वाराणसी: इस समय दुनिया भर में कोरोना के खिलाफ युद्ध लड़ जा रहा है. दुनिया के बड़े-बड़े देशों को घुटने पर ला देने वाले इस वायरस का प्रभाव भारत में भी काफी संख्या में दिखने लगा है. इस कड़ी में देशवासियों के साथ-साथ देश को आंतरिक और बाहरी ताकतों से सुरक्षित रखने वाले अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ के जवान भी इस विपदा की मुश्किल घड़ी में अपना सर्वस्व मातृभूमि पर न्योछावर करने के लिए तैयार हैं.
इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी सीआरपीएफ के जवान लगातार अपनी जान की परवाह किए बिना इस दौर में लोगों की मदद करने में जुटे हुए हैं. चाहे वह जरूरतमंदों तक राशन पहुंचाना हो या फिर संक्रमित एरिया को संक्रमण मुक्त बनाने के लिए वहां पर दवाओं का छिड़काव करना हो.
इन जवानों की सेवा भाव से इतर यदि हम उनके निजी जिंदगी के बारे में बात करें तो इनके जिंदगी पूणतः त्यागो से भरी हुई है. भले ही इनकी सांसों में देश सेवा की बात चलती हो, दिल में देश सेवा के जज्बात हो, लेकिन इनको भी अपने परिवार की परवाह है. यह भी उनके लिए तड़पते हैं. यह जानते हुए भी कि यह लोग मुश्किल हालात में होते हैं, अपनी जान जोखिम में डालकर देशवासियों की रक्षा करते हैं.
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ईटीवी भारत की टीम ने वीर सपूतों से बात की तो उनका दर्द उनकी बातों में स्पष्ट रूप से देखने को मिला. उनके जुबान और दिल से मातृभूमि के लिए सेवार्थ बातें निकल रही थी, लेकिन मन के एक कोने में परिवार वालों के प्यार और उनकी याद भी दिखाई दी.
सीआरपीएफ जवान का कहना है कि जब देश को हमारी जैसे जरूरत पड़ेगी हम वैसे खड़े रहेंगे. उग्रवाद से लड़ने के लिए हम हाथों में हथियार रखते हैं और कोरोना से लड़ने के लिए हम हाथों में सेनिटाइजर लिए हुए हैं. उन्होंने बताया कि हम घर वालों को समझा देते हैं कि हम ठीक हैं. कभी-कभी हालात ऐसे भी होते हैं कि उनको बताते भी नहीं कि हम कहां हैं क्योंकि यदि उन्हें सच बता दिया तो वह परेशान होंगे, जो हम चाहते नहीं हैं.
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सीआरपीएफ इंस्पेक्टर राजीव कुमार का कहना है कि सीआरपीएफ का प्रशिक्षण बहुत बेहतरीन प्रशिक्षण होता है. शुरू से ही हमको सिखाया जाता है कि हमें देश के लिए जीना और मरना है. हमारे सारे जवान इतने परिपक्व हो जाते हैं कि वह देश के लिए कुछ भी करने को तैयार होते हैं. उन्होंने कहा कि यदि परिवार की बात है तो हम परिवार को समझा कर रखते हैं और परिवार वालों को भी धीरे-धीरे आदत पड़ जाती है. उनका इतना कहना होता है कि आप जहां भी रहे ठीक रहिए.