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काशी की प्राचीन परंपरा बचाने के लिए धरने पर बैठीं नगरवधुएं, पीएम और सीएम से लगाई गुहार - varanasi hindi news

वाराणसी में महाश्मशान नाथ मंदिर पर होने वाले आयोजन यानी महा श्रृंगार के क्रम में तीन दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतिम दिनों का नृत्य होता है, जो महाश्मशान पर अपने आप में अनूठा और अकेला आयोजन है. लेकिन इस बार आयोजन पर ग्रहण है, क्योंकि जहां आयोजन होता था वहां कॉरिडोर का निर्माण हो चुका है. सोमवार की शाम मणिकर्णिका घाट पर काशी की नगरवधुएं कार्यक्रम स्थल पर अवैध अतिक्रमण के खिलाफ धरने पर बैठ गई.

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Published : Apr 4, 2022, 10:20 PM IST

वाराणसी: बाबा भोलेनाथ की नगरी में 378 सालों से निभाई जा रही परंपरा पर इस बार ग्रहण लग गया है. क्योंकि जहां आयोजन होता था वहां कॉरिडोर का निर्माण हो चुका है. जहां मंच बनाया जाना था, वहां कुछ स्थानीय लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है. जिससे परेशान होकर सोमवार को स्थानीय लोग और नगर वधुओं ने महाश्मशान नाथ मंदिर के बाहर न्याय की गुहार लगाते हुए सीएम और पीएम से इस आयोजन और परंपरा को न टूटने की गुहार लगाई है.

नगरवधुएं धरने पर बैठीं.

दरअसल, चैत्र नवरात्र की सप्तमी के दिन मणिकर्णिका घाट पर बाबा महाश्मशान नाथ के वार्षिक श्रृंगार का आयोजन सैकड़ों वर्षों से किया जाता रहा है. जहां धधकती चिताओं के बीच नगर वधुओं का नृत्य होता है. लेकिन अब बाबा महाश्मशान वार्षिक श्रृंगार कार्यक्रम स्थल पर लकड़ी व्यापारियों ने अवैध रूप से लकड़ी रख कब्जा कर लिया है. जिसके कारण 378 साल से चली आ रही परम्परा पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं.

पढ़ेंः नेपाली प्रधानमंत्री के काशी आगमन पर संत समाज ने जताई खुशी, कही ये बातें...

सोमवार की शाम मणिकर्णिका घाट पर काशी की नगरवधुएं कार्यक्रम स्थल पर अवैध अतिक्रमण के खिलाफ धरने पर बैठ गई. नगरवधुएं हाथों में तख्तियां लिए हुई थीं. जिस पर लिखा था कि 'नगरवधुओं की गुहार, पीएम मोदी जी व सीएम योगी जी बचा लीजिए काशी की प्राचीन परंपरा'. महाश्मशान नाथ सेवा समिति के संरक्षक जंत्रलेश्वर यादव बताते हैं कि राजा मानसिंह द्वारा स्थापित बाबा महाश्मशान नाथ के दरबार में कार्यकम पेश करने के लिए उस समय की जानी-मानी नर्तकियों और कलाकारों को बुलाया गया था. चूंकि मंदिर श्मशानघाट के बीचों बीच था, लिहाजा ख्यातिलब्ध कलाकारों ने इनकार कर दिया. राजा ने कार्यक्रम का ऐलान करवा दिया था. अब समस्या यह थी कि कार्यक्रम कैसे हो? तब नगरवधुओं को आमंत्रित किया गया. नगरवधुओं ने राजा मानसिंह का निमंत्रण स्वीकार किया और तब से यह परंपरा चली आ रही है. यदि इस बार कार्यक्रम स्थल से अवैध कब्जा नहीं हटाया गया, तो सैकड़ों साल से चली आ रही प्राचीन परंपरा इस बार टूट सकती है.

बाबा महाश्मशान नाथ सेवा समिति के अध्यक्ष चैनु प्रसाद गुप्ता ने बताया, बाबा महाश्मशान नाथ का तीन दिवसीय श्रृंगार महोत्सव इस बार 6 अप्रैल से शुरू होगा. पहले दिन बाबा का रुद्राभिषेक पूजन हवन का कार्यक्रम है. दूसरे दिन विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा. 8 अप्रैल प्राचीन परम्परा को निभाते हुए नगरवधुएं बाबा के दरबार मे अपनी हाजिरी लगाएंगी. वहीं, नगरवधुओं का कहना था कि हमारी सदियों पुरानी परंपरा टूटने के कगार पर है. हम बाबा भोलेनाथ से गुहार लगाकर अपने अगले जन्म को सुधारने की मनोकामना करते थे. लेकिन अब कैसे होगी यह सवाल बड़ा है.

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वाराणसी: बाबा भोलेनाथ की नगरी में 378 सालों से निभाई जा रही परंपरा पर इस बार ग्रहण लग गया है. क्योंकि जहां आयोजन होता था वहां कॉरिडोर का निर्माण हो चुका है. जहां मंच बनाया जाना था, वहां कुछ स्थानीय लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है. जिससे परेशान होकर सोमवार को स्थानीय लोग और नगर वधुओं ने महाश्मशान नाथ मंदिर के बाहर न्याय की गुहार लगाते हुए सीएम और पीएम से इस आयोजन और परंपरा को न टूटने की गुहार लगाई है.

नगरवधुएं धरने पर बैठीं.

दरअसल, चैत्र नवरात्र की सप्तमी के दिन मणिकर्णिका घाट पर बाबा महाश्मशान नाथ के वार्षिक श्रृंगार का आयोजन सैकड़ों वर्षों से किया जाता रहा है. जहां धधकती चिताओं के बीच नगर वधुओं का नृत्य होता है. लेकिन अब बाबा महाश्मशान वार्षिक श्रृंगार कार्यक्रम स्थल पर लकड़ी व्यापारियों ने अवैध रूप से लकड़ी रख कब्जा कर लिया है. जिसके कारण 378 साल से चली आ रही परम्परा पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं.

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सोमवार की शाम मणिकर्णिका घाट पर काशी की नगरवधुएं कार्यक्रम स्थल पर अवैध अतिक्रमण के खिलाफ धरने पर बैठ गई. नगरवधुएं हाथों में तख्तियां लिए हुई थीं. जिस पर लिखा था कि 'नगरवधुओं की गुहार, पीएम मोदी जी व सीएम योगी जी बचा लीजिए काशी की प्राचीन परंपरा'. महाश्मशान नाथ सेवा समिति के संरक्षक जंत्रलेश्वर यादव बताते हैं कि राजा मानसिंह द्वारा स्थापित बाबा महाश्मशान नाथ के दरबार में कार्यकम पेश करने के लिए उस समय की जानी-मानी नर्तकियों और कलाकारों को बुलाया गया था. चूंकि मंदिर श्मशानघाट के बीचों बीच था, लिहाजा ख्यातिलब्ध कलाकारों ने इनकार कर दिया. राजा ने कार्यक्रम का ऐलान करवा दिया था. अब समस्या यह थी कि कार्यक्रम कैसे हो? तब नगरवधुओं को आमंत्रित किया गया. नगरवधुओं ने राजा मानसिंह का निमंत्रण स्वीकार किया और तब से यह परंपरा चली आ रही है. यदि इस बार कार्यक्रम स्थल से अवैध कब्जा नहीं हटाया गया, तो सैकड़ों साल से चली आ रही प्राचीन परंपरा इस बार टूट सकती है.

बाबा महाश्मशान नाथ सेवा समिति के अध्यक्ष चैनु प्रसाद गुप्ता ने बताया, बाबा महाश्मशान नाथ का तीन दिवसीय श्रृंगार महोत्सव इस बार 6 अप्रैल से शुरू होगा. पहले दिन बाबा का रुद्राभिषेक पूजन हवन का कार्यक्रम है. दूसरे दिन विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा. 8 अप्रैल प्राचीन परम्परा को निभाते हुए नगरवधुएं बाबा के दरबार मे अपनी हाजिरी लगाएंगी. वहीं, नगरवधुओं का कहना था कि हमारी सदियों पुरानी परंपरा टूटने के कगार पर है. हम बाबा भोलेनाथ से गुहार लगाकर अपने अगले जन्म को सुधारने की मनोकामना करते थे. लेकिन अब कैसे होगी यह सवाल बड़ा है.

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