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महाशिवरात्रि पर संकल्प लेकर श्रद्धालुओं ने शुरू की पंचकोशीय परिक्रमा - पंचकोशीय यात्रा का फल

काशी में महाशिवरात्रि पर मणिकर्णिका घाट से संकल्प लेकर पंचकोशीय परिक्रमा के लिए हजारों की संख्या में लोगों ने चक्रपुष्कर्णी कुंड और गंगा में स्नान किया. इसके बाद हर हर महादेव के जयघोष करते हुए पहले पड़ाव कर्दमेश्वर महादेव कंदवा के लिए नंगे पैर लिए निकल पड़े. इस मौके पर सुरक्षा की दृष्टि से चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात की गई थी.

संकल्प लेकर श्रद्धालुओं ने शुरू की पंचकोशीय परिक्रमा
संकल्प लेकर श्रद्धालुओं ने शुरू की पंचकोशीय परिक्रमा
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Published : Mar 11, 2021, 8:52 AM IST

Updated : Mar 11, 2021, 1:22 PM IST

वाराणसी: पूरा देश आज महाशिवरात्रि मना रहा है. इसी क्रम में महाशिवरात्रि के दिन से शुरू होने वाली पंचकोशीय परिक्रमा के लिए मणिकर्णिका घाट पर बुधवार हजारों की संख्या में लोग संकल्प लेने के लिए उमड़ पड़े. महाशिवरात्रि के दिन शुरू होने वाली पंचकोशीय यात्रा के लिए मणिकर्णिका घाट पर स्थित चक्रपुष्कर्णी कुंड और गंगा में स्नान कर हजारों की संख्या में लोगों ने संकल्प लिया. बता दें कि पंचकोशीय परिक्रमा 5 कोस की होती है. परिक्रमा में पहला पड़ाव कर्दमेश्वर महादेव है, जहां से भीम चंडी, रामेश्वर, पांचो पांडव और कपिलधारा होते हुए मणिकर्णिका घाट पर वापस आकर परिक्रमा पूरी होती है. यहां पहुंचने के बाद परिक्रमार्थी संकल्प छोड़ता है जिसके बाद यात्रा पूर्ण मानी जाती है.

काशी में महाशिवरात्रि पर मणिकर्णिका घाट से संकल्प लेकर पंचकोशीय परिक्रमा के लिए हजारों की संख्या में लोगों ने चक्रपुष्कर्णी कुंड और गंगा में स्नान किया. इसके बाद हर हर महादेव के जयघोष करते हुए पहले पड़ाव कर्दमेश्वर महादेव कंदवा के लिए नंगे पैर लिए निकल पड़े. इस मौके पर सुरक्षा की दृष्टि से चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात की गई थी.

पंचकोशीय यात्रा का फल
मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान राम ने पत्नी सीता और भाइयों के साथ अपने पिता दशरथ को श्रवण कुमार के श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए पहली बार यह पवित्र परिक्रमा की थी. दूसरी बार जब भगवान राम ने रावण का संहार किया तब ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति के लिए सीता और लक्ष्मण के साथ पुनः पंचकोशीय परिक्रमा की. शिवरात्रि के दिन एकदिवसीय यात्रा का विधान प्रचलन में है. इसकी प्रमुख यात्रा का विधान प्रत्येक तीसरे वर्ष आने वाले पुरुषोत्तम मास अथवा अधिमास में होता है, जब परिक्रमा पांच दिनों में पूर्ण की जाती है.

इस दौरान संकल्प लेने के लिए मणिकर्णिका घाट पर आए अर्जुन सोनकर ने बताया कि हम लोग पंचकोशी यात्रा की यहां से शुरुआत करेंगे. जिसके बाद पहला पड़ाव कर्दमेश्वर महादेव, दूसरा भीम चंडी, तीसरा पांचो पांडव, चौथा रामेश्वर होते हुए कपिलधारा जायेगे. वहां से मणिकर्णिका दोबारा आएंगे.

वाराणसी: पूरा देश आज महाशिवरात्रि मना रहा है. इसी क्रम में महाशिवरात्रि के दिन से शुरू होने वाली पंचकोशीय परिक्रमा के लिए मणिकर्णिका घाट पर बुधवार हजारों की संख्या में लोग संकल्प लेने के लिए उमड़ पड़े. महाशिवरात्रि के दिन शुरू होने वाली पंचकोशीय यात्रा के लिए मणिकर्णिका घाट पर स्थित चक्रपुष्कर्णी कुंड और गंगा में स्नान कर हजारों की संख्या में लोगों ने संकल्प लिया. बता दें कि पंचकोशीय परिक्रमा 5 कोस की होती है. परिक्रमा में पहला पड़ाव कर्दमेश्वर महादेव है, जहां से भीम चंडी, रामेश्वर, पांचो पांडव और कपिलधारा होते हुए मणिकर्णिका घाट पर वापस आकर परिक्रमा पूरी होती है. यहां पहुंचने के बाद परिक्रमार्थी संकल्प छोड़ता है जिसके बाद यात्रा पूर्ण मानी जाती है.

काशी में महाशिवरात्रि पर मणिकर्णिका घाट से संकल्प लेकर पंचकोशीय परिक्रमा के लिए हजारों की संख्या में लोगों ने चक्रपुष्कर्णी कुंड और गंगा में स्नान किया. इसके बाद हर हर महादेव के जयघोष करते हुए पहले पड़ाव कर्दमेश्वर महादेव कंदवा के लिए नंगे पैर लिए निकल पड़े. इस मौके पर सुरक्षा की दृष्टि से चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात की गई थी.

पंचकोशीय यात्रा का फल
मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान राम ने पत्नी सीता और भाइयों के साथ अपने पिता दशरथ को श्रवण कुमार के श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए पहली बार यह पवित्र परिक्रमा की थी. दूसरी बार जब भगवान राम ने रावण का संहार किया तब ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति के लिए सीता और लक्ष्मण के साथ पुनः पंचकोशीय परिक्रमा की. शिवरात्रि के दिन एकदिवसीय यात्रा का विधान प्रचलन में है. इसकी प्रमुख यात्रा का विधान प्रत्येक तीसरे वर्ष आने वाले पुरुषोत्तम मास अथवा अधिमास में होता है, जब परिक्रमा पांच दिनों में पूर्ण की जाती है.

इस दौरान संकल्प लेने के लिए मणिकर्णिका घाट पर आए अर्जुन सोनकर ने बताया कि हम लोग पंचकोशी यात्रा की यहां से शुरुआत करेंगे. जिसके बाद पहला पड़ाव कर्दमेश्वर महादेव, दूसरा भीम चंडी, तीसरा पांचो पांडव, चौथा रामेश्वर होते हुए कपिलधारा जायेगे. वहां से मणिकर्णिका दोबारा आएंगे.

Last Updated : Mar 11, 2021, 1:22 PM IST
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