वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना काल में आपदा में अवसर तलाशने एवं आत्मनिर्भर बनने की बात कही थी जिस पर कई लोगों ने आत्मसात किया. वाराणसी के हरहुआ के सॉफ्टवेयर इंजीनियर गौरव सिंह ने पॉलीहाउस बनाकर जरबेरा की खेती आधे एकड़ में शुरू किया. जिसमें करीब पहले टाइम जरबेरा से लगभग 5 लाख सालाना बचत है. दूसरी बार में आय में बढ़ोत्तरी की भी उम्मीद है.
पुणे एवं लखनऊ से आते है जरबेरा के फ्लावर
हरहुआ के कोइराजपुर निवासी गौरव सिंह ने बताया कि उन्होंने बीटेक और एमबीए की शिक्षा प्राप्त की है. अब वह हरहुआ में पॉलीहाउस बनाकर जरबेरा प्लावर की प्लांटेशन कर रहे हैं. बनारस के मार्केट में जरबेरा पुणे और लखनऊ से आते हैं. इनकी डिमांड बनारस के आसपास के क्षेत्रों में ज्यादा रहती है. जरबेरा फ्लावर की डिमांड बुके और शादी के स्टेज सजाने में ज्यादा होती है. गौरव ने बताया की ये पांच कलर के होते हैं- पिंक, येलो,ऑरेंज, रेड एवं वाइट. जिसके पास ज्यादा कलर होते हैं उसके वहां डिमांड ज्यादा होती है.
गौरव ने लखनऊ के पॉलीहाउस में भ्रमण कर हासिल की जानकारी
गौरव ने बताया कि इलाहाबाद में सोलर का काम करने के बाद वह अपनी जमीन पर काम करना चाहते थे. लखनऊ क्षेत्र में पॉलीहाउस बना देखा जहां पर डच रोज, जरबेरा की प्लांटेशन हुई थी. इससे बाद वह हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट गए, जहां से पूरा प्रोजेक्ट समझा और अपना प्रोजेक्ट शुरू किया. गौरव ने बताया कि कई लोग पॉलीहाउस में सब्जियां लगाते हैं. उन्होंने बताया कि उनकी फ्लावर के काम में रुचि थी.
2000 स्क्वायर मीटर से की शुरुआत
गौरव ने बताया कि उन्होंने 2,000 स्क्वायर मीटर में 12,000 पौधे से पॉलीहाउस की शुरुआत की. इस पूरे प्रोजेक्ट प्लांटेशन में उन्हें 30 लाख रूपये खर्च हुए. जिसमें गवर्नमेंट से 50% की सब्सिडी उन्हें अभी मिलनी है.
पॉलीहाउस में दो व्यक्ति करते हैं काम
गौरव ने आगे बताया कि जरबेरा की खेती में दो व्यक्ति काम करते हैं. दोनों लोगों का काम निराई गुड़ाई आदि का रहता है. इसके अलावा मेंटिनेंस का ध्यान रखा जाता है.
एक बार प्लांटेशन करने से 3-4 साल चलता है जरबेरा
पॉलीहाउस में जरबेरा की खेती में 1 एकड़ में 10 से 12 लाख रुपये का बजट पहले साल में लगता है. गौरव ने बताया कि उन्होंने आधे एकड़ में जरबेरा की खेती शुरू की जिसमें 5 से 7 लाख का बजट लगेगा. उन्होंने बताया एक बार प्लांटेशन करने पर अगर जरबेरा की सही से देखभाल की जाए तो यह 3 से 4 साल तक चल सकता है.
जरबेरा एक्सपोर्ट करने में आसान
गौरव ने बताया कि दरअसल, शादी विवाह जैसे समारोहों में होने वाली सजावट में सबसे ज्यादा डिमांड डच रोज और जरबेरा की होती है. जरबेरा इंपोर्टेड फ्लावर है. इसे बाहर भी इम्पोर्ट किया जा सकता है. वहीं जरबेरा की खासियत है कि तोड़ने के 10 दिन बाद भी उसे मेंटेन कर सकते हैं. लोगों को शादी एवं बुके के लिए जरबेरा एवं डच रोज काफी पसंद है जिसके कारण यह काफी डिमांडेबल फ्लावर है.