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वैज्ञानिक रिसर्च में गोमती की कोरोना रिपोर्ट आयी पॉजिटिव, गंगा की ये रही रिपोर्ट

वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय और लखनऊ के बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने गंगा और गोमती नदी की कोरोना जांच की है. वैज्ञानिकों के मुताबिक गंगा की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव है, जबकि गोमती नदी की रिपोर्ट पॉजिटिव है.

गंगा और गोमती की कोरोना रिपोर्ट.
गंगा और गोमती की कोरोना रिपोर्ट.
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Published : Jul 12, 2021, 10:25 PM IST

वाराणसी: मोक्षदायिनी मां गंगा आदिकल से पूरे भारतवर्ष को भला कर रही हैं. शायद यही वजह है कि आदिकाल से लोग अपने पाप धोने के लिए गंगा में स्नान करते हैं. वैश्विक महामारी के दौर में लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा हुई कि जिस तरह से संक्रमण से मरे हुए लोगों की डेड बॉडी गंगा में मिल रही है. कहीं गंगा के पानी में भी तो संक्रमण नहीं फैल गया, इसको लेकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय और लखनऊ के बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों की संयुक्त टीम ने शोध किया, जिसका परिणाम निकला कि गंगा के जल में किसी भी प्रकार का संक्रमण नहीं है.

वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय और लखनऊ के बीरबल साहनी पुराविज्ञान इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने सयुंक्त शोध के बाद इसकी रिपोर्ट जारी की है. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश तक जब गंगा में लगातार शवों के मिलने का सिलसिला जारी हुआ था, तब गंगा के किनारे रहने वाले लोगों में यह डर था कि कहीं गंगा के जल में कोरोना वायरस संक्रमण न फैल जाए, जिससे श्रद्धालु गंगा आचमन और गंगा स्नान से डरने लगे थे.


जनमानस में फैले इसी डर की हकीकत जानने के लिए बीएचयू के वैज्ञानिकों ने लगातार चार सप्ताह वाराणसी में अलग-अलग जगहों से गंगा जल के सैंपल लिए. फिर लखनऊ के बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान के डॉ. नीरज राय के लैब में इसकी आरटी पीसीआर (RT-PCR) जांच हुई. महीने भर चली इस जांच के बाद अब गंगा की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई है और अब ये भी साफ हो गया है कि गंगा में स्नान और आचमन से किसी को कोरोना का खतरा नहीं है.

बीरबल साहनी पुराविज्ञान इंस्टीट्यूट के डॉ. नीरज राय से फोन पर बात किया गया, जिसमें बताया कि गंगा में कई तरह के बैक्टीरिया पाए जाते हैं. इनमें वायरस को नष्ट करने की क्षमता होती है. यही वजह रही कि गंगा जल में कोरोना वायरस नहीं पाया गया. इसके अलावा गंगा जल में एन्टी वायरल होता है.


पढ़ें- योगी के नए एक्शन प्लान से काशी में अर्धचन्द्राकार गंगा को मिलेगा नया जीवन या होगा विनाश!

काशी हिन्दू विश्वविधालय जीव विज्ञान विभाग के प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप जब तेज था, तो वाराणसी में गंगा और लखनऊ में गोमती नदी के जल का कोरोना टेस्ट किया गया. इस टेस्ट में गंगा की रिपोर्ट निगेटिव, जबकि गोमती की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. गंगा में अलग-अलग जगहों से सैम्पल्स एकत्र किए गए. इनमें बहते जल के अलावा उन स्थानों का भी चयन किया गया था, जहां गंगा के पानी में ठहराव होता है. उन स्थानों का भी सैंपल लिया, जहां पर जल बहता रहता है. लेकिन इन सभी जल के सैम्पल्स के रिपोर्ट निगेटिव आए हैं. इससे यह सुनिश्चित हुआ कि गंगा के आस-पास रहने वाले लोग न डरें और गंगा में किसी भी प्रकार का कोरोना वायरस नहीं है. हम इसे आगे यह भी जांच करेंगे कि ऐसा क्यों है कि गंगा के जल में संक्रमण नहीं पाया गया.

पढ़ें- गंगा में बहाया जा रहा जहरीला पानी, जिम्मेदार बोले- सब ठीक

वाराणसी: मोक्षदायिनी मां गंगा आदिकल से पूरे भारतवर्ष को भला कर रही हैं. शायद यही वजह है कि आदिकाल से लोग अपने पाप धोने के लिए गंगा में स्नान करते हैं. वैश्विक महामारी के दौर में लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा हुई कि जिस तरह से संक्रमण से मरे हुए लोगों की डेड बॉडी गंगा में मिल रही है. कहीं गंगा के पानी में भी तो संक्रमण नहीं फैल गया, इसको लेकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय और लखनऊ के बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों की संयुक्त टीम ने शोध किया, जिसका परिणाम निकला कि गंगा के जल में किसी भी प्रकार का संक्रमण नहीं है.

वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय और लखनऊ के बीरबल साहनी पुराविज्ञान इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने सयुंक्त शोध के बाद इसकी रिपोर्ट जारी की है. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश तक जब गंगा में लगातार शवों के मिलने का सिलसिला जारी हुआ था, तब गंगा के किनारे रहने वाले लोगों में यह डर था कि कहीं गंगा के जल में कोरोना वायरस संक्रमण न फैल जाए, जिससे श्रद्धालु गंगा आचमन और गंगा स्नान से डरने लगे थे.


जनमानस में फैले इसी डर की हकीकत जानने के लिए बीएचयू के वैज्ञानिकों ने लगातार चार सप्ताह वाराणसी में अलग-अलग जगहों से गंगा जल के सैंपल लिए. फिर लखनऊ के बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान के डॉ. नीरज राय के लैब में इसकी आरटी पीसीआर (RT-PCR) जांच हुई. महीने भर चली इस जांच के बाद अब गंगा की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई है और अब ये भी साफ हो गया है कि गंगा में स्नान और आचमन से किसी को कोरोना का खतरा नहीं है.

बीरबल साहनी पुराविज्ञान इंस्टीट्यूट के डॉ. नीरज राय से फोन पर बात किया गया, जिसमें बताया कि गंगा में कई तरह के बैक्टीरिया पाए जाते हैं. इनमें वायरस को नष्ट करने की क्षमता होती है. यही वजह रही कि गंगा जल में कोरोना वायरस नहीं पाया गया. इसके अलावा गंगा जल में एन्टी वायरल होता है.


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काशी हिन्दू विश्वविधालय जीव विज्ञान विभाग के प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप जब तेज था, तो वाराणसी में गंगा और लखनऊ में गोमती नदी के जल का कोरोना टेस्ट किया गया. इस टेस्ट में गंगा की रिपोर्ट निगेटिव, जबकि गोमती की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. गंगा में अलग-अलग जगहों से सैम्पल्स एकत्र किए गए. इनमें बहते जल के अलावा उन स्थानों का भी चयन किया गया था, जहां गंगा के पानी में ठहराव होता है. उन स्थानों का भी सैंपल लिया, जहां पर जल बहता रहता है. लेकिन इन सभी जल के सैम्पल्स के रिपोर्ट निगेटिव आए हैं. इससे यह सुनिश्चित हुआ कि गंगा के आस-पास रहने वाले लोग न डरें और गंगा में किसी भी प्रकार का कोरोना वायरस नहीं है. हम इसे आगे यह भी जांच करेंगे कि ऐसा क्यों है कि गंगा के जल में संक्रमण नहीं पाया गया.

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