वाराणसी: ठंड का मौसम आते ही लोग अपने घरों की छतों से लेकर छोटी-छोटी क्यारियों में रंग-बिरंगे पेड़ पौधे लगाने नमें जुट जाते हैं. बदलते वक्त के साथ गार्डनिंग का यह शौक और पेड़ पौधे लगाने का तरीका भी बदल रहा है. एक तरफ जहां रंग-बिरंगे खुशबूदार पेड़ पौधे लोगों की क्यारियों में मौजूद रहते हैं. वहीं अब लोग कांटों वाले पौधौं से भी अपने आशियाने को सजाने लगे हैं. वर्तमान समय में लोग रंग-बिरंगे कैक्टस के पौधों को ज्यादा पसंद कर रहे हैं.
पहले से ज्यादा बढ़ी डिमांड
बनारस में पूर्वांचल की सबसे बड़ी नर्सरी चांदपुर इंडस्ट्रियल एरिया में लगती है. नर्सरी एरिया में एक तरफ जहां रंग-बिरंगे पेड़ पौधों की डिमांड है. वहीं एक से बढ़कर एक डिजाइन और रंग-बिरंगे कैक्टस लोगों को खासे पसंद आ रहे हैं. दुकानदारों का कहना है कि पहले घरों में कांटे वाले पेड़ लगाए जाने से लोग बचते थे, लेकिन अब समय बदल चुका है. लोग घरों में नजर ना लगे इसलिए और नेगेटिविटी को खत्म करने के लिए कैक्टस के छोटे-छोटे सुंदर पौधे लगाना चाहते हैं. एक से बढ़कर एक डिजाइन वाले इन पौधों की डिमांड बढ़ गई है. सबसे बड़ी बात यह है कि लोग इसे ना सिर्फ अपने गार्डन में बल्कि अपने लिविंग रूम या हॉल में भी लगाते हैं, जिससे न सिर्फ सुंदरता दिखती है बल्कि पॉजिटिविटी का संचार भी घर में बना रहता है.
कम देखरेख में लग जाते हैं कैक्टस
गार्डनिंग का शौक रखने वालों के लिए सबसे बड़ी चिंता पौधों की देखरेख करना होती है. समय से पानी देना खाद देना और उनकी देखभाल बच्चों की तरह करना सबसे जरूरी होता है, लेकिन बदलते वक्त के साथ कैक्टस का घरों में लगाया जाना ना सिर्फ लोगों को सुकून दे रहा है, बल्कि इनकी कम देखरेख भी लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है. घरों में कैक्टस लगाने वाली महिलाओं का कहना है कि समय के साथ अब कैक्टस की डिमांड भी बढ़ती जा रही है. घर में लगाने से इनकी देखरेख कम करनी होती है. महीने में एक बार भी इन्हें पानी दे दीजिए तो यह स्थिर रहते हैं और घर में इनके होने से नजर भी नहीं लगती और माहौल भी अच्छा रहता है.