वाराणसी : बीएचयू के आयुर्वेद संकाय के छात्रों ने एनसीआईएसएम बिल में क्लीनिक प्रैक्टिस योग एवं नेचुरोपैथी को शामिल करने के संबंध में पीएम मोदी को पत्र लिखा. छात्रों का कहना है कि अगर यह बिल अगर शामिल नहीं हुआ तो मान्यता एवं रेगुलेशन में समस्या आ जाएगी. साथ ही आरोप लगाते हुए कहा कि इस समय देश में लगभग 42 नेचुरोपैथी कॉलेज है, जिनमें पढ़ रहे छात्रों का भविष्य अंधकार में है.
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस विगत 5 वर्षों से पूरी दुनिया में लोकप्रिय हुआ है. इसी वजह से ही योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा का पूरे विश्व में प्रसार भी हुआ है. साल 1994 में देश के लगभग 9 राज्य योग एवं प्रकृति चिकित्सा के कोर्स को अपने राज्य से संबंधित बोर्ड से मान्यता दिए हुए हैं. जिसमें 42 में से 5 कॉलेज एमडी की डिग्री का कोर्स चला रहे हैं. वहीं नीति आयोग ने योग एवं नेचुरोपैथी को एनसीआईएसएम बिल में जोड़ने का सुझाव रखा था. साल 2014 में और 2016 में भी सी.सी.आई. एम. ने इसे स्वीकार भी किया था.
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डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि 2017 में नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम मेडिसिन बिल में नीति आयोग ने योग एवं नेचुरोपैथी को शामिल किया था, लेकिन 2019 में एनसीआईएसएम बिल आया है. जिसमें योग एवं नेचुरोपैथी को हटा दिया गया है, जो कि हमारे प्राचीन भारतीय संस्कृति का एक चिकित्सा पद्धति है. वहीं पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी के पास इस पर पूरी मीटिंग हुई और कमेटी ने योग एवं नेचुरोपैथी को शामिल करने के लिए रिपोर्ट लगाई थी. वहीं उसके बाद भी 2019 का सेशन खत्म हो गया और हमारा बिल अभी तक योग नेचुरोपैथी लंबित है. वहीं यह बिल अगर शामिल नहीं हुआ, तो मान्यता एवं रेगुलेशन में समस्या आ जाएगी, जिसको लेकर हम लोगों ने पीएम मोदी को पत्र लिखा है.