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वाराणसी: लॉकडाउन में गरीबों के लिए मसीहा बने CRPF के जवान - मसीहा बने सीआरपीएफ के जवान

अमूमन हमने सेना के जवानों को सीमा पर तैनात रहकर दुश्मनों से देश की सुरक्षा करते देखा है, लेकिन कोरोना वैश्विक महामारी के दौर में ये जवान सरहद से लेकर घरों तक लोगों की सुरक्षा कर रहे हैं. वाराणसी में सीआरपीएफ के जवान घर-घर जाकर लोगों तक राशन पहुंचा रहे हैं और उनको मास्क भी दे रहे हैं. देखिए वाराणसी से यह स्पेशल रिपोर्ट...

crpf soldiers became messiahs for poor people in varanasi
वाराणसी में लॉकडाउन में गरीबों के लिए मसीहा बने सीआरपीएफ के जवान.
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Published : May 13, 2020, 6:57 AM IST

वाराणसी: भारत सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन की घोषणा की है. लॉकडाउन में लोग भले ही अपने घरों में हैं, लेकिन उनके सामने भुखमरी जैसी सबसे बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है. लोग अपने काम पर नहीं जा पा रहे हैं और न ही वो पैसे कमा पा रहे हैं. ऐसे में उनके सामने अपना और अपने परिवार का पेट पालना मुश्किल हो रहा है.

गरीबों के लिए मसीहा बने सीआरपीएफ के जवान

हालांकि इन लोगों तक सरकार व स्थानीय प्रशासन भोजन पहुंचा रहा है. फिर भी एक बड़ा तबका है, जो भूखे पेट सोने के लिए मजबूर हैं. ऐसे गरीब व असहाय लोगों के लिए इन दिनों सीआरपीएफ 95 बटालियन के जवान मसीहा बनकर सामने आए हैं.

सीआरपीएफ के घर-घर जाकर लोगों तक राशन पहुंचा रहे हैं और पूरे क्षेत्र को विसंक्रमित कर रहे हैं. साथ ही सीआरपीएफ के जवान लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग करने के साथ ही उनमें मास्क भी दे रहे हैं. इनके इस काम की लोग तारीफ कर रहे हैं.

'अंतिम सांस तक निभाएंगे अपना फर्ज'
जब ईटीवी भारत की टीम ने सीआरपीएफ कमांडेंट एनपी सिंह से उनके इस अभियान के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि ये हमारा देश के प्रति फर्ज है और हम इसे अपनी अंतिम सांस तक निभाएंगे. लॉकडाउन के दौर में हमारे जवान अपनी ड्यूटी करने के साथ गरीबों की मदद कर रहे हैं, जिस पर हमें गर्व है.

लोगों को दिया राशन और मास्क
उन्होंने बताया कि सूचना मिली थी कि यहां के लोगों के पास भोजन की व्यवस्था नहीं है जिससे ये सब लोग बहुत परेशान हैं. इसके बाद नवापुरा गांव में लोगों के बीच 40 पैकेट राशन, 200 पीस स्वनिर्मित थ्री लेयर कॉटन मास्क वितरित किया गया है. गांव के लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग भी कराई गई. साथ ही साथ पूरे गांव में सोडियम हाइपोक्लोराइट रसायन का छिड़काव कर विसंक्रमित भी किया गया. यहां सभी लोगों को होम्योपैथिक की दवा भी दी गयी है, जिससे उनकी रोग प्रतिरोध क्षमता अच्छी रहे.

'किसी ने नहीं की हमारी मदद'
वहीं गांव की महिला ने बताया कि पहले कभी भी कोई यहां राशन बांटने के लिए नहीं आया. हमारे सामने लॉकडाउन के शुरुआती दौर से ही खाने की बहुत समस्या थी. हमने कई लोगों से मदद की गुहार भी लगाई, लेकिन किसी ने हमारी मदद नहीं की.

वाराणसी: कलाकारों की इस पारंपरिक गली में कुछ इस अंदाज में दी जा रही कोरोना को मात

'अब कुछ दिन गुजारा हो सकेगा'
गांव के लोगों का कहना है कि सीआरपीएफ जवानों ने राशन के पैकेट दिए हैं. इसके साथ ही हम सभी को मास्क और होम्योपैथिक दवा भी दी है. हम सब इससे बेहद खुश हैं. उनकी मदद से अब हमारा कुछ दिन तक गुजारा हो सकेगा.

वाराणसी: भारत सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन की घोषणा की है. लॉकडाउन में लोग भले ही अपने घरों में हैं, लेकिन उनके सामने भुखमरी जैसी सबसे बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है. लोग अपने काम पर नहीं जा पा रहे हैं और न ही वो पैसे कमा पा रहे हैं. ऐसे में उनके सामने अपना और अपने परिवार का पेट पालना मुश्किल हो रहा है.

गरीबों के लिए मसीहा बने सीआरपीएफ के जवान

हालांकि इन लोगों तक सरकार व स्थानीय प्रशासन भोजन पहुंचा रहा है. फिर भी एक बड़ा तबका है, जो भूखे पेट सोने के लिए मजबूर हैं. ऐसे गरीब व असहाय लोगों के लिए इन दिनों सीआरपीएफ 95 बटालियन के जवान मसीहा बनकर सामने आए हैं.

सीआरपीएफ के घर-घर जाकर लोगों तक राशन पहुंचा रहे हैं और पूरे क्षेत्र को विसंक्रमित कर रहे हैं. साथ ही सीआरपीएफ के जवान लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग करने के साथ ही उनमें मास्क भी दे रहे हैं. इनके इस काम की लोग तारीफ कर रहे हैं.

'अंतिम सांस तक निभाएंगे अपना फर्ज'
जब ईटीवी भारत की टीम ने सीआरपीएफ कमांडेंट एनपी सिंह से उनके इस अभियान के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि ये हमारा देश के प्रति फर्ज है और हम इसे अपनी अंतिम सांस तक निभाएंगे. लॉकडाउन के दौर में हमारे जवान अपनी ड्यूटी करने के साथ गरीबों की मदद कर रहे हैं, जिस पर हमें गर्व है.

लोगों को दिया राशन और मास्क
उन्होंने बताया कि सूचना मिली थी कि यहां के लोगों के पास भोजन की व्यवस्था नहीं है जिससे ये सब लोग बहुत परेशान हैं. इसके बाद नवापुरा गांव में लोगों के बीच 40 पैकेट राशन, 200 पीस स्वनिर्मित थ्री लेयर कॉटन मास्क वितरित किया गया है. गांव के लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग भी कराई गई. साथ ही साथ पूरे गांव में सोडियम हाइपोक्लोराइट रसायन का छिड़काव कर विसंक्रमित भी किया गया. यहां सभी लोगों को होम्योपैथिक की दवा भी दी गयी है, जिससे उनकी रोग प्रतिरोध क्षमता अच्छी रहे.

'किसी ने नहीं की हमारी मदद'
वहीं गांव की महिला ने बताया कि पहले कभी भी कोई यहां राशन बांटने के लिए नहीं आया. हमारे सामने लॉकडाउन के शुरुआती दौर से ही खाने की बहुत समस्या थी. हमने कई लोगों से मदद की गुहार भी लगाई, लेकिन किसी ने हमारी मदद नहीं की.

वाराणसी: कलाकारों की इस पारंपरिक गली में कुछ इस अंदाज में दी जा रही कोरोना को मात

'अब कुछ दिन गुजारा हो सकेगा'
गांव के लोगों का कहना है कि सीआरपीएफ जवानों ने राशन के पैकेट दिए हैं. इसके साथ ही हम सभी को मास्क और होम्योपैथिक दवा भी दी है. हम सब इससे बेहद खुश हैं. उनकी मदद से अब हमारा कुछ दिन तक गुजारा हो सकेगा.

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