वाराणसी: कोरोना संक्रमण की रफ्तार बनारस में भले धीमी हो रही हो, लेकिन मौत का आंकड़ा हर रोज डरा रहा है. प्रतिदिन 10 से ज्यादा हो रही मौतों में से अधिकांश मौतें बीएचयू के अस्पताल में हो रही हैं. जिसके बाद अब यह सवाल उठने लगा है कि इस अस्पताल में क्या सब कुछ सही है ? ऐसा इसलिए भी है क्योंकि बीएचयू में भर्ती होने वाले मरीजों के परिजन लापरवाही का आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत लेकर हर रोज जिलाधिकारी कार्यालय पहुंच रहे हैं. प्रूफ के तौर पर कई लोगों ने वीडियो और ऑडियो भी उपलब्ध करवाए हैं. लगातार आ रही शिकायतों के बाद इस पूरे प्रकरण की लिखित शिकायत जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने स्वास्थ्य मंत्रालय से की है.
दो जगह भर्ती हैं मरीज
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के साथ सुंदरलाल अस्पताल मल्टी स्पेशलिटी विंग और ट्रामा सेंटर में मरीजों को भर्ती करने का काम जारी है. जिनमें से मल्टी स्पेशलिटी विंग और ट्रामा सेंटर में कोरोना संक्रमित भर्ती किए जा रहे हैं. इन दोनों जगहों पर भर्ती मरीजों के परिजनों की तरफ से लगातार लापरवाही की शिकायतें जिलाधिकारी से की जा रही है. आरोप यहां तक है कि 12- 12 घंटे बीत जाने के बाद भी कोई डॉक्टर किसी मरीज को देखने नहीं पहुंचता. भर्ती मरीज अपने हाल पर पड़ा रहता है और कई बार बेड से गिर भी जाता है.
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सारनाथ क्षेत्र के रहने वाले लोकनाथ का कहना है कि उनकी समधन बीते दिनों यहां पर भर्ती की गई थी, लेकिन जब उनके परिजन उनको बाहर से देखने के लिए पहुंचे तो वह बेड से नीचे गिरी हुई थी और बार-बार कहने के बाद भी उनकी मदद करने के लिए कोई तैयार नहीं था. इतना ही नहीं, भर्ती मरीजों के कहने के बाद भी उनको न ट्रीटमेंट मिलता है और न ही दवाइयां दी जाती हैं. यह आरोप मरीजों के परिजनों की तरफ से बार-बार लगाया जा रहा है, जिसकी वजह से समय पर इलाज न मिल पाने के कारण मरीजों की मौत हो रही है.
जिला प्रशासन ने अपना सख्त रुख
लगातार बढ़ते मौत के आंकड़े के बीच बीएचयू से आ रहे आंकड़े सबसे ज्यादा खतरनाक हैं. बीएचयू में हो रही मौते और लापरवाही की वजह से एक तरफ जहां जिला प्रशासन की छवि धूमिल हो रही है वहीं लोगों को अपनों को खोने का गम भी सता रहा है. इन सबके बीच वाराणसी के जिला अधिकारी ने इस पूरे मामले में काफी सख्त रुख अपनाया है. उनका साफ तौर पर कहना है कि यह बहुत गंभीर मामला है. इससे जिला प्रशासन की छवि को धूमिल किया जा रहा है. शासन के बाद भी बीएचयू अस्पताल न ही बेड की संख्या डिस्प्ले कर रहा है और न ही अन्य जानकारियां दे रहा है. बार-बार कहने के बाद भी स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है. इसलिए जरूरी है कि पूरे प्रकरण को स्वास्थ्य मंत्रालय स्वयं देखें.
वार्ड में नहीं आते सीनियर डॉक्टर
जिलाधिकारी का कहना है कि लोगों ने यहां तक शिकायत की है कि कोई भी सीनियर डॉक्टर वार्ड में कभी आते ही नहीं हैं. सिर्फ जूनियर डॉक्टरों के बल पर चीजें छोड़ दी गई हैं और जूनियर डॉक्टर भी अपनी मस्ती में रहते हैं. काम से उनको कोई लेना देना नहीं है. यहां तक कि नर्सिंग स्टाफ और हेल्पर भी दूर से ही लोगों की मदद करते हैं. बार-बार बुलाने पर भी कोई मदद के लिए वार्ड में मरीजों के पास नहीं पहुंचता है, जो लोगों की मौत की वजह बन रही हैं.