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हैंडराइटिंग में सुधार, बनेगा UP बोर्ड में अच्छे नंबरों का आधार - वाराणसी न्यूज

बेहतर हैंडराइटिंग के लिए बच्चों को रोजाना 15 से 20 मिनट हैंडराइटिंग की प्रैक्टिस करनी चाहिए. जहां तक हो सके, अपने सब्जेक्ट को लिखकर ही तैयार करें.

परीक्षा देते हुए स्टूडेंट्स
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Published : Feb 22, 2019, 1:22 PM IST

वाराणसी : बच्चों के फाइनल एग्जाम अब ज्यादा दूर नहीं हैं. ऐसे में अच्छे नंबर लाने के लिए वे कई बार हर तरह की कोशिश करते हैं लेकिन फिर भी उन्हें इस बात का पता नहीं होता कि उनके नंबर कहां कट जाते हैं. एक्सपर्ट से बात करने पर पता चला कि कई बार बच्चों को आता तो सब कुछ है पर उनके लिखने के तरीके को एग्जामिनर समझ नहीं पाते. बच्चे इसके लिए बेहतर हैंडराइटिंग का इस्तेमाल करके अच्छे नंबर ला सकते हैं. एग्जाम्स में बेहतर हैंडराइटिंग परीक्षार्थियों को बेहतर स्कोर करने में काफी मदद करती है.

लिखावट का एक परीक्षार्थी के जीवन में क्या महत्व होता है, यह सबसे बेहतर उसे तब पता चलता है, जब वह किसी इम्तिहान में बैठता है. एक्सपर्ट्स की मानें तो हैंडराइटिंग का सीधा असर एग्जामिनर के दिमाग पर होता है. एग्जामिनर अगर अच्छी हैंड राइटिंग देखता है तो अच्छे नंबर मिलने की उम्मीद बढ़ जाती है. अच्छा प्रभाव डालती है और इस बात को समझने में मदद करती है कि सब्जेक्ट कोड ढंग से तैयार किया है और उसे किसी तरह की कंफ्यूजन नहीं है.

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जानिए बच्चे कैसे करें तैयारी

बेहतर हैंडराइटिंग के लिए बच्चों को रोजाना 15 से 20 मिनट हैंडराइटिंग की प्रैक्टिस करनी चाहिए. जहां तक हो सके, अपने सब्जेक्ट को लिखकर ही तैयार करें. इससे लिखावट भी बेहतर होती है और विषय को याद करने में भी कठिनाई नहीं होती.

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अगर रूटीन में रोज परीक्षार्थी एक से डेढ़ पन्ना लिखावट की प्रैक्टिस करता है तो एग्जाम टाइम में उसको किसी भी तरह की मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ता. एग्जाम के समय ल इस चीज का ध्यान रखें कि एक के सवाल को कितना समय देना है? अगर टाइम मैनेजमेंट करके चलेंगे तो हड़बड़ाहट में हैंडराइटिंग पर असर नहीं पड़ेगा.

वाराणसी : बच्चों के फाइनल एग्जाम अब ज्यादा दूर नहीं हैं. ऐसे में अच्छे नंबर लाने के लिए वे कई बार हर तरह की कोशिश करते हैं लेकिन फिर भी उन्हें इस बात का पता नहीं होता कि उनके नंबर कहां कट जाते हैं. एक्सपर्ट से बात करने पर पता चला कि कई बार बच्चों को आता तो सब कुछ है पर उनके लिखने के तरीके को एग्जामिनर समझ नहीं पाते. बच्चे इसके लिए बेहतर हैंडराइटिंग का इस्तेमाल करके अच्छे नंबर ला सकते हैं. एग्जाम्स में बेहतर हैंडराइटिंग परीक्षार्थियों को बेहतर स्कोर करने में काफी मदद करती है.

लिखावट का एक परीक्षार्थी के जीवन में क्या महत्व होता है, यह सबसे बेहतर उसे तब पता चलता है, जब वह किसी इम्तिहान में बैठता है. एक्सपर्ट्स की मानें तो हैंडराइटिंग का सीधा असर एग्जामिनर के दिमाग पर होता है. एग्जामिनर अगर अच्छी हैंड राइटिंग देखता है तो अच्छे नंबर मिलने की उम्मीद बढ़ जाती है. अच्छा प्रभाव डालती है और इस बात को समझने में मदद करती है कि सब्जेक्ट कोड ढंग से तैयार किया है और उसे किसी तरह की कंफ्यूजन नहीं है.

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जानिए बच्चे कैसे करें तैयारी

बेहतर हैंडराइटिंग के लिए बच्चों को रोजाना 15 से 20 मिनट हैंडराइटिंग की प्रैक्टिस करनी चाहिए. जहां तक हो सके, अपने सब्जेक्ट को लिखकर ही तैयार करें. इससे लिखावट भी बेहतर होती है और विषय को याद करने में भी कठिनाई नहीं होती.

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अगर रूटीन में रोज परीक्षार्थी एक से डेढ़ पन्ना लिखावट की प्रैक्टिस करता है तो एग्जाम टाइम में उसको किसी भी तरह की मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ता. एग्जाम के समय ल इस चीज का ध्यान रखें कि एक के सवाल को कितना समय देना है? अगर टाइम मैनेजमेंट करके चलेंगे तो हड़बड़ाहट में हैंडराइटिंग पर असर नहीं पड़ेगा.

Intro:वाराणसी। बच्चों के फाइनल एग्जाम अब ज्यादा दूर नहीं है। ऐसे में अच्छे नंबर लाने के लिए कई बार हर तरह की कोशिश करते हैं लेकिन फिर भी उन्हें इस बात का पता नहीं होता कि उनके नंबर कहां कट जाते हैं। एक्सपर्ट से बात करने पर पता चला कि कई बार बच्चों को आता तो सब कुछ है पर उनके लिखने के तरीके को एग्जामिनर समझ नहीं पाते तो बच्चे इसके लिए बेहतर हैंडराइटिंग का इस्तेमाल करके अच्छे नम्बर ला सकते हैं। एग्जाम्स में बेहतर हैंडराइटिंग परीक्षार्थियों को बेहतर स्कोर करने में काफी मदद करती है।


Body:VO1: लिखावट का एक परीक्षार्थी के जीवन में क्या महत्व होता है यह सबसे बेहतर उसे तब पता चलता है जब वह किसी इम्तिहान में बैठता है एक्सपर्ट्स की माने तो हैंडराइटिंग का सीधा असर एग्जामिनर के दिमाग पर होता है और एग्जामिनर अगर इस प्रेस वीर होकर कॉपियां चेक करेगा तो अच्छे नंबर मिलने की उम्मीद बढ़ जाती है अच्छा प्रभाव डालती है और इस बात को समझने में मदद करती है सब्जेक्ट कोड ढंग से तैयार किया है और उसे किसी तरह की कन्फ्यूजन नहीं है।

बाइट: ममता जैसवाल, स्कूल प्रिंसिपल


Conclusion:VO2: बेहतर हैंडराइटिंग के लिए बच्चों को रोजाना 15 से 20 मिनट हैंडराइटिंग की प्रैक्टिस करनी चाहिए। जहां तक हो सके अपने सब्जेक्ट को लिखकर ही तैयार करें। इससे लिखावट भी बेहतर होती है और विषय को याद करने में भी कठिनाई नहीं होती। अगर रूटीन में रोज परीक्षार्थी एक से डेढ़ पन्ना लिखावट की प्रैक्टिस करता है तो एग्जाम टाइम में उसको किसी भी तरह की मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ता। एग्जाम के समय ल इस चीज का ध्यान रखें की एक के सवाल को कितना समय देना है। अगर टाइम मैनेजमेंट करके चलेंगे तो हड़बड़ाहट में हैंडराइटिंग पर असर नहीं पड़ेगा।

Regards
Arnima Dwivedi
Varanasi
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