वाराणसी: पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा के बाद से दैनिक मजदूरों की जिंदगी पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा है, जहां अन्य राज्यों में फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूरों का अपने घर के लिए पलायन जारी है तो वहीं दूसरी तरफ जिलों में भी मजदूरी करके गुजारा करने वाले लोगों का हाल बुरा है.
पूरे देश में लॉकडाउन की वजह से उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में बड़ागांव विकास क्षेत्र के कोइरीपुर गांव में वनवासियों को काफी दिक्कतों का समाना करना पड़ रहा था. वनवासी भुखमरी का शिकार हो रहे थे, लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं थी. इसकी जानकारी जब ईटीवी भारत के संवाददाता प्रवीण कुमार यादव को हुई तो वह वनवासियों की स्थिति का जायजा लेने उनकी बस्ती में पहुंच गए. ईवीटी भारत की जांच-पड़ताल में पता चला कि वनवासियों के घर में चार दिनों से चूल्हा नहीं जला है. लोगों को खाना तक नहीं नसीब हो रहा है. लोग चार दिनों से भूखे हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.
ईटीवी भारत की खबर से हरकत में आया प्रशासन
वनवासियों की बस्ती की स्थिति का जायजा लेने के बाद ईटीवी भारत ने इस खबर को प्रमुखता से चलाया, जिसके बाद प्रशासन, जनप्रतिनिधि और समाजसेवी हरकत में आए. गुरुवार को समाजसेवियों ने वनवासियों की बस्तियों में राशन वितरण किया. एसडीएम पिंडरा ने भी सरकारी गल्ले की दुकान से वनवासियों के लिए खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई. एसडीएम के निर्देश पर वनवासी बस्ती के लोगों में थानाध्यक्ष बड़ागांव की मौजूदगी में ग्राम प्रधान द्वारा चावल और दाल वितरित किया गया.
वहीं रात में एसडीएम खुद वनवासी बस्ती में पहुंचे और सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान से उन लोगों में खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई. कई समाजसेवियों ने भी वनवासी बस्तियों में राशन वितरण किया. समाजसेवी दीपक सिंह ने बड़ागांव विकासखंड के छह से ज्यादा गांव में रहने वाले वनवासियों को खाद्य सामग्री वितरित किया.
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हम लोगों को राशन मिल गया है. गुरुवार शाम से खाना बन रहा है. अधिकारी और अन्य लोग मौके पर पहुंचे और तेल, मिर्च, हल्दी, चावल, दाल, गेहूं और आटा दिया गया. अब खाना बन रहा है और अब कोई दिक्कत नहीं है.
-चंद्रावती देवी, वनवासी महिला