वाराणसी: बनारस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है. प्रधानमंत्री जब भी आते हैं, काशी को हजारों करोड़ों रुपये की योजनाओं की सौगात देकर जाते हैं. लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि इनमें कई सारी ऐसी योजनाएं शामिल है, जो आज तक जमीनी धरातल पर नजर नहीं आई हैं. इनमें से एक नगर निगम की महत्वकांक्षी योजना भी है, जिसके तहत कचरा प्रबंधन के लिए जनपद में कुल 34 मशीनें लगाई जानी थी. जिससे कचरे के दुर्गंध को रोका जा सके. साथ ही कचरे का उचित प्रबंधन भी किया जा सके. लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि जनवरी से शुरू होने वाली यह योजना जमीनी हकीकत पर नजर नहीं आ रही है. 14 करोड़ की लागत का यह प्रोजेक्ट न जाने कागज और दफ्तर में कहां उलझ कर रह गया है.
14 करोड़ की योजना कागजों में हो गई गायब
सरकार ने कचरा प्रबंधन के लिए पोर्टेबल कंपैक्टर ट्रांसफर सिस्टम लगाने का दावा किया था. कहा गया था कि इसमें कचरा प्रबंधन जापानी तकनीक पर आधारित होगा. इसके लिए शहर में 16 जगहों पर 34 कंपैक्टर लगाए जाएंगे. जिससे वाराणसी में कूड़े और कचरे की गंध नहीं आएगी. यह कचरा प्रबंधन योजना जनवरी 2022 से कार्य करना शुरू कर देगी.
इस प्रबंधन की लागत लगभग 14 करोड़ बताई गई थी, लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि आज भी यह योजना सिर्फ कागजों पर ही सीमित है. बनारस में हकीकत के धरातल पर इस योजना का पूर्णतः संचालन 6 महीने बाद भी नजर नहीं आ रहा है. खाना पूर्ति के लिए दो स्थानों पर ट्रांसफर सिस्टम लगा तो दिए गए हैं, लेकिन वह भी अपने स्थिति पर रोना रो रहे हैं.
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प्रशासन का अब भी दावा जल्द होगा काम
इस योजना के तहत यह दावा किया गया था कि सड़क पर तीन प्रकार के कूड़ो के कंपैक्टर रखे जाएंगे, जिसमें सूखा, गीला और अन्य प्रकार के कचरे होंगे. खास बात यह है कि कचरा डालने पर यह सिस्टम कचरे को निचोड़ देगा, जिसके बाद पानी समेत अन्य पूरा नीचे सीवर लाइन में चला जाएगा. कूड़ा गाड़ी जब भर जाएगी तो भी कचरे से भरे कंपैक्टर के जगह दूसरा कंपैक्टर रखा जाएगा. यह सिस्टम इतना प्रभावी होगा कि उसके पास खड़े होने पर नहीं दुर्गंध आएगी नहीं कोई और परेशानी होगी. लेकिन वास्तविकता के धरातल पर ऐसी कोई भी व्यवस्था नजर नहीं आती. इस बारे में नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एनपी सिंह ने बताया कि शहर में 2 स्थानों पर यह सिस्टम लगाया गया है. अन्य स्थानों पर जल्द ही से संचालित कर दिया जाएगा, ताकि आम जनमानस को दिक्कतों का सामना ना करना पड़े.
कई योजनाएं धरातल पर आज भी नहीं दिखतीं
स्थानीय लोगों ने कहा कि योजनाएं ऐसे ही आती और जाती हैं. हकीकत के धरातल पर कुछ नहीं नजर नहीं आता. जनवरी से काम शुरू होना था. लेकिन अभी तक किसी जगह यह सिस्टम नजर नहीं आ रहा, जो पैसा आया था न जाने कहां गायब हो गया. यह सिर्फ इन योजना का हाल नहीं है. कमोबेश हर योजना में यही तस्वीर नजर आ रही है. उन्होंने कहा कि नगर निगम की लापरवाही के कारण आज भी हम लोग कूड़े के दुर्गंध को सहन करने के लिए मजबूर हैं. आज भी चौराहे पर जगह-जगह कूड़े का ढेर लगा होता है,लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं हैं.
निश्चित तौर पर यह हैरान करने वाली बात है क्योंकि इस योजना में जो दावा किया गया था वह दावा हकीकत पर योजना के संचालन के 6 महीने बाद भी नहीं दिखाई दे रहा है. ऐसे में सरकार के उस वादे पर भी सवाल उठ रहा हैं, जिस वादे के तहत यह कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश में योजनाएं समय से पूरी होती हैं और बनारस में स्वच्छता को लेकर के जो दावा किया गया था वह भी वास्तविकता के धरातल पर पूरी तरीके से फेल नजर आ रहा है.
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