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सीएम योगी का वाराणसी कनेक्शन क्या निकाय चुनाव को देगा फायदा, जानिए क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक

वाराणसी में निकाय चुनाव को लेकर सियासी माहौल गर्म है. सीएम योगी आदित्यनाथ खुद वाराणसी आ रहे हैं और खुद निकाय चुनाव की बागडोर संभाले हुए है. 1 मई को बड़े जनसभा को भी संबोधित करेंगे.

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सीएम योगी
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Published : Apr 30, 2023, 9:09 PM IST

योगी आदित्यनाथ को वाराणसी से प्रेम

वाराणसीः धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में निकाय चुनाव काफी अहम माना जा रहा है. पहले तो यह पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र है. वहीं, दूसरी तरफ सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए विकास का अभिन्न अंग है. ऐसे में इस बार सीएम योगी आदित्यनाथ की साख भी लगी है. मेयर की सीट भले ही हमेशा से भाजपा के पाले में रही है, लेकिन इस बार सबकी निगाहें योगी आदित्यनाथ पर आकर टिक गई हैं. सीएम योगी लगातार वाराणसी आ रहे हैं और खुद निकाय चुनाव की बागडोर संभाले हुए है. विभिन्न कार्यक्रमों के साथ उन्होंने बीते दिन प्रबुद्ध जन सम्मेलन किया था तो वहीं 1 मई को बड़े जनसभा को भी संबोधित करेंगे.

सीएम योगी लगातार वाराणसी के विकास कार्यों को देखने के लिए दौरे पर रहते हैं. योगी ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने 100 से ज्यादा बार बाबा विश्वनाथ के दरबार में हाजिरी लगाई और लगभग डेढ़ सौ बार से ज्यादा वाराणसी का दौरा कर लिया है. इस कारण वह वाराणसी के लोगों के करीब भी हैं. इसके साथ ही यह प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र भी है.

योगी आदित्यनाथ खुद कर रहे मॉनिटर
इन सभी फैक्टर्स को मिलाकर अब ये देखा जाएगा कि सीएम योगी का लगातार दौरा और वाराणसी की जिम्मेदारी खुद उठाना क्या निकाय चुनाव में भाजपा के लिए फायदेमंद रहेगा. क्योंकि सीएम योगी भी कह चुके हैं निकाय चुनाव वह खुद मॉनिटर कर रहे हैं. वर्तमान में वह लगातार वाराणसी दौरे पर हैं. आगामी एक मई को भी वो जनसभा को संबोधित करेंगे और बनारस में निकाय चुनाव की रणनीति को एक नया धार देंगे.

एक योगी के तौर पर वाराणसी से लगाव
राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर रवि प्रकाश पांडेय का कहना है कि योगी आदित्यनाथ को वाराणसी से प्रेम है. इसमें कोई दो राय नहीं है. इसके पीछे तीन प्रमुख कारण हैं. पहला तो उनका निजी जीवन है. उनका निजी जीवन एक योगी का है और योगी होने के कारण ऐसे सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र जो राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धर्म के केंद्र बिंदु हैं. वहां वह अकसर आते रहते हैं. योगी अपने चित्त और मनोविज्ञान से बहुत ही गहराई से इससे जुड़े हैं.

पीएम मोदी की कमी को पूरा करते हैं योगी
बाबा काशी विश्वनाथ की नगरी है. मुख्यमंत्री एक योगी भी हैं. ऐसे में उनकी दूसरी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री के तौर पर भी है. इस बात पर प्रो रवि प्रकाश पांडेय कहते हैं कि प्रधानमंत्री के लोक सभा क्षेत्र होने के कारण भी उनका एक दायित्व बनता है. उस दायित्व का वह बखूबी निर्वाह भी कर रहे हैं. क्योंकि प्रधानमंत्री तो रोजाना यहां आ नहीं सकते तो उस कमी को योगी पूरा करते हैं. हालांकि पीएम मोदी भी अकसर वाराणसी आते रहते हैं. ऐसे में भाजपा के प्रतिनिधि का यहां पर न होने का कोई खास असर देखने को नहीं मिलेगा.

काशी की सबसे अधिक यात्रा और विकास कार्य
योगी आदित्यनाथ वाराणसी का सौ से अधिक बार दौरा कर चुके हैं. इस बात को वह खुद भी मानते हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ काशी की एक सभा में पहले भी कह चुके हैं कि किसी न किसी बहाने से काशी आना होता है. पिछले 6 साल में सर्वाधिक यात्रा काशी की हुई है, इस पर गर्व होता है. उनका कहना है कि काशी भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक नगरी है. बीते 9 वर्षों में पीएम नरेंद्र मोदी ने काशी को नई पहचान दी है. काशी दुनियाभर के सनातनियों को अपनी ओर आकर्षित करती है.

योगी का वाराणसी की जनता से सीधा संपर्क
योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल से ही वाराणसी का ध्यान रखना शुरू कर दिया था. वह लगातार यहां से जुड़े रहे. प्रो. रवि प्रकाश पांडे का कहना है कि सबसे बड़ी बात है उनका वाराणसी की जनता से सीधे संपर्क में रहना, योगी आदित्यनाथ वाराणसी में हो रहे कार्यों की मॉनिटरिंग करना, जनता के बीच सीधी उपस्थिति दर्ज कराना, भाजपा के कार्यकर्ताओं के साथ सीधा संपर्क रखना, ये सभी कार्य करते हैं. इससे फायदा यह होता है कि जनता को यह आभास नहीं होता है कि हमारा सांसद वो हमसे दूर है और हमारी राजनीतिक सत्ता तक पहुंच नहीं है.

योगी की सकारात्मक और बेहतर छवि
सबसे अहम बात जो है वह है प्रदेश की स्थिति का सुधार. योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्यकाल में प्रदेश में माफियाओं पर कार्रवाई करते हुए एक सख्त छवि बनाई है. प्रो पांडे का कहना है कि योगी आदित्यनाथ का काशी की जनता से लगातार संवाद बना हुआ है. इसका प्रभाव निकाय चुनाव में भी दिखाई पड़ेगा. इसके साथ ही जनता के बीच योगी आदित्यनाथ की एक बेहतर और सकारात्मक छवि बनी हुई है.

प्रदेश में कानून व्यवस्था को किया मजबूत
उन्होंने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था को सख्त बनाए रखने और विकास को आगे बढ़ाने की छवि बनी हुई है. इसका लाभ इस चुनाव में भाजपा को निश्चित तौर पर मिलेगा. वह जिसके लिए भी प्रचार करेंगे पूरी संभावना है कि उसकी जीत होगी. कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो योगी आदित्यनाथ की छवि का भाजपा को लाभ मिलता दिख रहा हैं.

योगी आदित्यनाथ को वाराणसी से प्रेम

वाराणसीः धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में निकाय चुनाव काफी अहम माना जा रहा है. पहले तो यह पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र है. वहीं, दूसरी तरफ सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए विकास का अभिन्न अंग है. ऐसे में इस बार सीएम योगी आदित्यनाथ की साख भी लगी है. मेयर की सीट भले ही हमेशा से भाजपा के पाले में रही है, लेकिन इस बार सबकी निगाहें योगी आदित्यनाथ पर आकर टिक गई हैं. सीएम योगी लगातार वाराणसी आ रहे हैं और खुद निकाय चुनाव की बागडोर संभाले हुए है. विभिन्न कार्यक्रमों के साथ उन्होंने बीते दिन प्रबुद्ध जन सम्मेलन किया था तो वहीं 1 मई को बड़े जनसभा को भी संबोधित करेंगे.

सीएम योगी लगातार वाराणसी के विकास कार्यों को देखने के लिए दौरे पर रहते हैं. योगी ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने 100 से ज्यादा बार बाबा विश्वनाथ के दरबार में हाजिरी लगाई और लगभग डेढ़ सौ बार से ज्यादा वाराणसी का दौरा कर लिया है. इस कारण वह वाराणसी के लोगों के करीब भी हैं. इसके साथ ही यह प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र भी है.

योगी आदित्यनाथ खुद कर रहे मॉनिटर
इन सभी फैक्टर्स को मिलाकर अब ये देखा जाएगा कि सीएम योगी का लगातार दौरा और वाराणसी की जिम्मेदारी खुद उठाना क्या निकाय चुनाव में भाजपा के लिए फायदेमंद रहेगा. क्योंकि सीएम योगी भी कह चुके हैं निकाय चुनाव वह खुद मॉनिटर कर रहे हैं. वर्तमान में वह लगातार वाराणसी दौरे पर हैं. आगामी एक मई को भी वो जनसभा को संबोधित करेंगे और बनारस में निकाय चुनाव की रणनीति को एक नया धार देंगे.

एक योगी के तौर पर वाराणसी से लगाव
राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर रवि प्रकाश पांडेय का कहना है कि योगी आदित्यनाथ को वाराणसी से प्रेम है. इसमें कोई दो राय नहीं है. इसके पीछे तीन प्रमुख कारण हैं. पहला तो उनका निजी जीवन है. उनका निजी जीवन एक योगी का है और योगी होने के कारण ऐसे सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र जो राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धर्म के केंद्र बिंदु हैं. वहां वह अकसर आते रहते हैं. योगी अपने चित्त और मनोविज्ञान से बहुत ही गहराई से इससे जुड़े हैं.

पीएम मोदी की कमी को पूरा करते हैं योगी
बाबा काशी विश्वनाथ की नगरी है. मुख्यमंत्री एक योगी भी हैं. ऐसे में उनकी दूसरी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री के तौर पर भी है. इस बात पर प्रो रवि प्रकाश पांडेय कहते हैं कि प्रधानमंत्री के लोक सभा क्षेत्र होने के कारण भी उनका एक दायित्व बनता है. उस दायित्व का वह बखूबी निर्वाह भी कर रहे हैं. क्योंकि प्रधानमंत्री तो रोजाना यहां आ नहीं सकते तो उस कमी को योगी पूरा करते हैं. हालांकि पीएम मोदी भी अकसर वाराणसी आते रहते हैं. ऐसे में भाजपा के प्रतिनिधि का यहां पर न होने का कोई खास असर देखने को नहीं मिलेगा.

काशी की सबसे अधिक यात्रा और विकास कार्य
योगी आदित्यनाथ वाराणसी का सौ से अधिक बार दौरा कर चुके हैं. इस बात को वह खुद भी मानते हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ काशी की एक सभा में पहले भी कह चुके हैं कि किसी न किसी बहाने से काशी आना होता है. पिछले 6 साल में सर्वाधिक यात्रा काशी की हुई है, इस पर गर्व होता है. उनका कहना है कि काशी भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक नगरी है. बीते 9 वर्षों में पीएम नरेंद्र मोदी ने काशी को नई पहचान दी है. काशी दुनियाभर के सनातनियों को अपनी ओर आकर्षित करती है.

योगी का वाराणसी की जनता से सीधा संपर्क
योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल से ही वाराणसी का ध्यान रखना शुरू कर दिया था. वह लगातार यहां से जुड़े रहे. प्रो. रवि प्रकाश पांडे का कहना है कि सबसे बड़ी बात है उनका वाराणसी की जनता से सीधे संपर्क में रहना, योगी आदित्यनाथ वाराणसी में हो रहे कार्यों की मॉनिटरिंग करना, जनता के बीच सीधी उपस्थिति दर्ज कराना, भाजपा के कार्यकर्ताओं के साथ सीधा संपर्क रखना, ये सभी कार्य करते हैं. इससे फायदा यह होता है कि जनता को यह आभास नहीं होता है कि हमारा सांसद वो हमसे दूर है और हमारी राजनीतिक सत्ता तक पहुंच नहीं है.

योगी की सकारात्मक और बेहतर छवि
सबसे अहम बात जो है वह है प्रदेश की स्थिति का सुधार. योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्यकाल में प्रदेश में माफियाओं पर कार्रवाई करते हुए एक सख्त छवि बनाई है. प्रो पांडे का कहना है कि योगी आदित्यनाथ का काशी की जनता से लगातार संवाद बना हुआ है. इसका प्रभाव निकाय चुनाव में भी दिखाई पड़ेगा. इसके साथ ही जनता के बीच योगी आदित्यनाथ की एक बेहतर और सकारात्मक छवि बनी हुई है.

प्रदेश में कानून व्यवस्था को किया मजबूत
उन्होंने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था को सख्त बनाए रखने और विकास को आगे बढ़ाने की छवि बनी हुई है. इसका लाभ इस चुनाव में भाजपा को निश्चित तौर पर मिलेगा. वह जिसके लिए भी प्रचार करेंगे पूरी संभावना है कि उसकी जीत होगी. कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो योगी आदित्यनाथ की छवि का भाजपा को लाभ मिलता दिख रहा हैं.

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