वाराणसीः धर्म, संस्कृति और सभ्यता की नगरी कहे जाने वाले शहर वाराणसी में मंगलवार को देव दीपावली मनाई गई. जहां काशी के सभी घाट रोशनी से जगमग नजर आए, तो इस बार विश्व प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर होने वाली मां गंगा की महाआरती का आयोजन नहीं किया जा सका. देव दीपावली पर हर साल होने वाले इस आयोजन को ना करते हुए इस साल बेहद ही सामान्य तरह से रोजाना की तरह गंगा आरती की गई. गौरतलब है कि पिछले ढाई दशकों से हर साल देव दीपावली पर मां गंगा की आरती को महाआरती के रूप में किया जाता था. इसमें श्रद्धालुओं की भीड़ से पूरा घाट सराबोर होता था. इस साल भी वही भीड़ देखने को मिली पर श्रद्धालुओं को महाआरती न देखने पर निराशा भी हुई. इसके साथ ही प्रशासन के साथ हुई अनबन को लेकर ब्राह्मण नाखुश दिखाई दिए और एक प्रतीकात्मक विरोध घाट पर किया.
ब्राह्मणों ने किया प्रतीकात्मक विरोध
बनारस त्यौहारों का शहर है और यहां हर त्यौहार को काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है. जब बात देव दीपावली की हो तो महादेव की इस नगरी में भक्तों का जनसैलाब उमड़ आता है. देव दीपावली की महाआरती देखने के लिए विश्व प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट की आरती भक्तों को न सिर्फ अचंभित करती है, बल्कि एक अलग ही उत्साह देती है, लेकिन इस साल प्रशासन के साथ रही अनबन के कारण दशाश्वमेध घाट पर होने वाली देव दीपावली की महाआरती को सामान्य दैनिक आरती में ही परिवर्तित रहने दिया गया. ऐसे में ब्राह्मणों के चेहरे पर निराशा झलक रही थी.
42 कन्याओं की अनुपस्थिति में नहीं दिखी रिद्धि सिद्धि
जहां हर देव दीपावली पर 21 ब्राह्मणों द्वारा गंगा आरती संपन्न की जाती थी, वहीं केवल 7 ब्राह्मणों ने रोज की तरह मां गंगा की आरती की. बाकी सभी ब्राह्मण प्रशासन के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध जताते नजर आए. हर साल मां गंगा की आरती करने वाले यह ब्राम्हण आरती की वेशभूषा में घाट पर बैठे हुए दिखाई दिए, लेकिन आरती नहीं किए. जो आरती 21 ब्राह्मणों द्वारा हर देव दीपावली पर पिछले ढाई दशकों से संपन्न कराई जा रही थी, वह आज केवल 7 ब्राह्मणों द्वारा की गई. यहां तक कि हर साल देव दीपावली पर 42 कन्याओं की उपस्थिति रिद्धि सिद्धि के रूप में मौजूद होती थी, जो इस साल दशाश्वमेध घाट पर नहीं देखने को मिली. इस आयोजन में आए भक्तों को मायूस होकर लौटना पड़ा.