वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी के विकास को लेकर तेजी से काम हो रहा है. यहां की हर योजना और परियोजना पर सीधे सरकार की नजर होती है. केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से काशी में विकास का पहिया तेजी से दौड़ रहा है. इसी क्रम में बारिश से पहले यहां होने वाले नालों की सफाई के दौरान निकलने वाले सिल्ट और गंदगी को अब सड़क किनारे नहीं फेंका जाएगा, बल्कि तुरंत इसका निस्तारण होगा. आने वाले समय में इस गंदगी से खेती को बेहतर करने का काम भी किया जाएगा. अपने तरह का यूपी में ये पहला प्लान है. इससे न सिर्फ गंदगी दूर होगी, बल्कि पर्यावरण प्रदूषण से भी लोगों को बड़ी राहत मिलेगी. इससे पहले इस तरह के प्रयोग एमपी और छत्तीसगढ़ में किए जा चुके हैं.
काशी समेत प्रदेश के अधिकतर जिलों में यह एक बड़ी समस्या है कि जब भी नालों की सफाई होती है, तो उससे निकलने वाली सिल्ट और गंदगी को सड़क किनारे ही छोड़ दिया जाता है. यह गंदगी सड़क किनारे ऐसे तब तक पड़ा रहता है, जब तक यह सूख नहीं जाता. इसे गीली अवस्था में उठाना संभव नहीं हो पाता है. इसके सूखने में कम से कम 2 से 3 दिन या फिर उससे अधिक का समय लग जाता है. तब तक इस गंदगी और बदबू के बीच लोग गुजरने को मजबूर होते हैं. इस दौरान अगर गलती से बारिश जाए तो पूरी गंदगी सड़क पर फैल जाती है. राह चलते लोगों की आंखों और नाक के जरिए पहुंचकर यह श्वसन प्रक्रिया को प्रभावित करती ही है, साथ ही वायु प्रदूषण के स्तर को भी बढ़ाती है. यही वजह है कि अब इस गंदगी का तुरंत इलाज किया जाएगा.
वाराणसी जलकल के सचिव सिद्धार्थ कुमार ने बताया कि वाराणसी को एक मोबाइल फिकल स्लज सैफ्टेज मैनजमेंट यूनिट की गाड़ी मिली है, जो साफ सफाई के दौरान निकलने वाली गंदगी को अब सड़क पर नहीं फेंकने देगी, बल्कि एक टाइम पीरियड के अंदर सफाई के बाद वह उसे छोटे-छोटे ब्रिक में कन्वर्ट कर देगी. ब्रिक गाड़ी के अंदर ही रहेंगे. यह पूरा प्रोसेस गंदगी को खींचने के बाद ही शुरू हो जाएगा. इसमें पानी को अलग और स्लज को अलग करके मशीन दोनों को स्टोर कर लेगी. इसे लेकर फ्यूचर में इस ब्रिक का प्रयोग खेती-बाड़ी में जैविक खाद बनाने के लिए भी किया जाएगा. फिलहाल मशीन आ गई है और जल्द ही इसका उपयोग भी शुरू हो जाएगा. इससे समय की बचत और साफ-सफाई रहने के साथ ही पर्यावरण प्रदूषण में भी बड़ी राहत देखने को मिलेगी.
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