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पुलवामा के शहीद: आयुष ने जब पापा बुलाना शुरू किया, तब वह सदा के लिये सो गये

आतंकी हमले में शहीद रमेश यादव का पार्थिव शरीर आज उनके घर पहुंचा और पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार संपन्न हुआ. इस दौरान शहीद को विदाई देते वक्त सभी की आंखे नम थी.

पूरे राजकीय सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार हुआ.
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Published : Feb 16, 2019, 9:15 PM IST

Updated : Feb 16, 2019, 11:12 PM IST

वाराणसी : जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में न जाने कितनों का सुहाग मिट गया, कितने घरों का एकलौता चिराग हमेशा के लिए बुझ गया और कितने बच्चों के सर से उनके बाप का साया उठ गया. ऐसी ही एक दिल को द्रवित करने वाली घटना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र का है. यहां चौबेपुर के तोफापुर गांव में रहने वाले श्याम नारायण यादव के छोटे बेटे रमेश यादव भी इस आतंकी हमले में शहीद हो गए. जवान शहीद रमेश यादव का पार्थिव शरीर आज घर पहुंचा और पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार संपन्न हुआ.

पूरे राजकीय सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार हुआ.
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इन सब के बीच एक ऐसी दिल को छू लेने वाली तस्वीर देखने को मिली, जिसने हर किसी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर इस मासूम की क्या खता है. हम बात कर रहे हैं रमेश यादव के डेढ़ साल के उस मासूम बेटे आयुष की जिसने बीते 4 से 5 दिन पहले ही पापा बोलना शुरू किया था, लेकिन उसे क्या पता था. उसने जिस शख्स के लिए इस शब्द को सीखा. वह शख्स अब कभी लौटकर नहीं आएगा.


आतंकी हमले में शहादत देने वाले रमेश यादव की पत्नी रेनू बिल्कुल पत्थर की मूरत बन चुकी है. पिता के अंदर इतना गुस्सा है कि वह सीधे मोदी सरकार को चुनौती दे रहे हैं कि अब कहने का नहीं करने का वक्त है. उन्होंने 40 मारा है तुम सौ मारो. खून का बदला खून है लेकिन अब यह होना चाहिए कहने से काम नहीं चलेगा.


चौबेपुर से लगभग 6 किलोमीटर दूर बलुआ घाट पर शहीद रमेश का दाह संस्कार संपन्न हुआ. यहां पर उनको मुखाग्नि उनके पिता श्याम नारायण और डेढ़ साल के बेटे आयुष ने दी. मामा गोलू की गोद में मासूम आयुष के मुंह से बार-बार बस पापा ही निकल रहा था, लेकिन उस मासूम को शायद यह नहीं पता था कि जिस ताबूत को वह पीट रहा है. उस ताबूत के अंदर कभी न मिलने वाले उसके ही पापा है.

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शहीद रमेश को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. सीआरपीएफ के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया. केंद्रीय मंत्री से लेकर विपक्ष के कई बड़े नेताओं ने अंतिम यात्रा में शिरकत की. हर किसी के चेहरे पर और आंखों में गुस्सा साफ दिख भी रहा था. शायद यही वजह है कि मौका पाकर विपक्ष ने भी इसी बहाने सरकार को घेरा.


कांग्रेस के सीनियर लीडर और पूर्व विधायक अजय राय ने मांग की कि बहुत बात हो चुका अब कुछ करिए. एक पिता अपने बेटे की हत्या का बदला चाह रहा है. इसलिए अब समय कुछ करने का है. इन सब मुद्दों पर राजनीति हो या न हो यह तो सवाल बना रहेगा. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस डेढ़ साल के बच्चे आयुष के सर से उस वक्त उसके पिता का हाथ छिन गया जब उसने पापा बोलने की शुरुआत की थी. इसका जिम्मेदार कौन है?

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वाराणसी : जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में न जाने कितनों का सुहाग मिट गया, कितने घरों का एकलौता चिराग हमेशा के लिए बुझ गया और कितने बच्चों के सर से उनके बाप का साया उठ गया. ऐसी ही एक दिल को द्रवित करने वाली घटना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र का है. यहां चौबेपुर के तोफापुर गांव में रहने वाले श्याम नारायण यादव के छोटे बेटे रमेश यादव भी इस आतंकी हमले में शहीद हो गए. जवान शहीद रमेश यादव का पार्थिव शरीर आज घर पहुंचा और पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार संपन्न हुआ.

पूरे राजकीय सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार हुआ.
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इन सब के बीच एक ऐसी दिल को छू लेने वाली तस्वीर देखने को मिली, जिसने हर किसी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर इस मासूम की क्या खता है. हम बात कर रहे हैं रमेश यादव के डेढ़ साल के उस मासूम बेटे आयुष की जिसने बीते 4 से 5 दिन पहले ही पापा बोलना शुरू किया था, लेकिन उसे क्या पता था. उसने जिस शख्स के लिए इस शब्द को सीखा. वह शख्स अब कभी लौटकर नहीं आएगा.


आतंकी हमले में शहादत देने वाले रमेश यादव की पत्नी रेनू बिल्कुल पत्थर की मूरत बन चुकी है. पिता के अंदर इतना गुस्सा है कि वह सीधे मोदी सरकार को चुनौती दे रहे हैं कि अब कहने का नहीं करने का वक्त है. उन्होंने 40 मारा है तुम सौ मारो. खून का बदला खून है लेकिन अब यह होना चाहिए कहने से काम नहीं चलेगा.


चौबेपुर से लगभग 6 किलोमीटर दूर बलुआ घाट पर शहीद रमेश का दाह संस्कार संपन्न हुआ. यहां पर उनको मुखाग्नि उनके पिता श्याम नारायण और डेढ़ साल के बेटे आयुष ने दी. मामा गोलू की गोद में मासूम आयुष के मुंह से बार-बार बस पापा ही निकल रहा था, लेकिन उस मासूम को शायद यह नहीं पता था कि जिस ताबूत को वह पीट रहा है. उस ताबूत के अंदर कभी न मिलने वाले उसके ही पापा है.

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शहीद रमेश को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. सीआरपीएफ के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया. केंद्रीय मंत्री से लेकर विपक्ष के कई बड़े नेताओं ने अंतिम यात्रा में शिरकत की. हर किसी के चेहरे पर और आंखों में गुस्सा साफ दिख भी रहा था. शायद यही वजह है कि मौका पाकर विपक्ष ने भी इसी बहाने सरकार को घेरा.


कांग्रेस के सीनियर लीडर और पूर्व विधायक अजय राय ने मांग की कि बहुत बात हो चुका अब कुछ करिए. एक पिता अपने बेटे की हत्या का बदला चाह रहा है. इसलिए अब समय कुछ करने का है. इन सब मुद्दों पर राजनीति हो या न हो यह तो सवाल बना रहेगा. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस डेढ़ साल के बच्चे आयुष के सर से उस वक्त उसके पिता का हाथ छिन गया जब उसने पापा बोलने की शुरुआत की थी. इसका जिम्मेदार कौन है?

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Intro:वाराणसी: जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में ना जाने कितनों का सुहाग मिट गया कितने मां बाप के बुढ़ापे की लाठियां चेन्नई कितने घर का एकलौता चिराग हमेशा के लिए बुझ गया और कितने बच्चों के सर से उनके बाप का साया उठ गया ऐसी ही एक दिल को द्रवित करने वाली घटना प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी मोदी का दिया यहां चौबेपुर के तोफापुर गांव में रहने वाले श्याम नारायण यादव के छोटे बेटे रमेश यादव की भी इस आतंकी हमले में शहादत हुई है जवान शहीद रमेश यादव का पार्थिव शरीर आज घर पहुंचा और पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार संपन्न हुआ इन सब के बीच एक ऐसी दिल को छू लेने वाली तस्वीर देखने को मिली जिसमें हर किसी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर इस मासूम की खता क्या है जी हां हम बात करें हैं रमेश यादव के डेढ़ साल के उस मासूम बेटे आयुष की जिसने बीते 4 से 5 दिन पहले ही पापा बोलना शुरू किया था लेकिन उसे क्या पता था उसने जिस शख्स के लिए इस शब्द को सीखा था वह शख्स अब कभी लौटकर नहीं आएगा.

ओपनिंग पीटीसी-गोपाल मिश्र


Body:वीओ-01 आतंकी हमले में शहादत देने वाले रमेश यादव की पत्नी रेनू बिल्कुल पत्थर की मूरत बन चुकी है पिता के अंदर गुस्सा इतना ज्यादा है कि वह सीधे मोदी सरकार को चुनौती दे रहे हैं कि अब कहने का नहीं करने का वक्त है उन्होंने 40 मारा है तुम सो मारो खून का बदला खून है लेकिन अब यह होना चाहिए कहने से काम नहीं चलेगा यह गुस्सा इसलिए भी जायज है क्योंकि जिस बाप ने अपने होनहार बेटे रमेश को तैयार कर बड़ा किया पाला पोषा शादी की उसको इस बात का जरा सा इल्म नहीं था कि वह बेटा जिंदगी के उस मोड़ पर उसे छोड़कर चला जाएगा जहां उन्हें सबसे ज्यादा उसकी जरूरत है पिता के गुस्से के साथ दिल और रुको कपा देने वाली उस तस्वीर के भी सामने आने पर हर किसी की रूह शायद कहां पर है जिसमें एक बाप के के कंधों पर उसके जवान बेटे की लाश थी और एक नासमझ और मासूम बच्चे के सामने उसके पिता की लाश, चौबेपुर से लगभग 6 किलोमीटर दूर बलुआ घाट पर शहीद रमेश का दाह संस्कार संपन्न हुआ यहां पर उनको मुखाग्नि उनके पिता श्याम नारायण और महेश डेढ़ साल के बेटे आयुष नदी इससे पहले जब आयुष को पिता को आखरी बार पैर छूने के लिए लेकर जाया गया तो वह मासूमियत समझ ही नहीं पाया की सामने रखे ताबूत में है क्या वह रोता हुआ बस ताबूत को पीटता रहा मामा गोलू की गोदी में जकड़े मासूम आयुष के मुंह से बार-बार बस पापा ही निकल रहा था, लेकिन उस मासूम को शायद यह नहीं पता था कि जिस ताबूत को वह पीट रहा है उस ताबूत के अंदर कभी ना मिलने वाले उसके ही पापा बंद थे.

बाईट- श्यामनारायण यादव, शहीद रमेश के पिता


Conclusion:वीओ-02 शहीद रमेश के शव को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई सीआरपीएफ के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया केंद्रीय मंत्री से लेकर विपक्ष के कई बड़े नेताओं ने दी उसकी अंतिम यात्रा में शिरकत की हर किसी के चेहरे पर और आंखों में गुस्सा साफ दिख भी रहा था शायद यही वजह है कि मौका पाकर विपक्ष ने भी इसी बहाने सरकार को घेर लिया कांग्रेस के सीनियर लीडर और पूर्व विधायक रह चुके अजय राय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करते हुए उनसे मांग की कि बहुत बात हो चुकी अब कुछ करिए एक पिता अपने बेटे की हत्या का बदला चाह रहा है. इसलिए अब समय कुछ करने का है. फिलहाल इन सब मुद्दों पर राजनीति हो या ना हो यह तो सवाल बना रहेगा लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस डेढ़ साल के बच्चे आयुष के सर से उस वक्त उसके पापा का हाथ हटा जब उसने पापा बोलने की शुरुआत की थी, जिसका जिम्मेदार कौन है? दर्द इस बात का भी है कि जब आयुष ने पापा को पहचानना शुरू ही किया था, अब वह पापा मासूम आयुष से कभी नहीं मिल पाएंगे.

बाईट-अजय राय, कॉंग्रेस नेता

क्लोजिंग पीटीसी-गोपाल मिश्र

गोपाल मिश्र

9839809074
Last Updated : Feb 16, 2019, 11:12 PM IST
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