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कोविड जांच केंद्रों पर लग रही लंबी कतारें, देखिए ये रिपोर्ट... - वाराणसी में कोविड जांच

कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने टेस्टिंग में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं. यूपी के वाराणसी जिले में कोरोना जांच सेंटरों पर लोगों की लंबी-लबीं कतारें लग रही हैं. लोग सुबह से ही जांच केंद्रों पर पहुंच रहे हैं. डॉक्टरों का मानना है कि इससे कोरोना और तेजी से फैल सकता है.

कोविड जांच केंद्रों पर लग रही लंबी कतारकोविड जांच केंद्रों पर लग रही लंबी कतार
कोविड जांच केंद्रों पर लग रही लंबी कतार
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Published : Apr 21, 2021, 9:30 PM IST

वाराणसी: कोविड-19 का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. पिछले बार की तुलना में इस बार नया वायरस इतना ज्यादा पावरफुल है कि आसपास किसी भी संक्रमित मरीज के होने की वजह से एक बार में 10 से 15 लोगों के संक्रमित होने की आशंका भी बढ़ गई है. यह हम नहीं बल्कि खुद डॉक्टर्स कर रहे हैं, लेकिन इन सबके बीच कोविड अस्पतालों के साथ ही कोरोना जांच केंद्रों पर उमड़ रही लोगों की भारी भीड़ इस संक्रमण के फैलाव को और भी तेज करने में कोई कमी नहीं रख रही है. सबसे बुरे हालात तो सरकारी अस्पतालों में लंबी-लंबी लाइनें लगाकर जांच करवाने के लिए पहुंच रहे उन लोगों के लिए हैं, जो सिर्फ नॉर्मल सर्दी, खांसी, जुखाम के लक्षणों से परेशान होकर कोविड की आशंका में जांच करवाने जा रहे हैं. ऐसे लोग वहां मौजूद किसी कोविड संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद न सिर्फ संक्रमित हो सकते हैं, बल्कि इस खतरनाक वायरस को दूसरों में फैलाने में एक स्प्रेडर का काम भी कर सकते है. कुल मिलाकर बनारस ही नहीं बल्कि प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में कोरोना वायरस के लिए उमड़ रही भीड़ के बीच अस्पताल इस वायरस को बांटने का बड़ा सेंटर साबित हो सकते हैं.

कोविड जांच केंद्रों पर लग रही लंबी कतार को लेकर ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट देखिए...

हर जांच केंद्र के बुरे हैं हालात

जांच केंद्रों पर उमड़ रही भीड़ को देखते हुए जरूरत है लंबी-लंबी लाइन को रोकने के साथ ही जांच केंद्रों की संख्या बढ़ाने की, जिससे कि सरकारी अस्पतालों के जांच केंद्र कोरोना वायरस के फैलाव में मददगार ना साबित हों. दरअसल वाराणसी में बीएचयू स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल, मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा दीन दयाल उपाध्याय हॉस्पिटल के साथ ही कुल 8 जगहों पर कोविड-19 की जांच की जा रही है. इनमें ग्रामीण क्षेत्रों के सीएचसी और पीएचसी भी शामिल हैं.

हर रोज 5000 से ज्यादा सैंपल कलेक्ट किए जा रहे हैं

दावा है कि प्रतिदिन 5000 से ज्यादा सैंपल कलेक्ट किए जा रहे हैं. प्रतिदिन 2000 से ज्यादा पॉजिटिव मरीज भी सामने आ रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, एयरपोर्ट समेत अन्य जगहों पर एंटीजन टेस्ट कराए जा रहे हैं जो एक कैसेट में संपन्न होते हैं. नाक से सैंपल कलेक्ट कर एक छोटे से कैसेट में रखने के बाद 40 सेकेंड के अंदर ही सिंगल लाइन नेगेटिव और डबल लाइन पॉजिटिव होने का संकेत दे देती है. इसमें संशय होने की स्थिति में आरटीपीसीआर कंप्लीट होता है, जो सरकारी अस्पतालों और कुछ प्राइवेट अस्पतालों में ही किया जा रहा है. इसमें भी नाक या गले से सैंपल कलेक्ट किया जाता है और इसे जांच के लिए भेजा जाता है. नॉर्मल रिपोर्ट 24 से 48 घंटे में हासिल होती है, लेकिन ज्यादा लोड की वजह से इस वर्ष 4 से 5 दिन तक लग जा रहे हैं. इन दो प्रोसेस के लिए लोगों की भारी भीड़ जांच केंद्रों पर हो रही है.

लग रही है लंबी-लंबी लाइनें

हर जांच केंद्र के हालात लगभग एक जैसे ही हैं. सुबह 9:00 बजे से लेकर 2:00 बजे तक जांच का वक्त निर्धारित होने की वजह से लोगों की लंबी लंबी लाइन इन जांच केंद्रों पर लग रही है. एक बार में लगभग छोटे केंद्रों पर सौ से डेढ़ सौ लोगों की जांच ही हो पा रही है, जबकि बड़े केंद्रों पर 500 से 800 लोगों की जांच पूरी की जा रही है. लेकिन इन जांच केंद्रों पर उमड़ रही लोगों की भारी भीड़ इस वायरस के फैलाव में बड़ी मददगार साबित हो सकती है. हालात यह हैं कि बीएचयू सर सुंदरलाल समेत पंडित दीनदयाल उपाध्याय और मंडलीय अस्पताल में उमड़ रही लोगों की भीड़ और लंबी लंबी कतार के बीच कई ऐसे मरीज भी हैं जो सिर्फ आशंका में कोविड जांच कराने पहुंच रहे हैं.

जांच केंद्रों की स्थिति खराब

इस बारे में डॉक्टर आलोक भारद्वाज का कहना है कि अस्पताल कोरोना स्प्रेड का सेंटर नहीं बन सकते हैं, लेकिन सरकारी अस्पतालों के जांच केंद्रों की स्थिति सच में खराब हो चुकी है. अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं बंद कर दी गई हैं और जिन अस्पतालों में कोविड के मरीज भर्ती हो रहे हैं, वहां पर अंदर जाने की अनुमति किसी भी परिवार के सदस्य को नहीं है. इतना ही नहीं जांच के लिए भी जिस स्थान को प्राइवेट अस्पतालों ने निर्धारित किया है वहां सिर्फ संबंधित व्यक्ति को ही भेजा जा रहा है, जिसको कोई भी सिम्टम समझ में नहीं आ रहा है, लेकिन बाकी सरकारी अस्पतालों में लंबी-लंबी कतारों के बीच इस वायरस से ग्रसित कई लोग मौजूद हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि कोरोना का यह नया रूप और भी ज्यादा खतरनाक है.

एक व्यक्ति के संक्रमित होने या उसके संपर्क में आने के बाद इस वायरस से एक ही बार में 15 लोग संक्रमित हो सकते हैं. इसलिए बेहद जरूरी है कि जब भी जांच केंद्र पर जाएं तो बेहद सावधानी बरतें. अस्पतालों को भी टाइम टू टाइम जांच केंद्रों के बाहर सैनिटाइजेशन कराने के साथ ही बेहद कड़े नियम लागू करवाने की जरूरत है. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हर हाल में हो, लोग ऐसी जगहों पर संभव हो तो डबल मास्क पहनकर जाएं, नहीं तो मास्क परमानेंट ऊपर रखें, उसे छुए नहीं और अपने हाथ को बार-बार सैनिटाइज जरूर करते रहें. सावधानियों के साथ यदि जांच केंद्र पर कोई व्यक्ति जाता है और भीड़ में शामिल भी होता है तो उसकी सावधानी से वह संक्रमित होने से बच सकता है, लेकिन जांच केंद्रों पर उमड़ रही भीड़ के बीच बेहद अलग होकर रहने की जरूरत है. क्योंकि यहां से वायरस फैल सकता है.

जांच के लिए आने वाले घूम रहे बेपरवाह होकर

वहीं लोगों का भी साफ तौर पर कहना है कि जांच कराने के लिए उमड़ रही भीड़ के बीच तो जाने से भी डर लग रहा है, लेकिन जांच केंद्रों पर भीड़ की वजह से 1 दिन में जांच भी नहीं हो पा रही है. बार-बार दौड़ाया जा रहा है. यानी यह साफ है कि जांच केंद्रों पर पहुंच रहे लोगों को शहर में बेखौफ होकर छोड़ दिया जा रहा है, जो इस खतरनाक वायरस को यहां से ले जाकर दूसरों के बीच भी फैला रहे हैं. इसलिए जांच केंद्रों पर पहुंच रहे लोगों की सुरक्षा के साथ यहां से बाहर निकल रहे लोगों की निगरानी भी बेहद जरूरी है.

वाराणसी: कोविड-19 का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. पिछले बार की तुलना में इस बार नया वायरस इतना ज्यादा पावरफुल है कि आसपास किसी भी संक्रमित मरीज के होने की वजह से एक बार में 10 से 15 लोगों के संक्रमित होने की आशंका भी बढ़ गई है. यह हम नहीं बल्कि खुद डॉक्टर्स कर रहे हैं, लेकिन इन सबके बीच कोविड अस्पतालों के साथ ही कोरोना जांच केंद्रों पर उमड़ रही लोगों की भारी भीड़ इस संक्रमण के फैलाव को और भी तेज करने में कोई कमी नहीं रख रही है. सबसे बुरे हालात तो सरकारी अस्पतालों में लंबी-लंबी लाइनें लगाकर जांच करवाने के लिए पहुंच रहे उन लोगों के लिए हैं, जो सिर्फ नॉर्मल सर्दी, खांसी, जुखाम के लक्षणों से परेशान होकर कोविड की आशंका में जांच करवाने जा रहे हैं. ऐसे लोग वहां मौजूद किसी कोविड संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद न सिर्फ संक्रमित हो सकते हैं, बल्कि इस खतरनाक वायरस को दूसरों में फैलाने में एक स्प्रेडर का काम भी कर सकते है. कुल मिलाकर बनारस ही नहीं बल्कि प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में कोरोना वायरस के लिए उमड़ रही भीड़ के बीच अस्पताल इस वायरस को बांटने का बड़ा सेंटर साबित हो सकते हैं.

कोविड जांच केंद्रों पर लग रही लंबी कतार को लेकर ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट देखिए...

हर जांच केंद्र के बुरे हैं हालात

जांच केंद्रों पर उमड़ रही भीड़ को देखते हुए जरूरत है लंबी-लंबी लाइन को रोकने के साथ ही जांच केंद्रों की संख्या बढ़ाने की, जिससे कि सरकारी अस्पतालों के जांच केंद्र कोरोना वायरस के फैलाव में मददगार ना साबित हों. दरअसल वाराणसी में बीएचयू स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल, मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा दीन दयाल उपाध्याय हॉस्पिटल के साथ ही कुल 8 जगहों पर कोविड-19 की जांच की जा रही है. इनमें ग्रामीण क्षेत्रों के सीएचसी और पीएचसी भी शामिल हैं.

हर रोज 5000 से ज्यादा सैंपल कलेक्ट किए जा रहे हैं

दावा है कि प्रतिदिन 5000 से ज्यादा सैंपल कलेक्ट किए जा रहे हैं. प्रतिदिन 2000 से ज्यादा पॉजिटिव मरीज भी सामने आ रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, एयरपोर्ट समेत अन्य जगहों पर एंटीजन टेस्ट कराए जा रहे हैं जो एक कैसेट में संपन्न होते हैं. नाक से सैंपल कलेक्ट कर एक छोटे से कैसेट में रखने के बाद 40 सेकेंड के अंदर ही सिंगल लाइन नेगेटिव और डबल लाइन पॉजिटिव होने का संकेत दे देती है. इसमें संशय होने की स्थिति में आरटीपीसीआर कंप्लीट होता है, जो सरकारी अस्पतालों और कुछ प्राइवेट अस्पतालों में ही किया जा रहा है. इसमें भी नाक या गले से सैंपल कलेक्ट किया जाता है और इसे जांच के लिए भेजा जाता है. नॉर्मल रिपोर्ट 24 से 48 घंटे में हासिल होती है, लेकिन ज्यादा लोड की वजह से इस वर्ष 4 से 5 दिन तक लग जा रहे हैं. इन दो प्रोसेस के लिए लोगों की भारी भीड़ जांच केंद्रों पर हो रही है.

लग रही है लंबी-लंबी लाइनें

हर जांच केंद्र के हालात लगभग एक जैसे ही हैं. सुबह 9:00 बजे से लेकर 2:00 बजे तक जांच का वक्त निर्धारित होने की वजह से लोगों की लंबी लंबी लाइन इन जांच केंद्रों पर लग रही है. एक बार में लगभग छोटे केंद्रों पर सौ से डेढ़ सौ लोगों की जांच ही हो पा रही है, जबकि बड़े केंद्रों पर 500 से 800 लोगों की जांच पूरी की जा रही है. लेकिन इन जांच केंद्रों पर उमड़ रही लोगों की भारी भीड़ इस वायरस के फैलाव में बड़ी मददगार साबित हो सकती है. हालात यह हैं कि बीएचयू सर सुंदरलाल समेत पंडित दीनदयाल उपाध्याय और मंडलीय अस्पताल में उमड़ रही लोगों की भीड़ और लंबी लंबी कतार के बीच कई ऐसे मरीज भी हैं जो सिर्फ आशंका में कोविड जांच कराने पहुंच रहे हैं.

जांच केंद्रों की स्थिति खराब

इस बारे में डॉक्टर आलोक भारद्वाज का कहना है कि अस्पताल कोरोना स्प्रेड का सेंटर नहीं बन सकते हैं, लेकिन सरकारी अस्पतालों के जांच केंद्रों की स्थिति सच में खराब हो चुकी है. अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं बंद कर दी गई हैं और जिन अस्पतालों में कोविड के मरीज भर्ती हो रहे हैं, वहां पर अंदर जाने की अनुमति किसी भी परिवार के सदस्य को नहीं है. इतना ही नहीं जांच के लिए भी जिस स्थान को प्राइवेट अस्पतालों ने निर्धारित किया है वहां सिर्फ संबंधित व्यक्ति को ही भेजा जा रहा है, जिसको कोई भी सिम्टम समझ में नहीं आ रहा है, लेकिन बाकी सरकारी अस्पतालों में लंबी-लंबी कतारों के बीच इस वायरस से ग्रसित कई लोग मौजूद हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि कोरोना का यह नया रूप और भी ज्यादा खतरनाक है.

एक व्यक्ति के संक्रमित होने या उसके संपर्क में आने के बाद इस वायरस से एक ही बार में 15 लोग संक्रमित हो सकते हैं. इसलिए बेहद जरूरी है कि जब भी जांच केंद्र पर जाएं तो बेहद सावधानी बरतें. अस्पतालों को भी टाइम टू टाइम जांच केंद्रों के बाहर सैनिटाइजेशन कराने के साथ ही बेहद कड़े नियम लागू करवाने की जरूरत है. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हर हाल में हो, लोग ऐसी जगहों पर संभव हो तो डबल मास्क पहनकर जाएं, नहीं तो मास्क परमानेंट ऊपर रखें, उसे छुए नहीं और अपने हाथ को बार-बार सैनिटाइज जरूर करते रहें. सावधानियों के साथ यदि जांच केंद्र पर कोई व्यक्ति जाता है और भीड़ में शामिल भी होता है तो उसकी सावधानी से वह संक्रमित होने से बच सकता है, लेकिन जांच केंद्रों पर उमड़ रही भीड़ के बीच बेहद अलग होकर रहने की जरूरत है. क्योंकि यहां से वायरस फैल सकता है.

जांच के लिए आने वाले घूम रहे बेपरवाह होकर

वहीं लोगों का भी साफ तौर पर कहना है कि जांच कराने के लिए उमड़ रही भीड़ के बीच तो जाने से भी डर लग रहा है, लेकिन जांच केंद्रों पर भीड़ की वजह से 1 दिन में जांच भी नहीं हो पा रही है. बार-बार दौड़ाया जा रहा है. यानी यह साफ है कि जांच केंद्रों पर पहुंच रहे लोगों को शहर में बेखौफ होकर छोड़ दिया जा रहा है, जो इस खतरनाक वायरस को यहां से ले जाकर दूसरों के बीच भी फैला रहे हैं. इसलिए जांच केंद्रों पर पहुंच रहे लोगों की सुरक्षा के साथ यहां से बाहर निकल रहे लोगों की निगरानी भी बेहद जरूरी है.

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