वाराणसी : उत्तर प्रदेश में मुख्तारनामा यानी पावर ऑफ अटॉर्नी पर लगने वाले स्टांप शुल्क के प्रावधान को लेकर नए नियम और कानून लागू होंगे. इस संदर्भ में शुक्रवार को वाराणसी में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्टाम्प, न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल ने विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि भारतीय स्टांप अधिनियम 1899 अनुसूची 1 ख के अनुच्छेद 48 मुख्तारनामा (पावर ऑफ अटॉर्नी) पर लगने वाले स्टांप शुल्क के प्रावधान में बदलाव यानि मुख्तारनामा की नई व्यवस्था से अब किसानों का शोषण नहीं हो सकेगा. इससे राज्य के राजस्व में बढ़ोतरी भी होगी.
प्रदेश के स्टांप एवं न्यायालय शुल्क राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल ने शुक्रवार को सर्किट हाउस में बताया कि उत्तर प्रदेश के बॉर्डर वाले इलाकों में दूसरे राज्य के लोगों द्वारा यूपी के विभिन्न जिलों में किसी व्यक्ति को अपनी संपत्ति देने पर (पावर ऑफ अटॉर्नी) बिना बैनामा किए उक्त व्यक्ति को सम्पत्ति के स्वामित्व का अधिकार दिया जा रहा था. ऐसे में मुख्तारनामा की स्टांप शुल्क जो की 50 रुपए है, उसकी चोरी की जा रही थी इससे राजस्व की हानि हो रही थी. बिना स्टांप कराए अपनी संपत्ति का अधिकारी गलत तरीके से किसी को बना कर गुमराह किया जा रहा था. इसे लेकर वर्तमान में प्रस्तावित संशोधन राज्य मंत्री परिषद द्वारा अनुमोदित कर दिया गया है. अब किसी ऐसे मुख्तारनामा में जिसमें अचल संपत्ति के अंतरण का अधिकार भी मुख्तार को दिया जा रहा हो, उसमें प्रभारी स्टांप शुल्क, प्रश्न गत संपत्ति के अंतरण पर लगने वाला स्टांप शुल्क के समतुल्य अर्थात बाजार मूल्य (सर्किल रेट) कर दिया गया है.
अब लागू होंगे ये नियम : इस कारण विधिक रूप से निष्पादित बैनामा अभिलेख एवं मुख्तारनामा दोनों का ही प्रभारी स्टांप शुल्क बराबर हो जाता है. इससे भ्रष्टाचार को प्रेरित करने वाला कारक समाप्त हो जाता है. मंत्री रविंद्र जायसवाल ने बताया कि संबंधियों के मध्य मुख्तारनामा निष्पादित किए जाने की दिशा में स्टांप शुल्क व अधिकतम 5000/ रखा गया है एवं कोई पक्षकार किसी भी कारणवश रजिस्ट्री कार्यालय में उपस्थित होने में असमर्थ हो तो इस संशोधन से प्रभावित नहीं होंगे. यदि कोई व्यक्ति उपस्थित हुए और अपनी संपत्ति का विक्रय विलेख निबंधित करवाना चाहता है, तो उसे मात्र निबंध के लिए किसी अन्य व्यक्ति को मुख्तार नियुक्ति करना होगा. जिसका कार्य स्टांप शुल्क मात्र 10/- ही है.
उन्होंने बताया कि संपत्ति बिक्री के लिए परिवार के संबंधियों के बीच मुख्तारनामा की दशा में स्टाम्प शुल्क को अधिकतम 5000 रखा गया है, जबकि किसी बाहरी व्यक्ति को अगर जमीन या मकान बिक्री का अटॉर्नी देते हैं, तब यह स्टांप शुल्क सर्किल रेट के बराबर होगा. देश के पश्चिम जिलों में बिल्डर किसानों से पूर्व निर्धारित शुल्क महज 50 रुपए के स्टांप पर एग्रीमेंट कराकर उनकी जमीन की अटॉर्नी लेकर बेचते थे. किसानों से अटॉर्नी के नाम पर कुछ लाख रूपये में जमीन का सट्टा करा लेते थे. बिल्डर वही जमीन दूसरों को प्लाटिंग करके महंगे दर पर बेच रहे थे. इससे राजस्व की चोरी हो रही थी. अब सर्किल रेट जितना स्टांप शुल्क देकर ही रजिस्ट्री करानी होगी. उन्होंने बताया कि पुरानी व्यवस्था में बिल्डर किसी को प्लाट या मकान बेचते समय रजिस्ट्री किसान के जरिए करते थे, इससे आयकर विभाग के नोटिस बिल्डर को ना जाकर किसानों को जाती थी. इसमें किसान या मकान स्वामी परेशान होते थे. नई व्यवस्था में इस तरह की नोटिस किसानों तक नहीं जाएगी.
बढ़ रही रजिस्ट्री कराने वालों की संख्या : राज्य मंत्री ने बताया कि 6 वर्षों में उत्तर प्रदेश में रजिस्ट्री कराने वालों की संख्या में दोगुना से अधिक की वृद्धि हुई है. जिससे स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश में रहने का माहौल है. रविंद्र जायसवाल ने लखनऊ कोर्ट में हुए हत्याकांड की निंदा करते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं होना निंदनीय है, सरकार ने इस मामले को लेकर जांच कमेटी का गठन कर दिया है. इसके साथ ही इस घटना के बाद 6 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया गया है, जो भी ऐसी घटनाओं के पीछे हैं, सरकार उन पर कड़ी कार्रवाई करेगी.
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