मिर्जापुरः महाकुंभ में अभी तक आपने भगदड़, जाम और अन्य समस्याओं की खबरें पढ़ी और देखी होंगी. आपने एक संत के घर लौटने की खबर भी पढ़ी होगी. ये खबर इन सबसे थोड़ा हटकर है. ये खबर आपको महाकुंभ में अपनों से बिछड़ने का कष्ट और फिर मिलने की खुशी बताएगी. महाकुंभ के 12 दिन कैसे एक बुजुर्ग पर भारी पड़े. इस मुश्किल वक्त में उन्होंने कैसे खुद को संभाला और फिर अपनों तक पहुंचे. चलिए जानते हैं इस खबर के जरिए.
बिहार से 22 परिजनों के साथ बुजुर्ग पहुंचे थे महाकुंभ: बिहार के जहानाबाद जिले के कोक थाना अंतर्गत ओईनवा गांव के रहने कृष्णा पासवान (67 वर्ष) की महाकुंभ स्नान की इच्छा थी. उन्होंने गांव के लोगों के साथ महाकुंभ जाने की तैयारी की. 22 परिजनों के साथ सभी 11 फरवरी को महाकुंभ के लिए रवाना हो गए. 12 फरवरी को ट्रेन से वह महाकुंभ पहुंचे थे.
महाकुंभ पहुंचकर बहुत खुश हुए सबः महाकुंंभ पहुंचते ही कृष्णा पासवान बेहद खुश हुए. 144 साल बाद आए पुण्य मौके पर संगम तट पर डुबकी लगाने का मौका उन्हें मिल जो गया था. 22 लोगों के साथ सभी स्टेशन से उतरने के बाद पैदल संगम तट की ओर चल पड़े. भारी भीड़ के साथ कई घंटे पैदल चलने के बाद वह संगम तट पर पहुंचे और हंसी-खुशी त्रिवेणी में शाम 7 बजे स्नान के लिए बढ़ चले. तय हुआ कि सभी स्नान कर एक जगह मिलेंगे. इसके बाद सभी लोग संगम में डुबकी लगाने लगे.
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फिर बुरे वक्त ने दी दस्तकः काफी भीड़ होने के कारण कृष्णा पासवान काफी देर तक डुबकी लगाते रहे. उधर, परिजन तट पर निकलकर एक किनारे उनका इंतजार करते रहे. काफी देर तक वह नहीं आए. ये शोर मचा कि वह लगता है भटक गए हैं, सभी 22 लोग मिलकर उन्हें ढूंढ़ने लगे. काफी देर की खोजबीन के बावजूद उनका कुछ नहीं पता चला. परेशान हाल परिजन पुलिस के पास पहुंचे. कहीं भी कृष्णा पासवान का कुछ नहीं पता चला. थक-हारकर परिजन घर को रवाना हो गए.
बुजुर्ग को नहीं मिले अपने, पास नहीं थे पैसेः वहीं, महाकुंभ में पुण्य की डुबकी लगाने के बाद जब कृष्णा पासवान बाहर निकले तो उन्हें अपने दिखे ही नहीं. वह आवाज देकर इधर-उधर पुकारते रहे. आसपास के लोगों से पूछताछ करते रहे. काफी परेशान होकर वह इधर-उधर अपनों को तलाशते रहे लेकिन उन्हें अपने नजर नहीं आए. उनके पास पैसे भी नहीं थे.
बुरे दिन बहुत मुश्किल से कटेः कृष्णा पासवान के पास थोड़े बहुत पैसे थे, जो जल्दी ही खत्म हो गए. अब वह बिना पैसे के महाकुंभ में ही भटकते रहे. किसी ने खाने को कुछ दे दिया तो खा लिया. उनके पास कोई मोबाइल फोन भी नहीं था.
मुश्किल हालात में हार नहीं मानीः उन्होंने बुरे वक्त में हार नहीं मानी और खुद ही घर लौटने की ठानी. उन्होंने ठाना कि चाहे कितना भी पैदल चलना पड़े वह घर जरूर लौटेंगे. वह कई किलोमीटर पैदल चलते रहे. करीब 11 दिन बाद वह 23 फरवरी की शाम नारायणपुर रेलवे स्टेशन पहुंचे. वहां मौजूद लोगों ने जब उनसे पूछा तो उन्होंने बताया कि वह महाकुंभ में अपनों से बिछड़ गए हैं. पास में पैसे और मोबाइल भी नहीं है. किसी अपने का मोबाइल नंबर भी पास में नहीं है. इस वजह से उन्हें परेशान होना पड़ रहा है.
150 किमी की दूरी तय करने में लगे 11 दिनः महाकुंभ से नारायणपुर रेलवे स्टेशन की दूरी करीब 150 किलोमीटर है. कृष्णा पासवान ने बताया कि उनके पास पैसे थे नहीं, थोड़ी बहुत मिन्नत कर कैसे-तैसे बस और ट्रेन से सफर कर पाए बाकी सफर उन्होंने पैदल ही तय किया. परिजनों से बिछुड़ने के 11 दिन बाद वह नारायणपुर रेलवे स्टेशन पहुंचे.
मुंह से नहीं निकल रही थी आवाजः नारायणपुर रेलवे स्टेशन पर जब ग्रामीणों ने बुजुर्ग को देखा तो वे दंग रह गए. ग्रामीणों की मानें तो भूख की वजह से बुजुर्ग के मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी. उनकी आवाज लड़खड़ा रही थी. इस पर ग्रामीणों का दिल भी भर आया. ग्रामीणों ने पुलिस को इसकी सूचना दी.
पुलिस बनी सहाराः मिर्जापुर के थाना अदलहाट में उन्हें पहुंचाया गया. वहां मौजूद उपनिरीक्षक अभय कुमार सिंह ने जब उनसे पूछताछ की तो कृष्णा पासवान ने कहा कि मेरे पास पैसे नहीं है. मैं कई दिनों से भूखा हूं. बस पानी पीकर जिंदा हूं. ये सुनते ही पुलिस ने तुरंत उनके लिए खाना मंगवाया. कृष्णा पासवान ने खाना खाया और थोड़ा सामान्य हुए. इसके बाद पुलिस ने उनके परिजनों के बारे में जानकारी जुटाई. पुलिस ने उनके गांव के बारे में जानकारी की औऱ संबंधित थाने को इस संबंध में सूचना दी.
12वें दिन भतीजे को देख खिला चेहराः अपनों से बिछड़ने के 12वें दिन बुजुर्ग का भतीजा संदीप पुलिस की सूचना पर थाने पहुंचा. चाचा को देखकर दोनों की आंखें भर आईं. दोनों ने एक दूसरे को प्यार से गले लगाया. भतीजे ने चाचा से मुश्किल वक्त के बारे में पूछा. चाचा ने प्यार से उसका सिर सहलाते हुए कहा कि 'भगवान की दया से हम फिर एक हो गए हैं.' दोनों बेहद खुश हो गए. इसके साथ ही दोनों पुलिस का धन्यवाद देते नहीं थके. पुलिस ने दोनों को बिहार के लिए रवाना कर दिया.
जहानाबाद जिले के कोक थाना अंतर्गत ओईनवा गांव के बुजुर्ग कृष्णा पासवान महाकुंभ मेले में भटक गए थे. 11 दिन बाद यहां पहुंचे थे. भूखे होने पर उन्हें खाना खिलावाया गया. परिजनों से मिलवा दिया गया है. सोमवार की शाम भतीजा संदीप चाचा को लेकर बिहार के लिए रवाना हो गया है. वह सकुशल घर पहुंच गए हैं. - अमित कुमार मिश्रा, प्रभारी निरीक्षक, थाना अदलहाट.