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युवती के अपहरण मामले में कोर्ट ने अख्तियार किया सख्त रुख, दिए ये आदेश - चौक थाना क्षेत्र से अपह्यत हुई युवती

वाराणसी जिले में चौक थाना क्षेत्र से अपह्यत हुई युवती को बिना उसके पिता की सहमति और बिना न्यायालय व प्रशासनिक आदेश के नारी संरक्षण गृह में दाखिल किया गया था. इस मामले में विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने घोर लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई न किए जाने पर सख्त रुख अख्तियार किया है.

varanasi court special judge
विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रवि कुमार दिवाकर.
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Published : Feb 28, 2021, 4:05 PM IST

वाराणसी : विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट ने घोर लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई न किए जाने पर सख्त रुख अख्तियार किया है. बता दें कि चौक थाना क्षेत्र से अपह्यत हुई युवती को बिना उसके पिता की सहमति व न्यायालय व प्रशासनिक आदेश के नारी संरक्षण गृह में दाखिल किया गया था.

जानकारी देते वादी के अधिवक्ता.

वादी के अधिवक्ता व सेंट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विवेक शंकर तिवारी ने बताया कि चौक थाना क्षेत्र की रहने वाली युवती का गुजरात के रहने वाले लड़के से पब जी गेम के माध्यम से परिचय हुआ. चूंकि युवती स्वास्थ्य मानसिकता की नहीं थी. इस वजह से बहला फुसलाकर लड़का युवती को गुजरात ले गया. वहीं युवती के पिता द्वारा एक अभियोग चौक थाने में दर्ज कराया गया.

पुलिस पर उठे सवाल

विवेक शंकर तिवारी ने कहा कि पुलिस ने लड़की की बरामदगी के लिए प्रयास किया और दोनों लोनावला महाराष्ट्र से पकड़े गए. उस समय पुलिस के साथ लड़की के पिता व रिश्तेदार भी गए थे. दोनों को पकड़कर वाराणसी चौक थाने ले आया गया. वहीं इसके बाद पुलिस ने लड़के को बिना किसी कानूनी औपचारिकता के पूरा किए छोड़ दिया. जब पिता द्वारा लड़की की सुपुर्दगी के लिए लड़की का मानसिक रूप से अस्वस्थ संबंधी चिकित्सकीय प्रमाण पत्र दिया गया तो उसे मामले के विवेचक दारोगा सुरेंद्र यादव ने लेने से इनकार कर दिया.

प्रभारी निरीक्षक को भी पिता द्वारा सारी चीजें दिखाई गई, लेकिन उसके बाद लड़की को बिना किसी न्यायालय व प्रशासनिक आदेश व लड़की के पिता के सहमति के बिना ही नारी संरक्षण गृह में दाखिल कर दिया. बाद में विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां पिता द्वारा एक प्रार्थना पत्र दिया गया. वहीं न्यायालय ने मामले में एक विस्तृत आदेश पारित कर प्रभारी निरीक्षक चौक व उप निरीक्षक सुरेन्द यादव से स्पष्टीकरण मांगा, लेकिन इनके द्वारा संतोषजनक जवाब न देने के कारण न्यायालय ने पुनः इनके विरुद्ध वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से जांच टीम गठित कर रिपोर्ट देने के लिए कहा.

न्यायालय ने पारित किया आदेश

मामले में जांच टीम गठित की गई. पुलिस उपाधीक्षक सुरक्षा द्वारा जांच की गई, जिसमें दोनों पुलिस अधिकारी दोषी पाए गए. वहीं दोषी पाए जाने पर भी इनके विरुद्ध कोई अभियोग दर्ज नहीं किया गया, जिस पर न्यायालय द्वारा सख्त रुख अख्तियार करते हुए 25 फरवरी को एक आदेश पारित किया गया, जिसमें प्रमुख सचिव गृह, पुलिस महानिदेशक लखनऊ और पुलिस महानिरीक्षक वाराणसी परिक्षेत्र से पूछा गया कि अभी तक प्रभारी निरीक्षक व विवेचक के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत क्यों नहीं किया गया है.

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8 मार्च को होगी अगली सुनवाई

इस मामले में सुनवाई के लिए अगली तिथि 8 मार्च की तय की गई है. न्यायालय ने सख्ती से कहा है कि इस प्रकरण में अगर पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध समुचित धाराओं के अंतर्गत मुकदमा दर्ज नहीं करवाया जाता है तो न्यायालय अपनी प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करके पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा कायम करने के लिए बाध्य होगी.

वाराणसी : विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट ने घोर लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई न किए जाने पर सख्त रुख अख्तियार किया है. बता दें कि चौक थाना क्षेत्र से अपह्यत हुई युवती को बिना उसके पिता की सहमति व न्यायालय व प्रशासनिक आदेश के नारी संरक्षण गृह में दाखिल किया गया था.

जानकारी देते वादी के अधिवक्ता.

वादी के अधिवक्ता व सेंट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विवेक शंकर तिवारी ने बताया कि चौक थाना क्षेत्र की रहने वाली युवती का गुजरात के रहने वाले लड़के से पब जी गेम के माध्यम से परिचय हुआ. चूंकि युवती स्वास्थ्य मानसिकता की नहीं थी. इस वजह से बहला फुसलाकर लड़का युवती को गुजरात ले गया. वहीं युवती के पिता द्वारा एक अभियोग चौक थाने में दर्ज कराया गया.

पुलिस पर उठे सवाल

विवेक शंकर तिवारी ने कहा कि पुलिस ने लड़की की बरामदगी के लिए प्रयास किया और दोनों लोनावला महाराष्ट्र से पकड़े गए. उस समय पुलिस के साथ लड़की के पिता व रिश्तेदार भी गए थे. दोनों को पकड़कर वाराणसी चौक थाने ले आया गया. वहीं इसके बाद पुलिस ने लड़के को बिना किसी कानूनी औपचारिकता के पूरा किए छोड़ दिया. जब पिता द्वारा लड़की की सुपुर्दगी के लिए लड़की का मानसिक रूप से अस्वस्थ संबंधी चिकित्सकीय प्रमाण पत्र दिया गया तो उसे मामले के विवेचक दारोगा सुरेंद्र यादव ने लेने से इनकार कर दिया.

प्रभारी निरीक्षक को भी पिता द्वारा सारी चीजें दिखाई गई, लेकिन उसके बाद लड़की को बिना किसी न्यायालय व प्रशासनिक आदेश व लड़की के पिता के सहमति के बिना ही नारी संरक्षण गृह में दाखिल कर दिया. बाद में विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां पिता द्वारा एक प्रार्थना पत्र दिया गया. वहीं न्यायालय ने मामले में एक विस्तृत आदेश पारित कर प्रभारी निरीक्षक चौक व उप निरीक्षक सुरेन्द यादव से स्पष्टीकरण मांगा, लेकिन इनके द्वारा संतोषजनक जवाब न देने के कारण न्यायालय ने पुनः इनके विरुद्ध वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से जांच टीम गठित कर रिपोर्ट देने के लिए कहा.

न्यायालय ने पारित किया आदेश

मामले में जांच टीम गठित की गई. पुलिस उपाधीक्षक सुरक्षा द्वारा जांच की गई, जिसमें दोनों पुलिस अधिकारी दोषी पाए गए. वहीं दोषी पाए जाने पर भी इनके विरुद्ध कोई अभियोग दर्ज नहीं किया गया, जिस पर न्यायालय द्वारा सख्त रुख अख्तियार करते हुए 25 फरवरी को एक आदेश पारित किया गया, जिसमें प्रमुख सचिव गृह, पुलिस महानिदेशक लखनऊ और पुलिस महानिरीक्षक वाराणसी परिक्षेत्र से पूछा गया कि अभी तक प्रभारी निरीक्षक व विवेचक के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत क्यों नहीं किया गया है.

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8 मार्च को होगी अगली सुनवाई

इस मामले में सुनवाई के लिए अगली तिथि 8 मार्च की तय की गई है. न्यायालय ने सख्ती से कहा है कि इस प्रकरण में अगर पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध समुचित धाराओं के अंतर्गत मुकदमा दर्ज नहीं करवाया जाता है तो न्यायालय अपनी प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करके पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा कायम करने के लिए बाध्य होगी.

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