसका इलाज चल रहा है लेकिन यहां आने के बाद अब घटना पर से पर्दा उठ रहा है लोगों ने अपनी उंगलियां दबा ली है पूरी घटना को और अगर घटना के बारे में आपको बताई जाए तो आप भी पूरी घटनाक्रम के बारे में सोचने को मजबूर हो जाएंगे


Body:वीओ: अस्पताल के बेड पर बैठी इस मासूम की उम्र 9 साल है जिसका नाम प्रियांशु जयसवाल है इसे पता भी नहीं कि इसने एक क्या कर लिया है इसे यह भी पता नहीं कि आत्महत्या किसे कहते हैं और क्या होती है लेकिन हॉस्पिटल के बेड पर बैठकर मोबाइल से गेम खेल रही इस मासूम से 24 घंटे पहले ही खुद को आग के हवाले कर लिया था यानी आत्महत्या की कोशिश की थी वह भी सिर्फ इसलिए कि यह मासूम पढ़ने में कमजोर थी और इसे पढ़ाई में तेज होना था पिता और परिवार वाले हैरान हैं उन्हें यह भी पता नहीं चला कि उनकी बच्ची यह कदम उठा भी कैसे सकती है और यह कदम उठाया भी क्यों।


Conclusion:वीओ: वही मनोचिकित्सक का कहना है कि आज के समाज में मोबाइल और टीवी बच्चों पर खासा असर डाल रहे हैं बच्चे जो टीवी और मोबाइल में देखते हैं वह उन्हें सच मानने लगते हैं और वही दोहराने लगते हैं इसमें अभिभावक को विशेष ध्यान देना पड़ता है क्योंकि आज के समय में अभिभावक बच्चों को खुद मोबाइल थमा देते हैं और अपने काम में मशगूल हो जाते हैं जबकि यह लापरवाही आगे चलकर बच्चों के जान पर भी बनाती है।

वीओ: इस घटना से यह बात तो साफ है कि अभिभावकों द्वारा बच्चों को मोबाइल देना या उन्हें व्यस्त रखने के लिए टीवी को माध्यम बनाना बच्चों पर बुरा असर डाल रहा है ऐसे में ध्यान देने वाली बात यह है कि आपके बच्चे उस मोबाइल और टीवी के जरिए क्या प्राप्त कर रहे हैं यह भी सोचने का विषय है भदोही के इस मासूम की तरह आपका बच्चा भी किसी टीवी सीरियल के तंत्र मंत्र के मायाजाल में ना फंस जाए।

बाइट: बच्चे के पिता

बाइट: मनोचिकित्सक

अमित दत्ता वाराणसी8299457899
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