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आज दिया जाएगा सूर्यदेव को पहला अर्घ्य, लोकगीतों से हो रहा छठ महापर्व का गुणगान

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Published : Nov 2, 2019, 12:33 PM IST

महापर्व डाला छठ पर आज शनिवार शाम सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाएगा. इस महापर्व पर काशी स्थित घाटों पर भी छठ को लोकगीत के जरिए जोड़कर कलाकार अपने तरीके से इस महापर्व का गुणगान कर रहे हैं.

लोकगीत के जरिए हो रहा छठ महापर्व का गुणगान

वाराणसी: लोक आस्था का महापर्व डाला छठ आज शनिवार शाम सूर्यदेव को पहले अर्घ्य दिए जाने के साथ ही शुरू होगा. वहीं कल रविवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर महिलाएं अपना यह कठिन व्रत पूरा करेंगी. दीपावली के बाद पड़ने वाले छठ पर्व पर उत्तर भारत में अद्भुत छटा देखने को मिलती है.

लोकगीत के जरिए हो रहा छठ महापर्व का गुणगान

इसे भी पढ़ें- छठ पूजा: जल में अर्घ्य देने से धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मिलता है लाभ, जानिए कैसे

लोकगीत गाकर मनाया जा रहा छठ का महापर्व
नदी सरोवर से लेकर गंगा घाट के किनारों पर नहाय-खाय के साथ शुरू हुए इस महापर्व पर लोकगीत न हो तो शायद कुछ फीका सा लगता है. यही वजह है कि इस महापर्व के मौके पर धर्मनगरी वाराणसी के घाटों पर छठ को लोकगीत के जरिए जोड़कर कलाकार अपने तरीके से इस महापर्व का गुणगान कर रहे हैं.

आज शाम सूर्यदेव को दिया जाएगा पहला अर्घ्य
आज शाम सूर्य देवता को पहला अर्घ्य दिया जाना है, जिसे लेकर धर्मनगरी वाराणसी के घाटों पर कल यानी खरना के दिन से ही जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है. इस क्रम में आज शनिवार सुबह भी महिलाएं घाटों पर पहुंची और पूजा पाठ के साथ गंगा स्नानकर अपने इस कठिन व्रत की शुरुआत की.

इसके साथ ही घाटों पर कलाकारों ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज की. इस दौरान कलाकारों ने छठ के लोकगीतों के जरिए इस महापर्व का गुणगान कर लोगों को इसकी महत्ता बताने की कोशिश की. बिहार के पारंपरिक गीतों के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश के भोजपुरी गीतों के जरिए कलाकार छठ पर्व का गुणगान करते दिखे.

कलाकारों के साथ व्रती महिलाएं भी हुईं शामिल
व्रती महिलाएं भी लोकगीत सुनने और मां का गुणगान करने के लिए कलाकारों के साथ शामिल हुईं. महिलाओं का कहना था कि छठ पर्व कैसे करें, किस तरह करें और इसकी क्या खासियत है...इसे लोकगीत के जरिए ही बताया जा सकता है. यह पुरानी परंपरा है, जिसका निर्वहन काशी के घाटों पर होता दिख रहा है.

वाराणसी: लोक आस्था का महापर्व डाला छठ आज शनिवार शाम सूर्यदेव को पहले अर्घ्य दिए जाने के साथ ही शुरू होगा. वहीं कल रविवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर महिलाएं अपना यह कठिन व्रत पूरा करेंगी. दीपावली के बाद पड़ने वाले छठ पर्व पर उत्तर भारत में अद्भुत छटा देखने को मिलती है.

लोकगीत के जरिए हो रहा छठ महापर्व का गुणगान

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लोकगीत गाकर मनाया जा रहा छठ का महापर्व
नदी सरोवर से लेकर गंगा घाट के किनारों पर नहाय-खाय के साथ शुरू हुए इस महापर्व पर लोकगीत न हो तो शायद कुछ फीका सा लगता है. यही वजह है कि इस महापर्व के मौके पर धर्मनगरी वाराणसी के घाटों पर छठ को लोकगीत के जरिए जोड़कर कलाकार अपने तरीके से इस महापर्व का गुणगान कर रहे हैं.

आज शाम सूर्यदेव को दिया जाएगा पहला अर्घ्य
आज शाम सूर्य देवता को पहला अर्घ्य दिया जाना है, जिसे लेकर धर्मनगरी वाराणसी के घाटों पर कल यानी खरना के दिन से ही जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है. इस क्रम में आज शनिवार सुबह भी महिलाएं घाटों पर पहुंची और पूजा पाठ के साथ गंगा स्नानकर अपने इस कठिन व्रत की शुरुआत की.

इसके साथ ही घाटों पर कलाकारों ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज की. इस दौरान कलाकारों ने छठ के लोकगीतों के जरिए इस महापर्व का गुणगान कर लोगों को इसकी महत्ता बताने की कोशिश की. बिहार के पारंपरिक गीतों के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश के भोजपुरी गीतों के जरिए कलाकार छठ पर्व का गुणगान करते दिखे.

कलाकारों के साथ व्रती महिलाएं भी हुईं शामिल
व्रती महिलाएं भी लोकगीत सुनने और मां का गुणगान करने के लिए कलाकारों के साथ शामिल हुईं. महिलाओं का कहना था कि छठ पर्व कैसे करें, किस तरह करें और इसकी क्या खासियत है...इसे लोकगीत के जरिए ही बताया जा सकता है. यह पुरानी परंपरा है, जिसका निर्वहन काशी के घाटों पर होता दिख रहा है.

Intro:वाराणसी: लोक आस्था का महापर्व डाला छठ आज शाम सूर्य देव को पहले अर्ध दिए जाने के साथ शुरू होगा और कल सुबह उगते सूर्य को अर्घ देकर महिलाएं अपना यह कठिन व्रत पूरा करेंगे दीपावली के बाद पड़ने वाले छठ पर्व पर उत्तर भारत में अद्भुत छटा देखने को मिलती है. नदी सरोवर से लेकर गंगा घाट के किनारों पर नहाए खाए के साथ शुरू हुए इस महापर्व इस अलौकिक छटा पर अगर लोकगीत ना हो तो शायद कुछ फीका सा लगता है. यही वजह है कि इस महापर्व के मौके पर धर्मनगरी वाराणसी के घाटों पर छठ को लोक गीत के जरिए जोड़कर कलाकार अपने तरीके से इस महापर्व को मना रहे हैं और इसका गुणगान कर रहे हैं.Body:वीओ-01 आज शाम सूर्य देवता को पहला अर्घ्य दिया जाना है जिसे लेकर धर्मनगरी वाराणसी के घाटों पर कल यानी खरना के दिन से ही जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है. इस क्रम में आज सुबह भी महिलाएं घाटों पर पहुंची और पूजा पाठ के साथ गंगा स्नान कर अपने इस कठिन व्रत की शुरुआत की इसके साथ ही घाटों पर कलाकारों ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हुए छठ के लोकगीतों के जरिए इस महापर्व का गुणगान कर लोगों को इसकी महत्ता बताने की कोशिश की. बिहार के पारंपरिक गीतों के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश के भोजपुरी गीतों के जरिए कलाकार छठ पर्व का गुणगान करते दिखे.Conclusion:वीओ-02 कलाकारों के घाटों पर मौजूद भी देखकर बहुत ही व्रती महिलाएं भी लोकगीत सुनने और मां का गुणगान कर उन्हें नमन करने इसमें शामिल हुए महिलाओं का कहना था कि छठ पर्व कैसे करें किस तरह करें और इसकी क्या खासियत है के साथ तमाम चीजें लोकगीत के जरिए ही बताई जा सकते हैं यह पुरानी परंपरा है जिसका निर्वहन काशी के घाटों पर होता दिख रहा है.

बाईट- अंकिता, व्रती महिला
बाईट- अमलेश शुक्ल, कलाकार

Gopal mishra

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