वाराणसी: लॉकडाउन के दौरान सरकारी गल्ले की दुकानों पर राशन वितरण का कार्य 1 अप्रैल से शुरू किया गया. मुख्यमंत्री के आदेश पर कार्ड धारकों को 1 यूनिट पर 3 किलो गेहूं और 2 किलो चावल दिया जा रहा है, लेकिन इन सबके बीच सरकारी गल्लों की दुकानों पर लापरवाही बरती जा रही है. दरअसल, राशन वितरण के दौरान ई-पॉस मशीनों पर लिए जाने वाले फिंगर प्रिंट बिना सैनिटाइजर के उपयोग में आ रही है, जिससे कोरोना संक्रमण के फैलने का खतरा बढ़ गया है.
मुख्यमंत्री के आदेश पर गरीबों को राशन
देश में बढ़ते कोरोना वायरस के स्तर को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने देशभर में लॉकडाउन का एलान किया, जिससे उद्योग धंधे पूरी तरह से ठप हो गए. वहीं लोगों को आर्थिक मंदी से बचाने के लिए मुख्यमंत्री ने गरीबों को राशन बंटवाना शुरू किया. इस बीच गल्ले की दुकानों पर कार्ड धारकों को 1 यूनिट पर 3 किलो गेहूं और 2 किलो चावल वितरण किया जा रहा है, लेकिन ई-पॉस मशीनों पर ली जाने वाली फिंगरप्रिंट बिना किसी सुरक्षा के उपयोग में लाने से कोरोना संक्रमण के फैलने की संभावनाएं बढ़ रही है.
मशीन से कोरोना का भय
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए लोग एक-दूसरे से मिलने से कतरा रहे हैं तो वहीं राशन की दुकानों पर लगी मशीनें बिना किसी सुरक्षा के उपयोग में लाई जा रही है, जिससे कोरोना वायरस के संक्रमण की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं. किसी कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति के संपर्क में आने से कोरोना वायरस के बढ़ने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं.
ऑपरेशन ई-पॉस मशीन
राशन वितरण प्रणाली में अंगूठे का निशान मशीनों पर लेने की प्रक्रिया निश्चित तौर पर कई सवाल खड़े कर रही है. हालांकि प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र के कुछ हिस्सों में हालात बेहतर दिखाई दे रहे हैं. यहां कार्ड धारकों को राशन दिए जाने से पहले कोटेदार धारकों को अच्छे से हाथ धोने के लिए कह रहे हैं. इसके लिए राशन की दुकानों के बाहर पानी और हैंड वॉश की व्यवस्था की गई है.
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