वाराणसी : जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में न जाने कितनों का सुहाग मिट गया, कितने घरों का एकलौता चिराग हमेशा के लिए बुझ गया और कितने बच्चों के सर से उनके बाप का साया उठ गया. ऐसी ही एक दिल को द्रवित करने वाली घटना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र का है. यहां चौबेपुर के तोफापुर गांव में रहने वाले श्याम नारायण यादव के छोटे बेटे रमेश यादव भी इस आतंकी हमले में शहीद हो गए. जवान शहीद रमेश यादव का पार्थिव शरीर आज घर पहुंचा और पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार संपन्न हुआ.
इन सब के बीच एक ऐसी दिल को छू लेने वाली तस्वीर देखने को मिली, जिसने हर किसी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर इस मासूम की क्या खता है. हम बात कर रहे हैं रमेश यादव के डेढ़ साल के उस मासूम बेटे आयुष की जिसने बीते 4 से 5 दिन पहले ही पापा बोलना शुरू किया था, लेकिन उसे क्या पता था. उसने जिस शख्स के लिए इस शब्द को सीखा. वह शख्स अब कभी लौटकर नहीं आएगा.
आतंकी हमले में शहादत देने वाले रमेश यादव की पत्नी रेनू बिल्कुल पत्थर की मूरत बन चुकी है. पिता के अंदर इतना गुस्सा है कि वह सीधे मोदी सरकार को चुनौती दे रहे हैं कि अब कहने का नहीं करने का वक्त है. उन्होंने 40 मारा है तुम सौ मारो. खून का बदला खून है लेकिन अब यह होना चाहिए कहने से काम नहीं चलेगा.
चौबेपुर से लगभग 6 किलोमीटर दूर बलुआ घाट पर शहीद रमेश का दाह संस्कार संपन्न हुआ. यहां पर उनको मुखाग्नि उनके पिता श्याम नारायण और डेढ़ साल के बेटे आयुष ने दी. मामा गोलू की गोद में मासूम आयुष के मुंह से बार-बार बस पापा ही निकल रहा था, लेकिन उस मासूम को शायद यह नहीं पता था कि जिस ताबूत को वह पीट रहा है. उस ताबूत के अंदर कभी न मिलने वाले उसके ही पापा है.
शहीद रमेश को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. सीआरपीएफ के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया. केंद्रीय मंत्री से लेकर विपक्ष के कई बड़े नेताओं ने अंतिम यात्रा में शिरकत की. हर किसी के चेहरे पर और आंखों में गुस्सा साफ दिख भी रहा था. शायद यही वजह है कि मौका पाकर विपक्ष ने भी इसी बहाने सरकार को घेरा.
कांग्रेस के सीनियर लीडर और पूर्व विधायक अजय राय ने मांग की कि बहुत बात हो चुका अब कुछ करिए. एक पिता अपने बेटे की हत्या का बदला चाह रहा है. इसलिए अब समय कुछ करने का है. इन सब मुद्दों पर राजनीति हो या न हो यह तो सवाल बना रहेगा. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस डेढ़ साल के बच्चे आयुष के सर से उस वक्त उसके पिता का हाथ छिन गया जब उसने पापा बोलने की शुरुआत की थी. इसका जिम्मेदार कौन है?