वाराणसी: बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी अनेक रहस्यों से भरी हुई है. यहां पर अनेक ऐसे मंदिर हैं जो अपने आप में कई रहस्यों को समेटे हुए हैं. आज हम आपको ऐसे ही एक काशी के रहस्यमई मंदिर के दर्शन कराने वाले हैं, जहां दर्शन करने से मनुष्य को न सिर्फ सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है, बल्कि जिंदगी भर झेले जाने वाले मुकदमे कोर्ट कचहरी के चक्कर और फांसी से भी मुक्ति मिल जाती है.
एक अनोखा मंदिर जहां प्रसाद नहीं ताला चढ़ाते हैं भक्त, जानें क्या है रहस्य
वाराणसी के बंदी माता मंदिर में भक्त यहां फल-फूल की जगह ताला-चाबी चढ़ाते हैं. मान्यता है कि यहां दर्शन करने से मनुष्य को न सिर्फ सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है बल्कि कोर्ट कचहरी के झमेलों और फांसी तक से मुक्ति मिल जाती है.
यहां प्रसाद नहीं ताला चढ़ाते हैं भक्त
वाराणसी: बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी अनेक रहस्यों से भरी हुई है. यहां पर अनेक ऐसे मंदिर हैं जो अपने आप में कई रहस्यों को समेटे हुए हैं. आज हम आपको ऐसे ही एक काशी के रहस्यमई मंदिर के दर्शन कराने वाले हैं, जहां दर्शन करने से मनुष्य को न सिर्फ सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है, बल्कि जिंदगी भर झेले जाने वाले मुकदमे कोर्ट कचहरी के चक्कर और फांसी से भी मुक्ति मिल जाती है.
दशाश्वमेध घाट के ऊपर विराजमान इस अनोखे मंदिर को बंदी देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है. कहते हैं यहां दर्शन करने से मनुष्य को सभी प्रकार के मुकदमे, फांसी, कोर्ट - कचहरी के चक्कर से मुक्ति मिल जाती है. यही कारण है कि माता के दरबार में मंगलवार को भक्तों का तांता लगा रहता है और नवरात्र के दिनों में मां का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है.
पाताल लोक की देवी हैं बंदी माता
त्रेता युग से लेकर आज भी माता लोगों के दुखों को हरती चली आ रही हैं. ऐसी मान्यता है कि माता पाताल लोक में विराजती हैं. इसलिए इन्हें पाताल देवी भी कहा जाता है. मां बंदी देवी को लेकर ऐसी मान्यता है कि जब अहिरावण राम लक्ष्मण को अपने नाग फांस में बांधकर पाताल लोक ले गया था तब बंदी देवी ने उन्हें नाग फांस से मुक्त कराया था. तभी से इन्हें बंधनों से मुक्त करने वाली देवी कहा जाता है. मां अपने भक्तों की हर मुराद कम समय मे पूरा करती हैं और उन्हें सभी प्रकार के कष्ट के बंधनों से मुक्त करती हैं.दर्शन से मिलती है कानूनी झमेलों से मुक्ति
मंदिर के प्रधान पुजारी ने सुधाकर दुबे ने बताया कि जो भी लोग कोर्ट-कचहरी, कारावास या फांसी के झमेले से परेशान होते हैं. वह यहां आकर के 41 दिन माता का दर्शन, पूजा-अर्चना करते हैं. इसके साथ ही मन्नत पूरी होने पर उनको ताला चाबी चढ़ाते हैं. इसके बाद उनको इस संकट से मुक्ति मिल जाती है. उन्होंने बताया कि मां अपने भक्तों की अर्जी बहुत जल्दी सुनती हैं. माता को चढ़ावे के रूप में चढ़ता है ताला-चाबी
बता दें कि मंगलवार और शुक्रवार को माता की विशेष पूजा की जाती है. नवरात्र में माता का महत्व और महिमा अत्यधिक बढ़ जाती है. यूं तो माता को मालपुआ व गुड़हल का भोग लगाया जाता है. परंतु मुख्य रूप से बंदी देवी माता मंदिर में ताला और चाबी चढ़ाने की परंपरा है. कहते हैं भक्तगण अपनी मन्नत मानकर माता के दरबार में ताला और चाबी चढ़ाते हैं, जिसके बाद भक्त ताला बंद कर चाबी रख लेते हैं. ऐसा कहा जाता है कि जिस किसी भी व्यक्ति की मन्नत पूरी हो जाती है. वह आकर के माता के यहां पूजा-अर्चना करता है और उसके बाद ताले को खोलकर चाबी और ताला दोनों मां गंगा में प्रवाहित कर देता है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि मां के दरबार में देश-विदेश के भक्तों के साथ नामी नेता, माफिया और अधिकारी भी आते हैं और माता के दरबार में ताला-चाबी चढ़ाकर उनसे प्रार्थना करते हैं. उन्होंने बताया कि कई सारे फिल्मी सितारे भी यहां आए हैं और उन्होंने कोर्ट कचहरी जैसे चक्करों से मुक्ति पाने के लिए यहां जप अनुष्ठान भी कराया है. इसके बाद उनकी सभी समस्याएं समाप्त हो गई हैं.
दशाश्वमेध घाट के ऊपर विराजमान इस अनोखे मंदिर को बंदी देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है. कहते हैं यहां दर्शन करने से मनुष्य को सभी प्रकार के मुकदमे, फांसी, कोर्ट - कचहरी के चक्कर से मुक्ति मिल जाती है. यही कारण है कि माता के दरबार में मंगलवार को भक्तों का तांता लगा रहता है और नवरात्र के दिनों में मां का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है.
पाताल लोक की देवी हैं बंदी माता
त्रेता युग से लेकर आज भी माता लोगों के दुखों को हरती चली आ रही हैं. ऐसी मान्यता है कि माता पाताल लोक में विराजती हैं. इसलिए इन्हें पाताल देवी भी कहा जाता है. मां बंदी देवी को लेकर ऐसी मान्यता है कि जब अहिरावण राम लक्ष्मण को अपने नाग फांस में बांधकर पाताल लोक ले गया था तब बंदी देवी ने उन्हें नाग फांस से मुक्त कराया था. तभी से इन्हें बंधनों से मुक्त करने वाली देवी कहा जाता है. मां अपने भक्तों की हर मुराद कम समय मे पूरा करती हैं और उन्हें सभी प्रकार के कष्ट के बंधनों से मुक्त करती हैं.दर्शन से मिलती है कानूनी झमेलों से मुक्ति
मंदिर के प्रधान पुजारी ने सुधाकर दुबे ने बताया कि जो भी लोग कोर्ट-कचहरी, कारावास या फांसी के झमेले से परेशान होते हैं. वह यहां आकर के 41 दिन माता का दर्शन, पूजा-अर्चना करते हैं. इसके साथ ही मन्नत पूरी होने पर उनको ताला चाबी चढ़ाते हैं. इसके बाद उनको इस संकट से मुक्ति मिल जाती है. उन्होंने बताया कि मां अपने भक्तों की अर्जी बहुत जल्दी सुनती हैं. माता को चढ़ावे के रूप में चढ़ता है ताला-चाबी
बता दें कि मंगलवार और शुक्रवार को माता की विशेष पूजा की जाती है. नवरात्र में माता का महत्व और महिमा अत्यधिक बढ़ जाती है. यूं तो माता को मालपुआ व गुड़हल का भोग लगाया जाता है. परंतु मुख्य रूप से बंदी देवी माता मंदिर में ताला और चाबी चढ़ाने की परंपरा है. कहते हैं भक्तगण अपनी मन्नत मानकर माता के दरबार में ताला और चाबी चढ़ाते हैं, जिसके बाद भक्त ताला बंद कर चाबी रख लेते हैं. ऐसा कहा जाता है कि जिस किसी भी व्यक्ति की मन्नत पूरी हो जाती है. वह आकर के माता के यहां पूजा-अर्चना करता है और उसके बाद ताले को खोलकर चाबी और ताला दोनों मां गंगा में प्रवाहित कर देता है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि मां के दरबार में देश-विदेश के भक्तों के साथ नामी नेता, माफिया और अधिकारी भी आते हैं और माता के दरबार में ताला-चाबी चढ़ाकर उनसे प्रार्थना करते हैं. उन्होंने बताया कि कई सारे फिल्मी सितारे भी यहां आए हैं और उन्होंने कोर्ट कचहरी जैसे चक्करों से मुक्ति पाने के लिए यहां जप अनुष्ठान भी कराया है. इसके बाद उनकी सभी समस्याएं समाप्त हो गई हैं.