ETV Bharat / state

हर-हर महादेव के जयकारे संग मां चंद्रघंटा के दर्शन को पहुंचे श्रद्धालु

चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा और सौभाग्य गौरी के दर्शन का महत्व है. इनके दर्शन पूजन करने से गृहस्थ जीवन में सुख समृद्धि आती है. कहा जाता है कि मां के दर्शन से शत्रु का नाश होता है.

author img

By

Published : Apr 8, 2019, 8:42 AM IST

Updated : Apr 8, 2019, 9:37 AM IST

मां चंद्रघंटा

वाराणसी: चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा और सौभाग्य गौरी के दर्शन का महत्व है. मां चंद्रघंटा का मंदिर चौक इलाके में स्थित है, जो काशीवासियों के अनुसार अति प्राचीन मंदिर है. मां चंद्रघंटा महायुद्ध की मुद्रा में बैठी हुई हैं. इसी कारण मां के दर्शन से शत्रु का नाश होता है. रात से ही मंदिर में श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए कतार में लगे हुए हैं.

मां चंद्रघंटा के दर्शन के लिए उमड़ी भक्तों की भारी भीड़

काशीवासियों का मानना है कि नवरात्र के तीसरे दिन चंद्रघंटा देवी और सौभाग्य गौरी के दर्शन पूजन करने से गृहस्थ जीवन में सुख समृद्धि आती है. माता की मंगला आरती के बाद दर्शनार्थियों को दर्शन के लिए मंदिर में आने की अनुमति दे दी गई. मंदिर खोलते ही मां के जयकारों से सारा क्षेत्र गूंज उठा. भक्त नारियल, चुनरी और मिष्ठान भोग अर्पित करके मां से अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं. ऐसी मान्यता है कि स्त्री पुरुष की आयु में वृद्धि और दांपत्य जीवन में व्याप्त बाधाओं को मां शीघ्र ही हर लेती हैं.

यह भी कहा जाता है कि मां के नौ रूपों का दर्शन नवरात्रि के दिनों में करने से मां की कृपा अपने भक्तों पर हमेशा बनी रहती है. मां चंद्रघंटा के प्राचीन मंदिर में रोजाना ही भक्तों का तांता लगा रहता है और मां चंद्रघंटा के साथ ही साथ सभी नौ रूपों की मूर्तियां होने के कारण नवरात्र भर यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. दूर-दूर से लोग मां के दर्शन के लिए आते हैं और आदिशक्ति से अपने ऊपर कृपा करने की प्रार्थना करते हैं.

वाराणसी: चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा और सौभाग्य गौरी के दर्शन का महत्व है. मां चंद्रघंटा का मंदिर चौक इलाके में स्थित है, जो काशीवासियों के अनुसार अति प्राचीन मंदिर है. मां चंद्रघंटा महायुद्ध की मुद्रा में बैठी हुई हैं. इसी कारण मां के दर्शन से शत्रु का नाश होता है. रात से ही मंदिर में श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए कतार में लगे हुए हैं.

मां चंद्रघंटा के दर्शन के लिए उमड़ी भक्तों की भारी भीड़

काशीवासियों का मानना है कि नवरात्र के तीसरे दिन चंद्रघंटा देवी और सौभाग्य गौरी के दर्शन पूजन करने से गृहस्थ जीवन में सुख समृद्धि आती है. माता की मंगला आरती के बाद दर्शनार्थियों को दर्शन के लिए मंदिर में आने की अनुमति दे दी गई. मंदिर खोलते ही मां के जयकारों से सारा क्षेत्र गूंज उठा. भक्त नारियल, चुनरी और मिष्ठान भोग अर्पित करके मां से अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं. ऐसी मान्यता है कि स्त्री पुरुष की आयु में वृद्धि और दांपत्य जीवन में व्याप्त बाधाओं को मां शीघ्र ही हर लेती हैं.

यह भी कहा जाता है कि मां के नौ रूपों का दर्शन नवरात्रि के दिनों में करने से मां की कृपा अपने भक्तों पर हमेशा बनी रहती है. मां चंद्रघंटा के प्राचीन मंदिर में रोजाना ही भक्तों का तांता लगा रहता है और मां चंद्रघंटा के साथ ही साथ सभी नौ रूपों की मूर्तियां होने के कारण नवरात्र भर यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. दूर-दूर से लोग मां के दर्शन के लिए आते हैं और आदिशक्ति से अपने ऊपर कृपा करने की प्रार्थना करते हैं.

Intro:वाराणसी। चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा और सौभाग्य गौरी के दर्शनों का महत्व है मां चंद्रघंटा का मंदिर वाराणसी के चौक इलाके में स्थित है जो काशी वासियों के अनुसार अति प्राचीन मंदिर है मां चंद्रघंटा के घाट में चंद्रमा है और महायुद्ध की मुद्रा में बैठी हुई है इसी कारण मां के दर्शन से शत्रु का नाश होता है इस मंदिर में रात से ही श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए कतार में लग जाते हैं।


Body:VO1: काशी वासियों का मानना है कि नवरात्र के तीसरे दिन चंद्रघंटा देवी और सौभाग्य गौरी के दर्शन पूजन करने से गृहस्थ जीवन में सुख समृद्धि आती है। माता की मंगला आरती के बाद दर्शनार्थियों को दर्शन के लिए मंदिर में आने की अनुमति दे दी जाती है और मंदिर खोलते ही मां के जयकारों से सारा क्षेत्र गूंज उठता है। भक्त नारियल, चुनरी और मिष्ठान भोग अर्पित करके मां से अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि स्त्री पुरुष की आयु में वृद्धि और दांपत्य जीवन में व्याप्त बाधाओं को मां शीघ्र ही हर लेती है। यह भी कहा जाता है कि मां के नौ रूपों का दर्शन नवरात्रि के दिनों में करने से मां की कृपा अपने भक्तों पर हमेशा बनी रहती है। मां चंद्रघंटा के प्राचीन मंदिर में रोजाना ही भक्तों का तांता लगा रहता है और मां चंद्रघंटा के साथ ही साथ सभी नौ रूपों की मूर्तियां होने के कारण नवरात्र भर यहां भक्तों की भारी भीड़ आती है, पर नवरात्रि के तीसरे दिन माता का दर्शन करने की प्रथा यहां कई वर्षों से चलती चली आ रही है। दूर-दूर से लोग मां के दर्शन के लिए आते हैं और आदि शक्ति से अपने ऊपर कृपा करने की प्रार्थना करते हैं।

बाइट: मंदिर की पुजारिन

Regards
Arnima Dwivedi
Varanasi
7523863236


Conclusion:
Last Updated : Apr 8, 2019, 9:37 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.