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आग से महफूज नहीं हैं सरकारी भवन, काम करने में लगाता है कर्मचारियों को डर

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Published : Oct 19, 2022, 12:54 PM IST

वाराणसी के विकास भवन में आग से बचाव के लिए कोई साधन नहीं हैं. आलम यह है कि 5 मंजिला इमारत में एक दो नहीं, बल्कि 12 से ज्यादा विभाग संचालित किए जाते हैं. लेकिन, हैरान कर देने वाली बात यह है कि हर फ्लोर पर लगे फायर अलार्म लंबे वक्त से बंद पड़े हैं.

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वाराणसी के विकास भवन

वाराणसी: पिछले दिनों लखनऊ और हाल ही में आगरा के एक अस्पताल में हुई आगजगी की घटना में कई लोगों की जान चली गई. इसके चलते शासन से लेकर प्रशासन तक में हड़कंप मच गया और एक के बाद एक हुईं इन घटनाओं के बाद सरकारी तंत्र बहुत फास्ट हो गया. जी हां, नोटिस जारी कर अस्पतालों, ऊंची इमारतों और प्राइवेट होटल से लेकर धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों में आग की घटनाओं को रोकने का इंतजाम किए जा रहे हैं. साथ ही मोटा जुर्माना भी वसूला जा रहा है. लेकिन, सोचने वाली बात यह है कि क्या यह सारे नियम या फिर आग की घटनाओं से बचाव की कार्रवाई प्राइवेट इमारतों पर ही लागू होती है.

दरअसल, यह सवाल उठना इसलिए लाजमी है, क्योंकि जिले के जिस भवन से पूरे विकास का खाका तैयार किया जाता है. उस भवन में आग से बचाव की सुरक्षा का क्या इंतजाम होता है. इसी सच्चाई को परखने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने वाराणसी के विकास भवन (Vikas Bhawan of Varanasi) का जायजा लिया, जहां कई प्रकार की कमियां नजर आईं. बात दें कि 5 मंजिला इमारत में एक दो नहीं, बल्कि 12 से ज्यादा विभाग संचालित किए जाते हैं. लेकिन, हैरान कर देने वाली बात यह है कि हर फ्लोर पर लगे फायर अलार्म लंबे वक्त से बंद पड़े हैं. इतना ही नहीं फायर अलार्म के स्विच सिर्फ दिखावे के हैं. फायर फाइटिंग के लिए पानी का इंतजाम पूरी इमारत में कहीं नहीं है और न कोई वॉटर टैंक है. बल्कि जो फायर इंस्टिग्यूटर्स लगे हैं वह भी कई साल पुराने हैं, जिन्हें हर साल रिफिल कराना अनिवार्य होता है.

जानकारी देते हुए चीफ फायर ऑफिसर अनिमेष सिंह

इन भवनों का होता है संचालन
मुख्य विकास अधिकारी से लेकर जिला डेवलपमेंट ऑफिसर, निर्वाचन अधिकारी, अल्पसंख्यक विभाग, सांख्यकी विभाग, समाज कल्याण, जिला पंचायत, पशु सुरक्षा से लेकर कृषि और न जाने कितने महत्वपूर्ण विभागों को यहीं से संचालित किया जाता है. लगभग 250 से ज्यादा कर्मचारी और प्रतिदिन 200 से 300 फरियादियों का इस इमारत में आना होता है.

वाराणसी: पिछले दिनों लखनऊ और हाल ही में आगरा के एक अस्पताल में हुई आगजगी की घटना में कई लोगों की जान चली गई. इसके चलते शासन से लेकर प्रशासन तक में हड़कंप मच गया और एक के बाद एक हुईं इन घटनाओं के बाद सरकारी तंत्र बहुत फास्ट हो गया. जी हां, नोटिस जारी कर अस्पतालों, ऊंची इमारतों और प्राइवेट होटल से लेकर धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों में आग की घटनाओं को रोकने का इंतजाम किए जा रहे हैं. साथ ही मोटा जुर्माना भी वसूला जा रहा है. लेकिन, सोचने वाली बात यह है कि क्या यह सारे नियम या फिर आग की घटनाओं से बचाव की कार्रवाई प्राइवेट इमारतों पर ही लागू होती है.

दरअसल, यह सवाल उठना इसलिए लाजमी है, क्योंकि जिले के जिस भवन से पूरे विकास का खाका तैयार किया जाता है. उस भवन में आग से बचाव की सुरक्षा का क्या इंतजाम होता है. इसी सच्चाई को परखने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने वाराणसी के विकास भवन (Vikas Bhawan of Varanasi) का जायजा लिया, जहां कई प्रकार की कमियां नजर आईं. बात दें कि 5 मंजिला इमारत में एक दो नहीं, बल्कि 12 से ज्यादा विभाग संचालित किए जाते हैं. लेकिन, हैरान कर देने वाली बात यह है कि हर फ्लोर पर लगे फायर अलार्म लंबे वक्त से बंद पड़े हैं. इतना ही नहीं फायर अलार्म के स्विच सिर्फ दिखावे के हैं. फायर फाइटिंग के लिए पानी का इंतजाम पूरी इमारत में कहीं नहीं है और न कोई वॉटर टैंक है. बल्कि जो फायर इंस्टिग्यूटर्स लगे हैं वह भी कई साल पुराने हैं, जिन्हें हर साल रिफिल कराना अनिवार्य होता है.

जानकारी देते हुए चीफ फायर ऑफिसर अनिमेष सिंह

इन भवनों का होता है संचालन
मुख्य विकास अधिकारी से लेकर जिला डेवलपमेंट ऑफिसर, निर्वाचन अधिकारी, अल्पसंख्यक विभाग, सांख्यकी विभाग, समाज कल्याण, जिला पंचायत, पशु सुरक्षा से लेकर कृषि और न जाने कितने महत्वपूर्ण विभागों को यहीं से संचालित किया जाता है. लगभग 250 से ज्यादा कर्मचारी और प्रतिदिन 200 से 300 फरियादियों का इस इमारत में आना होता है.

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