वाराणसी: आज नवरात्रि का दूसरा दिन है. इस दिन माता के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है. देवी दुर्गा अपनी दूसरे रूप में ब्रह्मचारिणी के नाम से जानी जाती हैं. उनका यह रूप एक ऐसी कन्या का प्रतीक है, जो बाधाओं पर पार पाने वाली है. स्वर्ण की आभा धारण करने वाली मां ब्रह्मचारिणी के दर्शन मात्र से ही ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है.
ब्रह्मा जी ने की थी मां की उपासना
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मांड की रचना के लिए ब्रह्मा जी ने माता ब्रह्मचारिणी की उपासना की, जिसके बाद इस ब्रह्मांड की रचना हुई. वाराणसी के ब्रह्मा घाट पर स्थित माता ब्रह्मचारिणी का मंदिर अत्यंत मनोहारी है. नवरात्रि के दूसरे दिन माता के भक्त भी उनका दर्शन कर निहाल हो रहे हैं. दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि इस बार भीड़ कम होने के कारण उन्हें आसानी से मां के दर्शन प्राप्त हो रहे हैं.
मिलती है ग्रह दोषों से मुक्ति
मंदिर के महंत राजाराम का कहना है कि, माता ब्रह्मचारिणी के दर्शन करने से ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है. उन्होंने बताया कि, यदि माता ब्रह्मचारिणी के ग्रह दोष निवारण मंत्र का जाप किया जाए तो मनुष्य को उसका शुभ फल मिलता है और ग्रहों की बाधाओं से भी मुक्ति मिलती है.