वाराणसी: जिले में श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना में मणिकर्णिका और ललिता घाट के बीच में लंबे वक्त से एक मकान को लेकर विवाद चल रहा था, जो अब खत्म हो गया है. कोर्ट के निर्देश पर डीएम ने इस अंतिम मकान को मंदिर प्रशासन को सौंप दिया है.
पांच भाइयों का था कब्जा
जिलाधिकारी वाराणसी कौशल राज शर्मा के मुताबिक निर्माणाधीन श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में स्थित नजूल भूखंड संख्या सीके 10/16 और सीके 10/43 प्रकरण का विवाद समाप्त हो गया है. इन दो भूखंडों हेतु संजय सिंह, अरुण सिंह, मुकुंद नारायण सिंह, हृदय नारायण सिंह तथा नारायण सिंह, 5 भाइयों द्वारा दोनों नजूल भूखण्डों पर अपना कब्जा व अधिकार जताते हुए उच्च न्यायालय में रिट दाखिल की थी. इनके अधिकार को गलत मानते हुए अक्टूबर 2019 में इस भूमि से जुड़े इनके फ्री होल्ड आवेदन पत्र तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा निरस्त कर दिए गए थे और भूखण्ड मंदिर परियोजना हेतु सुरक्षित कर दिये गए थे.
हाईकोर्ट में था मामला
पांचों भाइयों द्वारा इसकी रिट उच्च न्यायालय में दाखिल की गई थी, जिसमे न्यायालय ने जिलाधिकारी के आदेश स्टे कर दिए थे. 14 दिसंबर 2020 को उच्च न्यायालय द्वारा इनके आवदेन पर नए सिरे से निर्णय लेने हेतु जिलाधिकारी वाराणसी को निर्देशित करते हुए आदेश पारित किया गया.
कोर्ट के आदेश के बाद डीएम ने लिया फैसला
इस क्रम में पक्षकारों द्वारा 23 दिसंबर 2020 को लिखित और 4 जनवरी 2021 को व्यक्तिगत उपस्थित होकर जिलाधिकारी वाराणसी के समक्ष अपना पक्ष रखा गया. इन सब पर सुनवाई करते हुए जिलाधिकारी ने अपने आदेश दिनांक 13 जनवरी 2021 में पाया गया कि इन 2 भूखंडों की 90 वर्ष की लीज 2004 में समाप्त हो चुकी है. लीज में उत्तराधिकार सम्बंधी कमी थी. साथ ही वर्तमान में दोनों भूखंड सरकारी, सार्वजनिक परियोजना हेतु राज्य सरकार को स्वयं चाहिए इन कारणों से पक्षकारों को ये भूखंड फ्री होल्ड नहीं किये जा सकते. इनके फ्री होल्ड आवेदन अस्वीकार करते हुए ये दोनों भूखंड श्री काशी विश्वनाथ परिषद के भौतिक कब्जे और प्रबंधन में दे दिए गए हैं.
अब तेजी से होगा बाबा धाम का काम
डीएम ने बताया कि दोनों भूखंड पर उच्च न्यायालय के वाद के चलते एक वर्ष तक इस हिस्से में काम नहीं हो पाया. अब कार्यदायी संस्था इसको नष्ट करते हुए समय की भरपायी करने के लिए बहुत तेज गति से निर्माण कार्य करने का निर्देश दिया गया है. दिनांक 15 जनवरी से ही भूखंड को बैरिकेड करके टिन शेड लगाने का कार्य शुरू कर दिया है. इन भूखंडों पर भूमि का मुआवजा पक्षकारों को नहीं मिलेगा, परंतु इस पर निर्मित भवन, शेड आदि की धनराशि परियोजना से प्रभावित सभी लोगों को जैसे मिली है, उसी नियम से इन्हें भी प्राप्त होगी.
मंदिर प्रशासन को सौंपा गया विश्वनाथ कॉरिडोर में विवादित अंतिम मकान - Lalitha Ghat
यूपी के वाराणसी में निर्माणाधीन श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में विवादित अंतिम मकान को मंदिर प्रशासन को सौंप दिया गया. लंबे विवाद के बाद कोर्ट के निर्देश पर डीएम ने यह फैसला लिया.
वाराणसी: जिले में श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना में मणिकर्णिका और ललिता घाट के बीच में लंबे वक्त से एक मकान को लेकर विवाद चल रहा था, जो अब खत्म हो गया है. कोर्ट के निर्देश पर डीएम ने इस अंतिम मकान को मंदिर प्रशासन को सौंप दिया है.
पांच भाइयों का था कब्जा
जिलाधिकारी वाराणसी कौशल राज शर्मा के मुताबिक निर्माणाधीन श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में स्थित नजूल भूखंड संख्या सीके 10/16 और सीके 10/43 प्रकरण का विवाद समाप्त हो गया है. इन दो भूखंडों हेतु संजय सिंह, अरुण सिंह, मुकुंद नारायण सिंह, हृदय नारायण सिंह तथा नारायण सिंह, 5 भाइयों द्वारा दोनों नजूल भूखण्डों पर अपना कब्जा व अधिकार जताते हुए उच्च न्यायालय में रिट दाखिल की थी. इनके अधिकार को गलत मानते हुए अक्टूबर 2019 में इस भूमि से जुड़े इनके फ्री होल्ड आवेदन पत्र तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा निरस्त कर दिए गए थे और भूखण्ड मंदिर परियोजना हेतु सुरक्षित कर दिये गए थे.
हाईकोर्ट में था मामला
पांचों भाइयों द्वारा इसकी रिट उच्च न्यायालय में दाखिल की गई थी, जिसमे न्यायालय ने जिलाधिकारी के आदेश स्टे कर दिए थे. 14 दिसंबर 2020 को उच्च न्यायालय द्वारा इनके आवदेन पर नए सिरे से निर्णय लेने हेतु जिलाधिकारी वाराणसी को निर्देशित करते हुए आदेश पारित किया गया.
कोर्ट के आदेश के बाद डीएम ने लिया फैसला
इस क्रम में पक्षकारों द्वारा 23 दिसंबर 2020 को लिखित और 4 जनवरी 2021 को व्यक्तिगत उपस्थित होकर जिलाधिकारी वाराणसी के समक्ष अपना पक्ष रखा गया. इन सब पर सुनवाई करते हुए जिलाधिकारी ने अपने आदेश दिनांक 13 जनवरी 2021 में पाया गया कि इन 2 भूखंडों की 90 वर्ष की लीज 2004 में समाप्त हो चुकी है. लीज में उत्तराधिकार सम्बंधी कमी थी. साथ ही वर्तमान में दोनों भूखंड सरकारी, सार्वजनिक परियोजना हेतु राज्य सरकार को स्वयं चाहिए इन कारणों से पक्षकारों को ये भूखंड फ्री होल्ड नहीं किये जा सकते. इनके फ्री होल्ड आवेदन अस्वीकार करते हुए ये दोनों भूखंड श्री काशी विश्वनाथ परिषद के भौतिक कब्जे और प्रबंधन में दे दिए गए हैं.
अब तेजी से होगा बाबा धाम का काम
डीएम ने बताया कि दोनों भूखंड पर उच्च न्यायालय के वाद के चलते एक वर्ष तक इस हिस्से में काम नहीं हो पाया. अब कार्यदायी संस्था इसको नष्ट करते हुए समय की भरपायी करने के लिए बहुत तेज गति से निर्माण कार्य करने का निर्देश दिया गया है. दिनांक 15 जनवरी से ही भूखंड को बैरिकेड करके टिन शेड लगाने का कार्य शुरू कर दिया है. इन भूखंडों पर भूमि का मुआवजा पक्षकारों को नहीं मिलेगा, परंतु इस पर निर्मित भवन, शेड आदि की धनराशि परियोजना से प्रभावित सभी लोगों को जैसे मिली है, उसी नियम से इन्हें भी प्राप्त होगी.