वाराणसीः नवरात्र में भक्त 9 दिनों में माता के नौ रूप भोली गौरी से लेकर प्रचंड दुर्गा तक का पूजन करते हैं. नवरात्र के पावन अवसर पर काशी में भी भक्त माता के दर्शन कर प्रफुल्लित हो रहे हैं. नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा के दर्शन का विधान है. इसलिये काशी में मां के भक्त सोमवार को मंदिरों में मां चंद्रघंटा के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किए.
कैसे पड़ा चन्द्रघंटा नाम
मंदिर के पुजारी वैभव योगेश्वर ने बताया कि आज माता के तीसरे रूप मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. इनके गले में सफेद फूलों की माला सुशोभित रहती है. इनके घंटे की तरह भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव, दैत्य और राक्षस सदैव दूर रहते हैं. मां चंद्रघंटा के माथे पर चंद्रमा रूपी घंटा स्थित है. इसलिए मां को मां चंद्रघंटा कहा जाता है.
काशी में मोक्ष देती है मां
काशी में ऐसी मान्यता है कि जब किसी भी मनुष्य का अंतिम समय निकट आता है तो मां उनके कंठ में वासकर अपने घण्टे का नाद करती हैं, जिससे आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि में मां चंद्रघंटा की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने के साथ यदि मां को केसर और खीर का भोग लगाया जाय तो मां अतिप्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की सभी मुरादें पूरी करती हैं.
कम भीड़ होने से भक्तों को मिल रही राहत
कोरोना माहमारी के बीच भक्तों के लिए भले ही दर्शन पूजन की छूट दी गई है. उसके बाद लोग भी सावधानी के साथ दर्शन-पूजन कर रहे हैं. भक्तों ने बताया कि इस बार भीड़ कम होने के कारण दर्शन करने में सहूलियत हो रही है. हर बार बहुत जल्द मंदिर से निकलना पड़ता था. इस बार के दर्शन बहुत अच्छे तरीके से हो रहा है.