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BHU में देश का पहला हिंदू अध्ययन कोर्स शुरू, ऐसे भरा जाएगा फॉर्म - बीएचयू में शुरू हुआ हिंदू कोर्स

यूपी के वाराणसी में स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) में देश का पहला हिंदू कोर्स (Hindu course in BHU) शुरू किया गया है. यह कोर्स बीएचयू (bhu) के कला संकाय के भारत अध्ययन केंद्र द्वारा शुरू किया गया है. बीएचयू वेबसाइट पर ऑनलाइन फॉर्म 7 सितंबर से भरा जाएगा.

बीएचयू में शुरू हुआ हिंदू कोर्स.
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Published : Aug 19, 2021, 2:39 PM IST

वाराणसी: सर्व विद्या की राजधानी कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) में देश का पहला हिंदू कोर्स शुरू हुआ है. यह कोर्स बीएचयू (bhu) के कला संकाय के भारत अध्ययन केंद्र द्वारा शुरू हुआ है, जिसमें देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के छात्र पढ़ सकते हैं. आज पूरा विश्व हिंदुत्व की पुरातन विदा परंपरा कौशल और धर्म विज्ञान के बारे में जानना चाहता है. कोर्स के माध्यम से उनकी अभिलाषा पूर्ण होगी. बीएचयू वेबसाइट पर ऑनलाइन फॉर्म 7 सितंबर से भरा जाएगा, जिसका एंट्रेंस एग्जाम 3 अक्टूबर को होगा. 2 वर्षीय पीजी कोर्स में 40 सीट है, जिसमें शास्त्रों और धर्म संबंधित सवाल इंटरेस्ट एग्जाम में पूछे जाएंगे.

बीएचयू में शुरू हुआ हिंदू कोर्स.
वैदिक काल के व्यवहारिक विज्ञान और जीवन रहस्य को सामने लाया जाएगा, जिसमें रामायण महाभारत गीता वेद पुराण वेदांत भाषा विज्ञान कालीदास, तुलसीदास, बौद्ध, स्वामी विवेकानंद, शंकराचार्य आदि महान पुरुषों के साथ उनके जीवन के बारे में शिक्षा दी जाएगी, जिसके लिए यह कोर्स आगे चलकर अन्य यूनिवर्सिटी ओं में भी पढ़ाया. भारतीय संस्कृति अध्ययन वेद पुराण परंपरा की सबसे ज्यादा मांग अमेरिका में है या कोर्ट प्रारंभ होने से विदेशों में रहने वाले छात्र भी इस कोर्स में दाखिला ले पाएंगे.भारत अध्ययन केंद्र के समन्वयक प्रो. सदाशिव द्विवेदी ने बताया भारत अध्ययन केंद्र द्वारा एमए. इन हिंदू स्टडी इस शीर्षक से एक नया पाठ्यक्रम प्रस्तावित किया गया है. विश्वविद्यालय के प्रवेश परीक्षा का जो विज्ञापन निकला है. उसमें इसका भी विज्ञापन हुआ है. यह 2 वर्षीय पाठ्यक्रम है. इस चार सेमेस्टर में भारतीय विद्वानों से संबंधित विषय हैं. उन विषयों का छात्रों को बड़े व्यापक स्तर पर एक समय में पूर्ण दृष्टि से विद्यार्थियों को पढ़ाया जाएगा.
प्रो. द्विवेदी ने बताया विश्वविद्यालय में 40 सीट से यह कोर्स प्रारंभ किया जा रहा है. उसके साथ भी जो अपने विश्वविद्यालय नियम के अनुसार प्रवेश लिया जाता है, जिसमें फॉरेन कोटा विश्वविद्यालय कर्मचारियों का कोटा इस हिसाब से भी एडमिशन होगा.प्रो. सदाशिव द्विवेदी ने बताया जो नई शिक्षा नीति है. इसके अंतर्गत अंतर वैषयिक विषयों पर अध्ययन अध्यापन पर शासन जोर दे रहा है. उसको देखते हुए भी इस पाठ्यक्रम को हम लोगों ने प्रारंभ किया है. यह पाठ्यक्रम अन्य पाठ्यक्रम से बिल्कुल अलग है. प्रवेश प्रक्रिया भी सबसे अलग है. हर किसी डिसिप्लिन का विद्यार्थी चाहे वह विज्ञान का हो, चाहे वह मेडिकल का हो, चाहे आईटी का हो या पारंपरिक विधाओं से पढ़कर आया हो, इसमें प्रवेश ले सकता है. केवल उसके पास स्नातक की उपाधि होने चाहिए. स्नातक की परीक्षा में पास होने चाहिए. उसके साथी हमारे प्रवेश परीक्षा में भी पास होना चाहिए. स्नातक में 50% अंक होना चाहिए. उसके साथी प्रवेश परीक्षा में जो मेरिट बनेगी, उसी साल पर विद्यार्थियों का एडमिशन किया जाएगा.पहली बार काशी हिंदू विश्वविद्यालय में कैसा पाठ्यक्रम शुरू किया है, जिसमें किसी भी विधा का विद्यार्थी जो भारतीयता से परिचित होना चाहता है. भारतीय विज्ञान से परिचित होना चाहता है, भारतीय परंपराओं से परिचित होना चाहता है, वह इसमें प्रवेश लेकर अध्ययन कर सकता है.
प्रो. द्विवेदी ने आगे बताया तीन स्टेप में छात्रों को पढ़ाया जाएगा, जिसमें मेथड, प्रिंसिपल और प्रैक्टिस से छात्रों को पढ़ाया जाएगा. हमारी भारतीय परंपराओं में एक सिद्धांत है. दूसरा हम लोगों ने मेथड के प्रश्न पत्र बनाएं हैं. हम अपनी वाद परंपरा से विद्यार्थियों को परिचित कराएंगे. भारतीय जो भी सिद्धांत बने हैं, उसके एक निश्चित विचार विमर्श उपरांत तैयार किए गए हैं, जिनका सीधा दृष्टिकोण था मानव कल्याण. यह किसी पर आरोपित नहीं किए हैं. इसे स्वीकार करने के लिए किसी को बाध्य नहीं किया गया. सभी ने सिद्धांत और मान्यताओं को अपने जीवन में उतारा और उसी के अनुसार जीवन को आगे बढ़ाएं. बीएचयू प्रोफेसर ने आगे बताएं हमारे दो महत्वपूर्ण ग्रंथ है. वाल्मीकि का रामायण और महर्षि वेद व्यास का महाभारत. इन दो ग्रंथों में जो हमारे परंपराओं का व्यवहार दिखलाई देता है, उस व्यवहार से विद्यार्थियों को परिचित कराएंगे.

वाराणसी: सर्व विद्या की राजधानी कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) में देश का पहला हिंदू कोर्स शुरू हुआ है. यह कोर्स बीएचयू (bhu) के कला संकाय के भारत अध्ययन केंद्र द्वारा शुरू हुआ है, जिसमें देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के छात्र पढ़ सकते हैं. आज पूरा विश्व हिंदुत्व की पुरातन विदा परंपरा कौशल और धर्म विज्ञान के बारे में जानना चाहता है. कोर्स के माध्यम से उनकी अभिलाषा पूर्ण होगी. बीएचयू वेबसाइट पर ऑनलाइन फॉर्म 7 सितंबर से भरा जाएगा, जिसका एंट्रेंस एग्जाम 3 अक्टूबर को होगा. 2 वर्षीय पीजी कोर्स में 40 सीट है, जिसमें शास्त्रों और धर्म संबंधित सवाल इंटरेस्ट एग्जाम में पूछे जाएंगे.

बीएचयू में शुरू हुआ हिंदू कोर्स.
वैदिक काल के व्यवहारिक विज्ञान और जीवन रहस्य को सामने लाया जाएगा, जिसमें रामायण महाभारत गीता वेद पुराण वेदांत भाषा विज्ञान कालीदास, तुलसीदास, बौद्ध, स्वामी विवेकानंद, शंकराचार्य आदि महान पुरुषों के साथ उनके जीवन के बारे में शिक्षा दी जाएगी, जिसके लिए यह कोर्स आगे चलकर अन्य यूनिवर्सिटी ओं में भी पढ़ाया. भारतीय संस्कृति अध्ययन वेद पुराण परंपरा की सबसे ज्यादा मांग अमेरिका में है या कोर्ट प्रारंभ होने से विदेशों में रहने वाले छात्र भी इस कोर्स में दाखिला ले पाएंगे.भारत अध्ययन केंद्र के समन्वयक प्रो. सदाशिव द्विवेदी ने बताया भारत अध्ययन केंद्र द्वारा एमए. इन हिंदू स्टडी इस शीर्षक से एक नया पाठ्यक्रम प्रस्तावित किया गया है. विश्वविद्यालय के प्रवेश परीक्षा का जो विज्ञापन निकला है. उसमें इसका भी विज्ञापन हुआ है. यह 2 वर्षीय पाठ्यक्रम है. इस चार सेमेस्टर में भारतीय विद्वानों से संबंधित विषय हैं. उन विषयों का छात्रों को बड़े व्यापक स्तर पर एक समय में पूर्ण दृष्टि से विद्यार्थियों को पढ़ाया जाएगा.
प्रो. द्विवेदी ने बताया विश्वविद्यालय में 40 सीट से यह कोर्स प्रारंभ किया जा रहा है. उसके साथ भी जो अपने विश्वविद्यालय नियम के अनुसार प्रवेश लिया जाता है, जिसमें फॉरेन कोटा विश्वविद्यालय कर्मचारियों का कोटा इस हिसाब से भी एडमिशन होगा.प्रो. सदाशिव द्विवेदी ने बताया जो नई शिक्षा नीति है. इसके अंतर्गत अंतर वैषयिक विषयों पर अध्ययन अध्यापन पर शासन जोर दे रहा है. उसको देखते हुए भी इस पाठ्यक्रम को हम लोगों ने प्रारंभ किया है. यह पाठ्यक्रम अन्य पाठ्यक्रम से बिल्कुल अलग है. प्रवेश प्रक्रिया भी सबसे अलग है. हर किसी डिसिप्लिन का विद्यार्थी चाहे वह विज्ञान का हो, चाहे वह मेडिकल का हो, चाहे आईटी का हो या पारंपरिक विधाओं से पढ़कर आया हो, इसमें प्रवेश ले सकता है. केवल उसके पास स्नातक की उपाधि होने चाहिए. स्नातक की परीक्षा में पास होने चाहिए. उसके साथी हमारे प्रवेश परीक्षा में भी पास होना चाहिए. स्नातक में 50% अंक होना चाहिए. उसके साथी प्रवेश परीक्षा में जो मेरिट बनेगी, उसी साल पर विद्यार्थियों का एडमिशन किया जाएगा.पहली बार काशी हिंदू विश्वविद्यालय में कैसा पाठ्यक्रम शुरू किया है, जिसमें किसी भी विधा का विद्यार्थी जो भारतीयता से परिचित होना चाहता है. भारतीय विज्ञान से परिचित होना चाहता है, भारतीय परंपराओं से परिचित होना चाहता है, वह इसमें प्रवेश लेकर अध्ययन कर सकता है.
प्रो. द्विवेदी ने आगे बताया तीन स्टेप में छात्रों को पढ़ाया जाएगा, जिसमें मेथड, प्रिंसिपल और प्रैक्टिस से छात्रों को पढ़ाया जाएगा. हमारी भारतीय परंपराओं में एक सिद्धांत है. दूसरा हम लोगों ने मेथड के प्रश्न पत्र बनाएं हैं. हम अपनी वाद परंपरा से विद्यार्थियों को परिचित कराएंगे. भारतीय जो भी सिद्धांत बने हैं, उसके एक निश्चित विचार विमर्श उपरांत तैयार किए गए हैं, जिनका सीधा दृष्टिकोण था मानव कल्याण. यह किसी पर आरोपित नहीं किए हैं. इसे स्वीकार करने के लिए किसी को बाध्य नहीं किया गया. सभी ने सिद्धांत और मान्यताओं को अपने जीवन में उतारा और उसी के अनुसार जीवन को आगे बढ़ाएं. बीएचयू प्रोफेसर ने आगे बताएं हमारे दो महत्वपूर्ण ग्रंथ है. वाल्मीकि का रामायण और महर्षि वेद व्यास का महाभारत. इन दो ग्रंथों में जो हमारे परंपराओं का व्यवहार दिखलाई देता है, उस व्यवहार से विद्यार्थियों को परिचित कराएंगे.
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