वाराणसी : आंगनबाड़ी का तात्पर्य आंगन के आश्रय से है. समय-समय पर सरकार तमाम योजनाओं के तहत आंगनबाड़ी की सुख सुविधाओं को बढ़ाती है. केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा 12वीं योजना के तहत पूरे देश में लगभग 2 लाख आंगनबाड़ी केंद्र बनाए गए थे. ताकि महिलाओं तक पहुंचने वाली सुविधा को आसानी से उनको उपलब्ध कराया जा सके. वर्तमान में आंगनबाड़ी केंद्रों की क्या स्थिति है, वहां पर सुविधाएं हैं या नहीं. इसकी हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के आंगनबाड़ी केंद्रों की रियलिटी चेक की.
शौचालय और पेयजल की व्यवस्था नदारद
सबसे पहले ईटीवी भारत की टीम वाराणसी के पिशाचमोचन आंगनवाड़ी केंद्र पहुंची. यहां आंगनबाड़ी केंद्र एक प्राथमिक विद्यालय में संचालित किया जाता है. वहां पहुंचने के बाद जब वहां की व्यवस्थाओं के बारे में जाना तो वहां मौजूद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सविता श्रीवास्तव ने बताया कि यहां पर विगत कुछ दिन पूर्व राज्यपाल के दौरे को लेकर आंगनबाड़ी कक्ष को और बेहतर बनाया गया था. इसमें पहले से ही बच्चों के लिए दरी और कुर्सी की व्यवस्था की गई है. उन्होंने बताया कि समय-समय पर सरकार द्वारा दी जाने वाली सामग्रियों और योजनाओं को हम आम जन तक पहुंचाते हैं. वहीं पानी, शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं के बाबत उन्होंने बताया कि यह परिसर प्राथमिक विद्यालय में है तो हम यहां के ही भौतिक संरचनाओं का प्रयोग कर अपने दिनचर्या व्यतीत करते हैं. आंगनबाड़ी के लिए अलग से शौचालय और पेयजल की व्यवस्था नहीं की गई है.
लॉक डाउन से ही कुछ केंद्रों पर लटके ताले
उसके बाद ईटीवी भारत की टीम तेलिया बाग स्थित आंगनबाड़ी सेंटर पहुंची. यहां पर भी आंगनबाड़ी केंद्र प्राथमिक विद्यालय में संचालित किया जाता है. लेकिन यहां हैरान करने वाली बात यह थी कि आंगनवाड़ी केंद्र विगत 10 महीने से खोला ही नहीं गया है. लॉकडाउन के समय से यहां पर ताला लटका हुआ है. यहां पर न तो कोई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आते हैं न ही सरकारी योजना में आने वाली सामग्रियों का लोगों में वितरण किया जाता है. और तो और इन दिनों रंगाई पुताई का काम प्राथमिक विद्यालय में चल रहा है, जिस कारण यहां पर लिखा हुआ आंगनबाड़ी केंद्र भी मिट चुका है. आसपास के लोगों का कहना रहा कि यहां पर काम करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नौकरी छोड़ चुकी हैं, इसके बाद से यह बंद पड़ा हुआ है.
आंगनवाड़ी केंद्रों पर लापरवाही
आश्चर्यचकित करने वाली बात यह है कि एक ओर जहां सरकार की ओर से तमाम बजट पास कर इन केंद्रों की सुविधा को बढ़ाए जाने की बात की जाती है. वहीं दूसरी ओर वास्तविकता के धरातल पर सब शून्य के रूप में नजर आता है. आंगनबाड़ी केंद्रों में सभी सुख सुविधाओं को उपलब्ध कराने के बात की गई थी, परन्तु ज्यादातर केंद्र प्राथमिक विद्यालय में संचालित किए जाते हैं. इसके साथ ही अन्य केंद्रों की बात करें तो ताला बंद होना, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का लेट से पहुंचना, सामग्रियों के वितरण में घोटाला जैसी शिकायतें भी आती रहती हैं. विदित हो कि यह हाल शहर के किसी एक आंगनबाड़ी केंद्र का नहीं, अपितु लगभग आंगनबाड़ी केंद्रों का है.