वाराणसी: यूपी सरकार के एक बार फिर सत्ता में आते ही कई व्यवस्थाओं को बदलने का दावा किया गया. लेकिन इन दावों की हकीकत जाननी हो तो सिर्फ बिजली विभाग के बकायेदारों की लिस्ट खंगाल लीजिए, जो हकीकत सामने आएगी उससे आंखों के सामने तारे दिखने लगेंगे. जी हां ये आंकड़े आपको अचंभा में डाल देंगे.
अधिकारियों की मिलीभगत बिजली विभाग को लगा गई करोड़ों का चूना
बिजली विभाग गरीब आदमी या फिर आम आदमी का एक महीने का बिल बकाया होने पर तुरंत कनेक्शन काट देता है. लाख गिड़गिड़ाने पर भी बिना पैसे लिए कनेक्शन नहीं जोड़ा जाता है. नियमतः यहां तक तो मामला ठीक नजर आता है, क्योंकि नियम तो नियम है और ये सबके लिए होना भी चाहिए, लेकिन सवाल खड़े तब होते हैं जब अरबों की बकाया राशि पर बिजली विभाग और सरकार चुप्पी साध लेती है. जी हां कुछ लोग ऐसे है जिनपर बिजली विभाग का करोड़ो बकाया हैं, लेकिन आज तक न कनेक्शन काटा गया है और न ही बिजली बिल का भुगतान किया गया है.
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अकेले जलकल विभाग पर है 56 करोड़ का बकाया
दरअसल ईटीवी भारत के पास बनारस के बकायेदारो की लंबी लिस्ट आई हैं. इस लिस्ट में प्राईवेट संस्थानों से लेकर सरकारी संस्थान भी शामिल हैं और इनके बकाए राशि लाखों में नही बल्कि अरबो रूपये में हैं. अगर सिर्फ जल निगम का उदाहरण लिया जाए तो जल निगम के ऊपर बिजली की बकाया राशि लगभग 56 करोड़ हैं. ऐसे में जब ईटीवी भारत की टीम ने बिजली विभाग के चीफ इंजीनियर देवेंद्र सिंह से बातचीत की तो उन्होंने बकाया आकड़ा देने से इनकार कर दिया. वसूली को लेकर कहा कि जितने भी सरकारी विभाग हैं, उन्हें जब शासन से धन आवंटित होता है, तो बिजली विभाग के पास आता है. सामान्य तौर पर साल में एक बार उस धन का आवंटन किया जाता है, इसलिए साल भर का बकाया दिखाई देता है. अंततः सरकारी विभाग 1 साल के बिल को एक साथ देता है.
इंजीनियर देवेंद्र सिंह ने बताया कि हर साल सरकारी विभाग जब बजट भेजते हैं तो बिजली विभाग बिल वेरीफाई करते हैं. इसके बाद वसूली हो जाती है. प्राइवेट संस्थाओं के बाबत उन्होंने कहा कि निजी संस्थाओं के ऊपर कोई बंधन नहीं होता है. इसलिए यदि उनका बिल बकाया होता है तो सबसे पहले उनका कनेक्शन काट दिया जाता है और उनकी वसूली नियम के अनुसार की जाती हैं. हालांकि इस बारे में जल निगम के किसी भी अधिकारी ने इस पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया.
वित्तीय वर्ष बीतने के बाद भी नहीं हुई वसूली
हैरान करने वाली बात यह है कि वित्तीय वर्ष बीत जाने के बावजूद भी अभी तक बिजली विभाग ने कई सारे सरकारी विभागों से न तो बकाया वसूला हैं और न ही उनका कनेक्शन काटा है. यदि सरकार के द्वारा फाइनेंसियल ईयर में बजट पास किया जा रहा है तो निश्चित तौर पर विभागों के बिजली बिल का भुगतान किया जाना चाहिए, लेकिन ऐसे में सरकार विभाग के साथ-साथ बिजली विभाग भी चुप्पी साधे हुए हैं, जो अपने आप में कई सारे सवालों को खड़ा करता हैं. इस बारे में आम नागरिकों का कहना है कि इन बकाएदारों की लिस्ट जानकर हमारे पैरों तलें जमीन खिसक गई है. हमारे ऊपर विभाग 1 रुपये की भी ढील नहीं देता है. आखिर सरकार और बिजली विभाग इन पर मेहरबान क्यों हैं. क्यों राजस्व का घाटा सहा जा रहा है. चलिए सरकारी संस्थानों पर तो सरकार को राशि जमा करानी होती है, इस पर बहाना बनाया जा सकता है, लेकिन प्राइवेट संस्थानों पर मेहरबानी का क्या मतलब है.
गौरतलब हो कि आंकड़ों में कई सारे सरकारी व निजी संस्थाओं में करोड़ों और अरबों का बकाया है, इसके बावजूद भी बिजली विभाग अपनी आंखें मूंदे हुए हैं.ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर विभाग अपनी आंखें क्यों बंद किया है. किस तरीके की घपलेबाजी भी हो रही है और सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंचा करके अधिकारी किस फायदे की जुगत में लगे हैं.
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