वाराणसी: सनातन धर्म की परंपराओं में यह कहा जाता है कि सभी ग्रन्थों में जीवन का सार मिलता है. यह ग्रन्थ, पुराण मानव जीवन के हर पहलू से जुड़े होते हैं. इन्हीं ग्रन्थों में से एक ग्रन्थ हैं रामायण. जिसके सार को धरातल पर उतार रहे हैं वाराणसी बीएचयू के छात्र प्रिंस तिवारी. जी हां, प्रिंस न सिर्फ राम के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचा रहे हैं, बल्कि 'द स्कूल ऑफ राम' के नाम से वर्चुअल स्कूल का संचालन करके रामायण को जीवन के अन्य विषयों से जोड़कर लोगों को शिक्षा भी दे रहे हैं. ऐसे में खास बात यह है कि इसमें देश के अलावा विदेशों के भी विद्यार्थी जुड़ रहे हैं. साथ ही यह स्कूल 24 मार्च यानी कल अपना एक वर्ष पूरा कर रहा है और इसकी स्थापना दिवस को खास बनाने को स्कूल प्रबंधन की ओर से एक नए कोर्स की शुरुआत की जा रही है.
2021 में बीएचयू के छात्र ने की थी शुरुआत: बता दें कि प्रिंस वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हिंदी साहित्य में स्नातक के विद्यार्थी हैं.राम मंदिर के फैसले के बाद उन्होंने राम के नाम से स्कूल संचालित करने का निर्णय लिया. इसके लिए सबसे पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट डालें और उसके बाद वर्चुअल स्कूल की शुरुआत की. उन्होंने बताया कि यह राम के नाम पर चलने वाला पहला वर्चुअल स्कूल है. जहां राम के जीवन को बताया जाता है. इसके साथ ही उसे जीवन के अन्य विषयों से किस तरीके से जोड़ा जाए, उसे भी बताया जाता है. उन्होंने बताया कि रामायण में विज्ञान से लेकर राजनीति व अन्य सभी पहलुओं को शामिल किया गया है. वहीं, 24 मार्च यानी कल उनके विद्यालय का एक वर्ष पूरा हो रहा है, जिसके बाद वह रामायण से मैनेजमेंट के नाम से एक नए कोर्स की शुरुआत करने जा रहे हैं.
चौपाई से सीखें मैनेजमेंट और विज्ञान: उन्होंने बताया कि स्कूल में नए कोर्सों की शुरुआत हो रही है, जिसमें अभी रामायण और भौतिक विज्ञान का संबंध बताया जा रहा है. इसके साथ ही जीवन प्रबंधन को भी इससे जोड़ा गया है. लेकिन अब एक नए विषय की शुरुआत की जा रही है, जो रामायण के जरिए मैनेजमेंट के गुर सिखाएगा. उन्होंने बताया कि रामायण जीवन के हर पहलू को दर्शाता है. उसके हर घटना से जीवन के हर विषय को जोड़ा जा सकता है. उदाहरण स्वरूप जिस तरीके से भौतिक विज्ञान में चार पदार्थों की बात की गई है, ठीक उसी प्रकार से रामायण में भी पदार्थों के बारे में बताया गया है. भौतिक विज्ञान में ठोस, गैस, द्रव्य, प्लाज्मा बताया गया है, उसी प्रकार से रामायण में भी ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र के बारे में बताया गया है. इसी तरह से मैनेजमेंट के बारे में भी रामायण में बताया गया है. उन्होंने कहा कि स्कूल में एक महीने के प्रबंधन प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है, जिसमें भगवान राम से जुड़े प्रबंधन के सूत्रों को सीखकर व्यक्ति अपने जीवन में सफलता के उच्चतम से उच्चतम शिखर पर पहुंच सकता है.
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हर आयु वर्ग के लोग ले सकते हैं दाखिला:प्रिंस ने बताया कि मैनेजमेंट कोर्स के साथ एक नई पहल की भी शुरुआत की जा रही है, जहां पाठ्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए लोगों को कोई शुल्क नहीं देना होगा. इसमें हर आयु वर्ग की महिला, पुरुष, बच्चे सहभागिता दर्ज कर सकते हैं. उन्हें बस रामायण, राम कथा या भगवान राम से संबंधित कोई भी एक पुस्तक विद्यालय को भेंट करनी होगी. जिसके बाद वह इस कोर्स का हिस्सा बन जाएंगे. उन्होंने बताया कि इसका उद्देश्य एक ऐसा रामायण ग्रन्थालय तैयार करना है, जिसमें विश्वभर की सभी भाषाओं में लिखित राम कथा, रामायण, भगवान राम से जुड़ी पुस्तकों का संग्रह हो.
शोधकर्ताओं को भी मिलेगी मदद: बता दें कि 'स्कूल ऑफ राम' के ग्रन्थालय में जो पुस्तकें रखे जाएंगे उनका संपूर्ण विवरण ग्रन्थालय के वेबसाइट पर भी उपलब्ध होगा. जिससे रामायण में रुचि रखने वाले लोगों और शोधकर्ताओं को यदि कोई पुस्तक उसमें से उपयोगी लगती है तो वह संपर्क कर पुस्तक के संदर्भ में सारी जानकारी प्राप्त कर उसका प्रयोग अपने शोध में भी कर सकते हैं.
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