वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी के प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा समिति द्वारा गंगा दशहरा के अवसर पर रविवार शाम संध्या आरती के समय 1001 दीपों से घाट को सजाया गया. जहां वह 'ॐ' स्वास्तिक चिन्ह लिखा गया.
वैदिक मंत्रों से हुआ अनुष्ठान
देर शाम दशाश्वमेध घाट पर ब्राह्मणों ने पूरे विधि विधान से वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूरे विधिविधान से मां गंगा का पूजन किया और वैश्विक महामारी समाप्त हो इसके लिए प्रार्थना की. सभी ने हर हर गंगे, जय मां गंगे, हर हर महादेव के नारे लगाए.
सांकेतिक रूप से मना दशहरा
आशीष तिवारी ने बताया कि आज गंगा दशहरा का पर्व है. आज ही के दिन मां भगवती शिव की जटा से निकलकर धरती पर आई थी. प्रत्येक वर्ष विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक आयोजन होते हैं, लेकिन इस बार वैश्विक महामारी के दौर में हम लोगों ने 1001 दीप जला कर मां गंगा का अनुष्ठान किया और सांकेतिक आरती की. कोविड-19 के संक्रमण से जिन लोगों की मौत हुई, उनकी आत्मा की शांति के लिए दीपदान किया गया.
लहर का प्रकोप कम
आशीष तिवारी ने बताया कि जैसा कि हम सब यह मान रहे हैं कि कोविड-19 की तीसरी लहर आने वाली है, तो मां से प्रार्थना की है. वह लहर न आए और आए भी तो उतना असर न करें.
इसे भी पढ़ें- शनि के साथ देवगुरु बृहस्पति भी 20 जून से हो जाएंगे वक्री, इन राशियों के लिए नहीं है शुभ
बता दें कि कोरोना संक्रमण का प्रभाव तीज-त्योहारों पर भी पड़ रहा है. गंगा दशहरा का पर्व रविवार को काशी में सांकेतिक स्वरूप से मनाया गया. गंगा दशहरा पर पूर्व में वृहद स्तर पर गंगा आरती एवं पूजन का आयोजन होता था, लेकिन दो साल से कोरोना महामारी के कारण भव्य कार्यक्रमों पर ग्रहण लग गया है. गंगा दशहरा के चलते रविवार को शहर के कई मार्गों पर यातायात व्यवस्था में बदलाव किया गया, जिसके चलते कई स्थानों पर वाहनों के प्रवेश पर पाबंदियां लगाई गईं हैं.