वाराणसी: पंचायत चुनावों के बाद ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. इसे देखते हुए सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन हर जिले में बड़े अभियान चला रहा है. वाराणसी में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए जबरदस्त प्लानिंग की गई है, जिसकी शुरुआत शुक्रवार से हो गई है.
ऐसे टूटेगी संक्रमण की चैन
जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के निर्देशन में शुक्रवार को सभी ब्लाकों के चिन्हित गांवों में कोरोना लक्षणयुक्त व्यक्तियों की जांच की जा रही है. इस कार्य में आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं निगरानी समिति द्वारा सहयोग किया जा रहा है. जिलाधिकारी का कहना है कि अब जरूरी हो गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर जाकर लोगों की जांच की जाए. लोग ग्रामीण इलाकों से शहरों में आकर जांच कराने से कतरा रहे हैं. ऐसे में लोगों के पास पहुंचना जरुरी है ताकि इस संक्रमण की चेन को तोड़ा जा सके.
जांच के बाद शुरू होगी इलाज की प्रक्रिया
पहले फेज में जांच की प्रक्रिया पूरी करने के बाद संक्रमित मरीजों का इलाज भी शुरू किया जाएगा. लो सिम्टम्स वाले मरीजों को घर पर और गंभीर मरीजों के लिए बीएचयू में बनाए गए अस्थाई अस्पताल के अलावा अन्य अस्पतालों में खाली पड़े बेड का इंतजाम किया गया है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में ही सीएससी पीएससी को भी मजबूत बनाने की कवायद चल रही है, जिसके तहत ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीनों को हर ब्लॉक पर अस्पतालों में लगाया जा रहा है.
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कोरोना महामारी पर नियंत्रण की ओर काशी
वाराणसी यूपी के उन चार शहरों में शामिल था जहां अप्रैल के पहले हफ्ते में ही कोरोना की दूसरी लहर आ गई थी. यहां संक्रमण की दर काफी तेज थी. 14 अप्रैल से 23 अप्रैल तक की यहां कोरोना की लहर अपने चरम पर थी. केस बढ़े तो अवस्थाएं शुरू हुई. ऑक्सीजन वाले बेड की कमी पर हाहाकार मचा, लेकिन प्रशासन ने कोरोना की इस चुनौती को स्वीकार किया. जिन विकास खंडों में ज्यादा संक्रमण था उनके 76 गांव को चिन्हित किया गया. उसमें भी दवाइयों के वितरण का काम शुरू हुआ. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को मिलाकर कर 72,000 परिवारों तक दवाइयां पहुंचाई गई.
पॉजिटिविटी रेट 10 से 11 प्रतिशत
25 अप्रैल से लेकर मई के पहले हफ्ते तक संक्रमण को नियंत्रित करने में काफी मदद मिली. अब नतीजा यह है कि वाराणसी की पॉजिटिविटी 10 से 11 प्रतिशत ही रह गई है. जहां एक दिन में संक्रमण 2,000 और 2,100 तक आने लगे थे और 2,700 तक गए थे. वह केस घटकर 700 से 800 ही प्रतिदिन रह गए हैं.