ETV Bharat / state

वाराणसीः देव दीपावली पर नाराज नजर आये ब्राह्मण, नहीं दिखीं रिद्धि सिद्धि

इस बार विश्व प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर होने वाली मां गंगा की महाआरती का आयोजन नहीं किया जा सका. हर साल देव दीपावली पर 42 कन्याओं की उपस्थिति रिद्धि सिद्धि के रूप में होती थी, लेकिन प्रशासन के साथ हुई अनबन को लेकर इस साल महाआरती देखने को नहीं मिली.

author img

By

Published : Nov 13, 2019, 8:32 AM IST

Updated : Nov 13, 2019, 9:38 AM IST

राम कृष्ण द्विवेदी, पुजारी

वाराणसीः धर्म, संस्कृति और सभ्यता की नगरी कहे जाने वाले शहर वाराणसी में मंगलवार को देव दीपावली मनाई गई. जहां काशी के सभी घाट रोशनी से जगमग नजर आए, तो इस बार विश्व प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर होने वाली मां गंगा की महाआरती का आयोजन नहीं किया जा सका. देव दीपावली पर हर साल होने वाले इस आयोजन को ना करते हुए इस साल बेहद ही सामान्य तरह से रोजाना की तरह गंगा आरती की गई. गौरतलब है कि पिछले ढाई दशकों से हर साल देव दीपावली पर मां गंगा की आरती को महाआरती के रूप में किया जाता था. इसमें श्रद्धालुओं की भीड़ से पूरा घाट सराबोर होता था. इस साल भी वही भीड़ देखने को मिली पर श्रद्धालुओं को महाआरती न देखने पर निराशा भी हुई. इसके साथ ही प्रशासन के साथ हुई अनबन को लेकर ब्राह्मण नाखुश दिखाई दिए और एक प्रतीकात्मक विरोध घाट पर किया.

देखें रिपोर्ट.

ब्राह्मणों ने किया प्रतीकात्मक विरोध
बनारस त्यौहारों का शहर है और यहां हर त्यौहार को काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है. जब बात देव दीपावली की हो तो महादेव की इस नगरी में भक्तों का जनसैलाब उमड़ आता है. देव दीपावली की महाआरती देखने के लिए विश्व प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट की आरती भक्तों को न सिर्फ अचंभित करती है, बल्कि एक अलग ही उत्साह देती है, लेकिन इस साल प्रशासन के साथ रही अनबन के कारण दशाश्वमेध घाट पर होने वाली देव दीपावली की महाआरती को सामान्य दैनिक आरती में ही परिवर्तित रहने दिया गया. ऐसे में ब्राह्मणों के चेहरे पर निराशा झलक रही थी.

42 कन्याओं की अनुपस्थिति में नहीं दिखी रिद्धि सिद्धि

जहां हर देव दीपावली पर 21 ब्राह्मणों द्वारा गंगा आरती संपन्न की जाती थी, वहीं केवल 7 ब्राह्मणों ने रोज की तरह मां गंगा की आरती की. बाकी सभी ब्राह्मण प्रशासन के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध जताते नजर आए. हर साल मां गंगा की आरती करने वाले यह ब्राम्हण आरती की वेशभूषा में घाट पर बैठे हुए दिखाई दिए, लेकिन आरती नहीं किए. जो आरती 21 ब्राह्मणों द्वारा हर देव दीपावली पर पिछले ढाई दशकों से संपन्न कराई जा रही थी, वह आज केवल 7 ब्राह्मणों द्वारा की गई. यहां तक कि हर साल देव दीपावली पर 42 कन्याओं की उपस्थिति रिद्धि सिद्धि के रूप में मौजूद होती थी, जो इस साल दशाश्वमेध घाट पर नहीं देखने को मिली. इस आयोजन में आए भक्तों को मायूस होकर लौटना पड़ा.

वाराणसीः धर्म, संस्कृति और सभ्यता की नगरी कहे जाने वाले शहर वाराणसी में मंगलवार को देव दीपावली मनाई गई. जहां काशी के सभी घाट रोशनी से जगमग नजर आए, तो इस बार विश्व प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर होने वाली मां गंगा की महाआरती का आयोजन नहीं किया जा सका. देव दीपावली पर हर साल होने वाले इस आयोजन को ना करते हुए इस साल बेहद ही सामान्य तरह से रोजाना की तरह गंगा आरती की गई. गौरतलब है कि पिछले ढाई दशकों से हर साल देव दीपावली पर मां गंगा की आरती को महाआरती के रूप में किया जाता था. इसमें श्रद्धालुओं की भीड़ से पूरा घाट सराबोर होता था. इस साल भी वही भीड़ देखने को मिली पर श्रद्धालुओं को महाआरती न देखने पर निराशा भी हुई. इसके साथ ही प्रशासन के साथ हुई अनबन को लेकर ब्राह्मण नाखुश दिखाई दिए और एक प्रतीकात्मक विरोध घाट पर किया.

देखें रिपोर्ट.

ब्राह्मणों ने किया प्रतीकात्मक विरोध
बनारस त्यौहारों का शहर है और यहां हर त्यौहार को काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है. जब बात देव दीपावली की हो तो महादेव की इस नगरी में भक्तों का जनसैलाब उमड़ आता है. देव दीपावली की महाआरती देखने के लिए विश्व प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट की आरती भक्तों को न सिर्फ अचंभित करती है, बल्कि एक अलग ही उत्साह देती है, लेकिन इस साल प्रशासन के साथ रही अनबन के कारण दशाश्वमेध घाट पर होने वाली देव दीपावली की महाआरती को सामान्य दैनिक आरती में ही परिवर्तित रहने दिया गया. ऐसे में ब्राह्मणों के चेहरे पर निराशा झलक रही थी.

42 कन्याओं की अनुपस्थिति में नहीं दिखी रिद्धि सिद्धि

जहां हर देव दीपावली पर 21 ब्राह्मणों द्वारा गंगा आरती संपन्न की जाती थी, वहीं केवल 7 ब्राह्मणों ने रोज की तरह मां गंगा की आरती की. बाकी सभी ब्राह्मण प्रशासन के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध जताते नजर आए. हर साल मां गंगा की आरती करने वाले यह ब्राम्हण आरती की वेशभूषा में घाट पर बैठे हुए दिखाई दिए, लेकिन आरती नहीं किए. जो आरती 21 ब्राह्मणों द्वारा हर देव दीपावली पर पिछले ढाई दशकों से संपन्न कराई जा रही थी, वह आज केवल 7 ब्राह्मणों द्वारा की गई. यहां तक कि हर साल देव दीपावली पर 42 कन्याओं की उपस्थिति रिद्धि सिद्धि के रूप में मौजूद होती थी, जो इस साल दशाश्वमेध घाट पर नहीं देखने को मिली. इस आयोजन में आए भक्तों को मायूस होकर लौटना पड़ा.

Intro:वाराणसी। धर्म संस्कृति और सभ्यता की नगरी कहे जाने वाले शहर वाराणसी में आज देव दीपावली मनाई जा रही है। जहां काशी के सभी घाटों की रोशनी से जगमग होते नजर आए तो इस बार विश्व प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर होने वाली मां गंगा की महाआरती का आयोजन नहीं किया जा सका। देव दीपावली पर हर साल होने वाले इस आयोजन को ना करते हुए इस साल बेहद ही सामान्य रोजाना की तरह गंगा नदी की आरती की गई। गौरतलब है कि पिछले ढाई दशकों से हर साल देव दीपावली पर मां गंगा की आरती को महाआरती के रूप में किया जाता था जिसमें श्रद्धालुओं की भीड़ से पूरा घाट सराबोर होता था। इस साल भी वही भीड़ देखने को मिली पर श्रद्धालुओं को महाआरती ना देखने पर निराशा भी हुई। इसके साथ ही प्रशासन के साथ हुई अनबन को लेकर ब्राह्मण खाना खुश दिखाई दिए और एक प्रतीकात्मक विरोध घाट पर किया गया।


Body:VO1: बनारस त्योहारों का शहर है और यहां हर त्यौहार को काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है। जब बात देव दीपावली की हो तो महादेव की इस नगरी में भक्तों का जनसैलाब उमड़ आता है। देव दीपावली की महाआरती देखने के लिए विश्व प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट की आरती भक्तों को न सिर्फ अचंभित करती है बल्कि एक अलग ही उत्साह देती है। लेकिन इस साल प्रशासन के साथ रही अनबन के कारण दशाश्वमेध घाट पर होने वाली देव दीपावली की महाआरती को सामान्य दैनिक आरती में ही परिवर्तित रहने दिया गया, जिस कारण ब्राह्मणों की चेहरे पर खासी निराशा दिखी। जहां हर देव दीपावली पर 21 ब्राह्मणों द्वारा गंगा आरती संपन्न की जाती थी वहीं केवल 7 ब्राह्मणों ने रोज़ की तरह मां गंगा की आरती की। बाकी सभी ब्राह्मण प्रशासन के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध जताते नजर आए। हर साल मां गंगा की आरती करने वाले यह ब्राम्हण आरती की वेशभूषा में घाट पर बैठे हुए दिखाई दिए, लेकिन आरती नहीं की। जो आरती 21 ब्राह्मणों द्वारा हर देव दीपावली पर पिछले ढाई दशकों से संपन्न कराई जा रही है वह आज केवल 7 ब्राह्मणों द्वारा की गई। यहां तक कि हर साल देव दीपावली पर 42 कन्याओं की उपस्थिति रिद्धि सिद्धि के रूप में मौजूद होती थी जो इस साल दशाश्वमेध घाट पर नहीं देखने को मिली। इस आयोजन में आए भक्तों को भी मार देना देखने पर देख पाने पर मायूस होकर लौटना पड़ा।

बाइट: राम कृष्ण द्विवेदी, पुजारी

नोट: इस खबर की फीड LiveU से भेजी गई है (स्लग:- ganga aarti boycott)

Regards
Arnima Dwivedi
Varanasi
7523863236


Conclusion:
Last Updated : Nov 13, 2019, 9:38 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.