वाराणसी: पतित पावनी मां गंगा, जिसने धरती पर आने के साथ ही भागीरथ के पुरखों को तार दिया. भगवान भोलेनाथ की जटाओं से होते हुए धरती पर आने वाली मां गंगा समय के साथ तमाम बदलाव को देखती रही. आज भी मां गंगा के गोद में जाकर लोग अपने पापों से मुक्ति की कामना कर पूण्य की डुबकी लगाते हैं, लेकिन एक दौर वह भी आया था. जब लोगों को पुण्य और मोक्ष देने वाली गंगा खुद अपने पवित्र और स्वस्थ होने का इंतजार कर रही है. गंगा में कम होता पानी और सीधे गिर रहे नाले गंगा के पानी को आचमन योग्य भी नहीं रहने दे रहे थे, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं.
गंगा में जलीय जीवन बेहतर नहीं बल्कि उत्तम होता जा रहा है. यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि सरकारी आंकड़ों के साथ गंगा पर शोध कर रहे देश के नामचीन वैज्ञानिक कह रहे हैं, तो आइए आज गंगा दशहरा के मौके पर मां गंगा के उस बदले स्वरूप से आपको रूबरू कराते हैं, जो न सिर्फ जीवन देने वाला है बल्कि लोगों को पुण्य और मोक्ष भी देने वाला.
50 सालों से भी ज्यादा वक्त ऐसे कर रहे गंगा पर काम
दरअसल, मां गंगा का बदला रूप बीते 5 सालों में नजर आने लगा है. इस बारे में पिछली सरकारों में गंगा एक्शन प्लान टीम का हिस्सा रहे प्रो.बीडी त्रिपाठी ने ईटीवी भारत से हाल ही में अपने शोध की चीजों को साझा किया. प्रो. बीडी त्रिपाठी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के महामना मदन मोहन मालवीय गंगा शोध केंद्र के वर्तमान में चेयरमैन है और गंगा पर बीते 50 सालों से लगातार काम कर रहे हैं. गंगा की वास्तविक स्थिति को जानने के लिए उन्होंने 120 से ज्यादा गंगा मित्र भी बनाए हैं जो गंगा के हर पहलू पर नजर रखते हैं और समय-समय पर रिपोर्ट भी पहुंचाते हैं.
5 सालों में बदला बहुत कुछ
प्रो. बीडी त्रिपाठी का कहना है यह निश्चित तौर पर बेहद सुखद और अच्छी खबर है कि गंगा के जलस्तर में लगातार सुधार हो रहा है. हाल ही में गंगा के पानी की सैंपलिंग के दौरान गंगा में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड और ऑक्सीजन की मात्रा में काफी बड़ा सुधार हुआ है. प्रोफेसर त्रिपाठी के मुताबिक बीते 5 सालों पहले यानी 2018 में गंगा के पानी में बीओडी और डीओ पर अगर हम नजर डालें तो बहुत कुछ चीजें स्पष्ट होने लगेंगी. बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड पानी में 3 मिलीग्राम पर लीटर से कम नहीं होना चाहिए, जबकि डिजॉल्व ऑक्सीजन की मात्रा 5 से 6 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा होनी चाहिए, लेकिन बीते 5 साल पहले 2017-18 में गंगा के पानी में बीओडी का लेवल 11 से 12.5 मिलीग्राम पर लीटर और डिजॉल्व ऑक्सीजन की मात्रा 1.5 से 6.5 मिलीग्राम पर लीटर दर्ज की गई थी, जो हाल ही में लिए गए सैंपल में बेहद सुधार के साथ सामने आई है. वर्तमान समय में गंगा के पानी में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड का स्तर 2 से 3.5 मिलीग्राम पर लीटर और डिजॉल्व ऑक्सीजन की मात्रा 7 से लेकर 10.5 मिलीग्राम पर लीटर तक रिकॉर्ड की गई है.
पानी की ट्रांसपेरेंसी भी हुई बेहतर
इसके अलावा पानी की ट्रांसपेरेंसी में भी काफी बड़ा सुधार हुआ है जो पानी पहले धुंधला और गंदा हुआ करता था और तलहटी गंगा की दिखाई नहीं देती थी. वह अब काफी हद तक सुधरा है. जिसकी वजह से इसमें रहने वाले जलीय जीवों का जीवन अब संकट में नहीं है और पानी आचमन योग्य भी हो चुका है. प्रोफेसर बीडी त्रिपाठी का कहना है कि पानी के स्तर में यहां बड़ा सुधार निश्चित तौर पर कुछ किए गए प्रयासों की वजह से देखने उसमें आ रहा है.
हर साल सुधर रहे हालात
गंगा के पानी में हो रहे सुधार पर लगातार प्रतिदिन शोध करने वाले उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रीजनल ऑफिसर डॉ. कालिका सिंह ने भी ईटीवी भारत को हुआ आंकड़े दिए जो निश्चित तौर पर गंगा के पानी में हो रहे सुधार को स्पष्ट तौर पर बताने के लिए काफी है. डॉ कालिका सिंह का कहना है कि गंगा के पानी में हो रहा सुधार जलीय जीवों के साथ पानी को धर्म और आस्था के प्रति आचमन योग्य बनाने के लिए काफी है.
दिसंबर 2018 से लेकर मई 2022 तक गंगा के पानी में ऑक्सीजन लेवल से लेकर बीओडी का स्तर काफी बेहतर हुआ है. अगर 2020 में गंगा के पानी में डिजॉल्व ऑक्सीजन की बात की जाए तो 6.58 के आसपास इसे दर्ज किया गया था, जो वर्तमान समय में 8.41 मिलीग्राम प्रति लीटर दर्ज किया गया है. यह अपस्ट्रीम का आंकड़ा है, यानी गंगा जहां से शहर में प्रवेश करती है, जबकि डाउनस्ट्रीम की बात की जाए तो शहरी क्षेत्र से होते हुए जब गंगा बाहर निकलती है उस स्थान पर लिए गए सैंपल में 2020 के आंकड़े डिजॉल्व ऑक्सीजन के मामले में 6.03 मिलीग्राम प्रति लीटर दर्ज हुए हैं. जबकि वर्तमान यानी मई के महीने में यह बढ़कर 7 से ऊपर चले गए हैं, जो यह साफ कर रहे हैं कि गंगा के जलस्तर में लगातार सुधार हो रहा है.
यह है सुधार की वजह
प्रो. कालिका सिंह का कहना है कि गंगा के जलस्तर में हो रहे सुधार के पीछे कई वजह हैं. जिसमें सबसे बड़ी वजह है गंगा में सीधे गिर रहे नालों का बंद होना. क्योंकि बनारस में 23 ऐसे नाले थे जो गंगा में सीधे गिरते थे. इनमें से 20 नाले टैप किए जा चुके हैं और 3 को फिल्टर करके गंगा में पानी भेजा जा रहा है. पहले सिर्फ दो ट्रीटमेंट प्लांट दीनापुर और डीएलडब्लू काम कर रहे थे. जिसमें दीनापुर ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 80 एमएलडी थी, जिसे अब 40 एमएलडी बढ़ाते हुए 120 एमएलडी किया जा चुका है. इसके अतिरिक्त भगवानपुर में 12 एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट, रमना में नया बना 50 एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट, डीएलडब्ल्यू में पुराना 12 एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट, गोइठहां में नया 250 एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट वर्क कर रहा है. यह 5 ट्रीटमेंट प्लांट गंगा में गिर रहे नालों को ट्रीट करके अब साफ पानी को गंगा में भेज रहे हैं जिसकी वजह से गंगा के जलस्तर में तेजी से सुधार हुआ है. आने वाले समय में जो तीन चार बचे हुए नाले हैं उनको भी टाइप करके बंद करने की कवायद की जा रही है. इसके अतिरिक्त जो छोटे-छोटे नाले नालियां गांव देहात से होते हुए गंगा में गिरते थे गर्मी की वजह से उन्हें पानी सूखने के कारण भी गंगा के जलस्तर में बड़ा बदलाव आया है और निश्चित तौर पर यह कहा जा सकता है कि वर्तमान समय में गंगा का पानी अब तक बीते 5 सालों में सबसे बेहतर और साफ दिखाई दे रहा है.
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