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आगरा में मरे शख्स पर FIR: बयान दर्ज करने के बाद चार्जशीट दाखिल की, चार पुलिसकर्मी समेत पांच पर केस - AGRA NEWS

पुलिस ने एक मृत व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. कोर्ट के आदेश पर 4 एसआई, मैनेजर के खिलाफ FIR दर्ज की गयी है.

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चार पुलिसकर्मीयों पर मुकदमा दर्ज (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 22, 2024, 10:24 PM IST

आगरा: जिले में पुलिस का एक कारनामा चर्चा का विषय बना हुआ है. पुलिस ने एक मृत व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. बात यहीं नहीं रुकी, मुकदमे में विवेचक ने मृतक और एक अन्य को आरोपी बनाकर बयान दर्ज किये और कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल की. जब पीड़ित ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया तो, पुलिस का यह कारनामा उजागर हुआ. कोर्ट के आदेश पर हरिपर्वत थाना पुलिस ने चार एसआई और फाइनेंस कंपनी के अधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है.

बता दें कि सिकंदरा थाना क्षेत्र के गांव कैलाश निवासी प्रताप पुत्र श्यामलाल ने श्री राम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कंपनी लिमिटेड की एमजी रोड शाखा से 143381 रुपये का लोन लिया था. इस लोन के एग्रीमेंट में मंगल सिंह निवासी दयानन्द नगर दयालबाग ने बतौर गारंटर हस्ताक्षर किए थे. जब लोन की किश्त चुकता नहीं हुईं, तो फाइनेंस कंपनी ने 26 अगस्त 2018 को कोर्ट के आदेश पर थाना हरिपर्वत में प्रताप सिंह और मंगल सिंह पर धोखाधड़ी समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा कराया.

इसे भी पढ़ें - पूर्व सांसद अतुल राय को बड़ी राहत, वाराणसी में हुए दोहरे हत्याकांड में 8 आरोपी दोषमुक्त - MP MLA COURT VARANASI

पुलिस के चार विवेचकों ने की जांच: पीड़ित मंगल सिंह का आरोप है कि धोखाधड़ी के मुकदमे की हरिपर्वत थाने के चार विवेचक ने विवेचना की थी. इनमें उप निरीक्षक मनीष कुमार, एसआई राजीव तोमर, एसआई राकेश कुमार और एसआई अमित प्रसाद ने विवेचना की. पीड़ित मंगल सिंह का आरोप है कि विवेचकों ने इस मुकदमे में आरोपी के बारे में कोई भी तथ्य और सही जानकारी नहीं जुटाई. मुकदमे में 26 अगस्त 2018 में प्रताप सिंह के साथ विवाद होना दिखाया गया है. जबकि, प्रताप सिंह की मृत्यु 12 सितंबर 2016 को गयी थी.

पुलिस के चारों विवेचक ने केस डायरी के पर्चे में 25 दिसंबर 2019 को मृतक प्रताप सिंह के बयान अंकित किए हैं. इतना ही नहीं, विवेचक अमित प्रसाद ने हस्ताक्षर कराए हैं. ये कैसे संभव हुआ जब प्रताप की मौत 2016 में हो गई थी? वो मरने के बाद आकर बयान कैसे दे सकता है.

कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज: पीड़ित मंगल सिंह का आरोप है कि उसने जब प्रताप की मौत का प्रमाण पत्र दिखाया. जो यूपी सरकार ने जारी किया है. लगातार पुलिस अधिकारियों के पास चक्कर लगाए. लेकिन, उसकी सुनवाई नहीं हुई. इस पर उन्होंने न्यायालय की शरण ली है. न्यायालय ने सबूतों के आधार पर इस मामले के चारों विवेचक और फाइनेंस कंपनी के मैनेजर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिया. हरिपर्वत थाना प्रभारी निरीक्षक आलोक कुमार ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर आरोपी चार एसआई और फाइनेंस कंपनी के मैनेजर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके जांच शुरू कर दी गई है.

यह भी पढ़ें - 'अवैध डायग्नोस्टिक सेंटर लोगों की जान से खिलवाड़'; इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- SSP तत्काल जांच को आगे बढ़ाएं - ALLAHABAD HIGH COURT

आगरा: जिले में पुलिस का एक कारनामा चर्चा का विषय बना हुआ है. पुलिस ने एक मृत व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. बात यहीं नहीं रुकी, मुकदमे में विवेचक ने मृतक और एक अन्य को आरोपी बनाकर बयान दर्ज किये और कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल की. जब पीड़ित ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया तो, पुलिस का यह कारनामा उजागर हुआ. कोर्ट के आदेश पर हरिपर्वत थाना पुलिस ने चार एसआई और फाइनेंस कंपनी के अधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है.

बता दें कि सिकंदरा थाना क्षेत्र के गांव कैलाश निवासी प्रताप पुत्र श्यामलाल ने श्री राम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कंपनी लिमिटेड की एमजी रोड शाखा से 143381 रुपये का लोन लिया था. इस लोन के एग्रीमेंट में मंगल सिंह निवासी दयानन्द नगर दयालबाग ने बतौर गारंटर हस्ताक्षर किए थे. जब लोन की किश्त चुकता नहीं हुईं, तो फाइनेंस कंपनी ने 26 अगस्त 2018 को कोर्ट के आदेश पर थाना हरिपर्वत में प्रताप सिंह और मंगल सिंह पर धोखाधड़ी समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा कराया.

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पुलिस के चार विवेचकों ने की जांच: पीड़ित मंगल सिंह का आरोप है कि धोखाधड़ी के मुकदमे की हरिपर्वत थाने के चार विवेचक ने विवेचना की थी. इनमें उप निरीक्षक मनीष कुमार, एसआई राजीव तोमर, एसआई राकेश कुमार और एसआई अमित प्रसाद ने विवेचना की. पीड़ित मंगल सिंह का आरोप है कि विवेचकों ने इस मुकदमे में आरोपी के बारे में कोई भी तथ्य और सही जानकारी नहीं जुटाई. मुकदमे में 26 अगस्त 2018 में प्रताप सिंह के साथ विवाद होना दिखाया गया है. जबकि, प्रताप सिंह की मृत्यु 12 सितंबर 2016 को गयी थी.

पुलिस के चारों विवेचक ने केस डायरी के पर्चे में 25 दिसंबर 2019 को मृतक प्रताप सिंह के बयान अंकित किए हैं. इतना ही नहीं, विवेचक अमित प्रसाद ने हस्ताक्षर कराए हैं. ये कैसे संभव हुआ जब प्रताप की मौत 2016 में हो गई थी? वो मरने के बाद आकर बयान कैसे दे सकता है.

कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज: पीड़ित मंगल सिंह का आरोप है कि उसने जब प्रताप की मौत का प्रमाण पत्र दिखाया. जो यूपी सरकार ने जारी किया है. लगातार पुलिस अधिकारियों के पास चक्कर लगाए. लेकिन, उसकी सुनवाई नहीं हुई. इस पर उन्होंने न्यायालय की शरण ली है. न्यायालय ने सबूतों के आधार पर इस मामले के चारों विवेचक और फाइनेंस कंपनी के मैनेजर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिया. हरिपर्वत थाना प्रभारी निरीक्षक आलोक कुमार ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर आरोपी चार एसआई और फाइनेंस कंपनी के मैनेजर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके जांच शुरू कर दी गई है.

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