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महापर्व छठः डूबते सूर्य को व्रती महिलाओं ने दिया अर्घ्य - वाराणसी समाचार

वाराणसी के गंगा घाटों पर छठ का दूसरा दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पूर्ण हो गया. शनिवार सुबह एक बार फिर से गंगा घाटों पर श्रद्धालु उमड़ेंगे. ये सभी उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे और इसके साथ ही आस्था का महापर्व छठ पूर्ण हो जाएगा.

डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य
डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य
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Published : Nov 20, 2020, 9:35 PM IST

वाराणसी: लोक आस्था के महापर्व छठ की अद्भुत छटा आज काशी के गंगा घाटों पर देखने को मिली. कोविड-19 नियमों के तहत गंगा घाट पर ज्यादा लोगों के न पहुंचने की अपील को दरकिनार कर श्रद्धालु गंगा घाटों पर उमड़ पड़े. हालात ये थे कि काशी के 84 घाटों की लंबी श्रृंखला के हर घाट भीड़ से पटे नजर आए. भगवान भास्कर को डूबते हुए समय अर्घ्य देकर व्रती महिलाओं ने चार दिवसीय महापर्व के तीसरे दिन अपने इस कठिन व्रत निभाया है. यह व्रत शनिवार सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूर्ण होगा.

डूबते हुए सूर्य को महिलाओं ने दिया अर्घ्य.

18 नवंबर से शुरू हुआ महापर्व

18 नवंबर से शुरू हुए छठ के महापर्व के पहले दिन नहाए खाए फिर दूसरे दिन खरना और तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का सिलसिला काशी के गंगा घाटों को देखने को मिला. लगातार तीन दिनों तक गंगा घाटों पर आकर अपने व्रत और अनुष्ठान की तैयारियों में जुटी महिलाओं और व्रती पुरुषों ने पूरी आस्था और सावधानी के साथ अपने इस कठिन व्रत का आधा अनुष्ठान पूर्ण किया.

डर पर भारी है आस्था

घाटों पर पहुंचने वाली महिलाओं का कहना था कि कोविड का डर भले हो लेकिन कोरोना पर आस्था भारी है और हमें पूर्ण विश्वास है कि माता छठी और भगवान भास्कर हमें भी स्वस्थ रखेंगे और पूरे परिवार को स्वस्थ और संपन्न करेंगे. इस दौरान जल पुलिस और पीएसी के जवानों की पुख्ता व्यवस्था दिखी.

वाराणसी: लोक आस्था के महापर्व छठ की अद्भुत छटा आज काशी के गंगा घाटों पर देखने को मिली. कोविड-19 नियमों के तहत गंगा घाट पर ज्यादा लोगों के न पहुंचने की अपील को दरकिनार कर श्रद्धालु गंगा घाटों पर उमड़ पड़े. हालात ये थे कि काशी के 84 घाटों की लंबी श्रृंखला के हर घाट भीड़ से पटे नजर आए. भगवान भास्कर को डूबते हुए समय अर्घ्य देकर व्रती महिलाओं ने चार दिवसीय महापर्व के तीसरे दिन अपने इस कठिन व्रत निभाया है. यह व्रत शनिवार सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूर्ण होगा.

डूबते हुए सूर्य को महिलाओं ने दिया अर्घ्य.

18 नवंबर से शुरू हुआ महापर्व

18 नवंबर से शुरू हुए छठ के महापर्व के पहले दिन नहाए खाए फिर दूसरे दिन खरना और तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का सिलसिला काशी के गंगा घाटों को देखने को मिला. लगातार तीन दिनों तक गंगा घाटों पर आकर अपने व्रत और अनुष्ठान की तैयारियों में जुटी महिलाओं और व्रती पुरुषों ने पूरी आस्था और सावधानी के साथ अपने इस कठिन व्रत का आधा अनुष्ठान पूर्ण किया.

डर पर भारी है आस्था

घाटों पर पहुंचने वाली महिलाओं का कहना था कि कोविड का डर भले हो लेकिन कोरोना पर आस्था भारी है और हमें पूर्ण विश्वास है कि माता छठी और भगवान भास्कर हमें भी स्वस्थ रखेंगे और पूरे परिवार को स्वस्थ और संपन्न करेंगे. इस दौरान जल पुलिस और पीएसी के जवानों की पुख्ता व्यवस्था दिखी.

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