वाराणसी: IIT-BHU में नदियों की स्वच्छता और आने वाली चुनौतियों को लेकर इंडो-डेनिश स्मार्ट प्रयोगशाला (SLCR) पर विशेष सत्र का आयोजन किया गया. इसके साथ ही 'रिवर हेल्थ: एसेस्मेंट टू रेस्टोरेशन (RHAR) 2023' पर तीसरा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन भी आयोजित किया गया था. यह कार्यक्रम IIT-BHU के स्वतंत्रता भवन में हुआ. इस सम्मेलन में नदियों को लेकर शोध करने वाले विशेषज्ञों सहित, राजनेता और शिक्षाविद भी शामिल थे. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार में जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह भी मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में सम्मिलित हुए थे. रॉयल डेनिश दूतावास के राजदूत फ्रेडी स्वेन ने कहा कि आपसी सहयोग से ही नदियों को पुनर्जीवित करने का काम किया जा सकता है.
नदियों के लिए सरकार कर रही प्रयास: वहीं, कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि देश में नदियों को संरक्षित करने के लिए शिक्षा का होना बहुत जरूरी है. नदियों का संरक्षण किया जाना जरूरी है और इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं. सरकार देश में मौजूद जल संसाधनों के लिए बेहतर प्रबंधन कर रही है. इसके साथ ही नदियों की स्वच्छता को लेकर अभियान चलाए जा रहे हैं. देश में शिक्षा के माध्यम से भविष्य में स्थायी लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती है. इसके लिए लोगों को समझना और समझाना जरूरी है. उन्होंने जल संरक्षण और संसाधनों को लेकर केंद्र और राज्य सरकार की चर्चा की.
नदियों के लिए सभी को साथ आना पड़ेगा: समारोह में रॉयल डेनिश दूतावास के राजदूत फ्रेडी स्वेन ने कहा कि आपसी सहयोग से ही नदियों को पुनर्जीवित करने का काम किया जा सकता है. राजनेताओं, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों के सहयोग से ही इस काम को किया जा सकता है. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि नदियों को लेकर और भी बेहतर प्रयास किए जाने चाहिए. इसके साथ ही इनके संरक्षण और पुनर्जीवित करने के लिए हम सभी को एक साथ आगे आना होगा. इस दौरान उन्होंने नदियों को लेकर भविष्य में आने वाली चुनौतियों पर भी चर्चा की और उसके विषय में सभी को पहले से तैयार रहने को कहा. फ्रेडी स्वेन ने नदियों के संरक्षण को लेकर चर्चा भी की.
भविष्य के लिए नदियों को बचाया जाना जरूरी: वहीं, आचार्य एस. मंडल ने नदियों को बचाने के महत्व को लेकर चर्चा की. उन्होंने कहा कि नदियों को बचाया जाना जरूरी है. इनका संरक्षण हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए फायदेमंद होगा. इसका महत्व हमें समझना होगा. उन्होंने कहा कि नदियों का संरक्षण सिर्फ संगठनों नहीं बल्कि आम नागरिकों का भी दायित्व है. इसके साथ ही शैक्षणिक संस्थान, सामाजिक संगठन और शैक्षणिक संस्थानों के छात्र भी इसके लिए आगे आकर प्रयास करें. उन्होंने कहा कि नदियों का संरक्षण हम सभी की जिम्मेदारी है. बता दें कि IIT-BHU में नदियों के संरक्षण पर विशेषज्ञों ने चर्चा की.
दुनियाभर के छात्रों और विशेषज्ञों का होगा सम्मेलन: चर्चा के दौरान कई प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों ने दुनियाभर से नदी स्वास्थ्य कायाकल्प और सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में अपने विचार रखे. इसके साथ ही केस स्टडी भी रखी गई. वहीं देश में जल संसाधनों के प्रबंधन में एनएमसीजी की भूमिका और उपलब्धियों को लेकर बात की गई. डॉ. अनुराग ओहरी ने बताया कि आने वाले दिनों में सम्मेलन में दुनियाभर के छात्रों और विशेषज्ञों की शोध प्रस्तुतियां होंगी. इस दौरान जल संसाधन प्रबंधन, नदी कायाकल्प और भारत को जल सकारात्मक बनाने जैसे विषयों पर बातचीत और प्रस्तुतियां दी जाएंगी. यह सम्मेलन का समापन 14 अक्टूबर को होगा.
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