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गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करता दुर्गा पूजा पंडाल, जानिए वजह

वाराणसी में रेड स्क्वायर स्पोर्टिंग क्लब ने गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की है. हुकुलगंज क्षेत्र में क्लब के अध्यक्ष आशिक कुरैशी ने दुर्गा पूजा पंडाल का निर्माण करवाया है.

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Published : Oct 13, 2021, 7:31 PM IST

दूर्गा पूजा पंडाल.
दूर्गा पूजा पंडाल.

वाराणसीः गंगा जमुनी तहजीब का शहर बनारस अपने आप में कई रंग समेटे हुए है. महादेव की नगरी और प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र धार्मिक दृष्टि से देश और विदेश में मशहूर है. वहीं जब दुर्गा पूजा का पर्व होता है तो यह शहर मिनी बंगाल के रूप में परिवर्तित हो जाता है. वहीं इस वर्ष वाराणसी में 251 दुर्गा पूजा पंडालों को सजाया गया है. जहां शासन प्रशासन की गाइडलाइंस का पालन करते हुए लोग नवरात्रि के इस पर्व पर माता का दर्शन कर सकेंगे. वहीं इन पंडालों में एक ऐसे पंडाल से हम आपको रूबरू करा रहे है. जिसको तैयार करवाने, मूर्ति की स्थापित करने और पूजा, विसर्जन में अपनी अहम भूमिका अदा करने वाले हाथ मस्जिदों में दुआओं के लिए उठते है. जी हां हम बात कर रहे है. वाराणसी के हुकुलगंज क्षेत्र में बने दुर्गा पूजा पंडाल की. जिसे हर साल रेड स्क्वायर स्पोर्टिंग क्लब के अध्यक्ष आशिक कुरैशी द्वारा तैयार करवाया जाता है.

इस संबंध में बात करते रेड स्क्वायर स्पोर्टिंग क्लब के अध्यक्ष आशिक कुरैशी ने बताया कि इस कार्य में वह जब 20 वर्ष के थे तभी से लगे हुए हैं. इस कार्य को करने के लिए वह कोई भेद भाव नहीं समझते. आशिक ने बताया कि पूजा के कार्यों से लेकर विसर्जन तक के कार्यों में भी सम्मिलित रहते हैं. उनका कहना है कि क्लब के लोग और स्थानीय लोग सभी साथ रहते हैं.

दूर्गा पूजा पंडाल.

दुर्गा पूजा पंडाल के विषय में बात करते हुए हुकुलगंज क्षेत्र के पूर्व पार्षद और रेड स्क्वायर स्पोर्टिंग क्लब संरक्षक महेंद्र सिंह शक्ति ने बताया कि हम लोग गंगा जमुनी तहजीब का पालन करते हैं. क्योंकि यह नगरी कबीर की नगरी है. तुलसी की नगरी है. बड़े-बड़े संतों और ऋषी-मुनियों की नगरी है. यहां जब कोई त्योहार रहा है. उसमें हिन्दू और मुस्लिम मिलकर ही शिरकत किए हैं.

इसे भी पढ़ें- किसानों के लिए कृषि कानून काले और देश के लिए मोदी काला है: राकेश टिकैत

उन्होंने कहा कि इस रेड स्क्वायर स्पोर्टिंग क्लब में आशिक कुरैशी छोटे पदों पर कार्य करते हुए पिछले चार वर्षों से क्लब के अध्यक्ष पद पर कार्य कर रहे हैं. इनकी मेहनत, निष्ठा और ईमानदारी से क्लब ने इन्हें अध्यक्ष बनाया है. इनकी देखरेख में एक अच्छी पूजा हो जाती है. आशिक कुरैशी माता के पूजन में जो व्यस्थाएं होती है. उसे पूर्ण करते है. हमारे यहां पूरे बंगाली रीतिरिवाज और बंगाली ब्राह्मण द्वारा ही पूजा-पाठ कराया जाता है.

वाराणसीः गंगा जमुनी तहजीब का शहर बनारस अपने आप में कई रंग समेटे हुए है. महादेव की नगरी और प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र धार्मिक दृष्टि से देश और विदेश में मशहूर है. वहीं जब दुर्गा पूजा का पर्व होता है तो यह शहर मिनी बंगाल के रूप में परिवर्तित हो जाता है. वहीं इस वर्ष वाराणसी में 251 दुर्गा पूजा पंडालों को सजाया गया है. जहां शासन प्रशासन की गाइडलाइंस का पालन करते हुए लोग नवरात्रि के इस पर्व पर माता का दर्शन कर सकेंगे. वहीं इन पंडालों में एक ऐसे पंडाल से हम आपको रूबरू करा रहे है. जिसको तैयार करवाने, मूर्ति की स्थापित करने और पूजा, विसर्जन में अपनी अहम भूमिका अदा करने वाले हाथ मस्जिदों में दुआओं के लिए उठते है. जी हां हम बात कर रहे है. वाराणसी के हुकुलगंज क्षेत्र में बने दुर्गा पूजा पंडाल की. जिसे हर साल रेड स्क्वायर स्पोर्टिंग क्लब के अध्यक्ष आशिक कुरैशी द्वारा तैयार करवाया जाता है.

इस संबंध में बात करते रेड स्क्वायर स्पोर्टिंग क्लब के अध्यक्ष आशिक कुरैशी ने बताया कि इस कार्य में वह जब 20 वर्ष के थे तभी से लगे हुए हैं. इस कार्य को करने के लिए वह कोई भेद भाव नहीं समझते. आशिक ने बताया कि पूजा के कार्यों से लेकर विसर्जन तक के कार्यों में भी सम्मिलित रहते हैं. उनका कहना है कि क्लब के लोग और स्थानीय लोग सभी साथ रहते हैं.

दूर्गा पूजा पंडाल.

दुर्गा पूजा पंडाल के विषय में बात करते हुए हुकुलगंज क्षेत्र के पूर्व पार्षद और रेड स्क्वायर स्पोर्टिंग क्लब संरक्षक महेंद्र सिंह शक्ति ने बताया कि हम लोग गंगा जमुनी तहजीब का पालन करते हैं. क्योंकि यह नगरी कबीर की नगरी है. तुलसी की नगरी है. बड़े-बड़े संतों और ऋषी-मुनियों की नगरी है. यहां जब कोई त्योहार रहा है. उसमें हिन्दू और मुस्लिम मिलकर ही शिरकत किए हैं.

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उन्होंने कहा कि इस रेड स्क्वायर स्पोर्टिंग क्लब में आशिक कुरैशी छोटे पदों पर कार्य करते हुए पिछले चार वर्षों से क्लब के अध्यक्ष पद पर कार्य कर रहे हैं. इनकी मेहनत, निष्ठा और ईमानदारी से क्लब ने इन्हें अध्यक्ष बनाया है. इनकी देखरेख में एक अच्छी पूजा हो जाती है. आशिक कुरैशी माता के पूजन में जो व्यस्थाएं होती है. उसे पूर्ण करते है. हमारे यहां पूरे बंगाली रीतिरिवाज और बंगाली ब्राह्मण द्वारा ही पूजा-पाठ कराया जाता है.

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