वाराणसी : सर्वविद्या की राजधानी काशी हिंदू विश्वविद्यालय का देश के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर संविधान निर्माण तक विशेष योगदान रहा. स्वतंत्रता आंदोलन के समय तमाम महान क्रांतिकारी काशी हिंदू विश्वविद्यालय से जुड़े थे. बीएचयू क्रांतिकारियों का गढ़ हुआ करता था. साथ ही जब संविधान निर्माण किया जाने लगा तब 389 व्यक्तियों में 89 व्यक्ति किसी न किसी रूप में काशी हिंदू विश्वविद्यालय से जुड़े थे इन्होंने संविधान निर्माण में भी अहम योगदान दिया.
महामना का उद्देश्य
देश भुखमरी और गुलामी की जंजीरों से जकड़ा था. तब भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय ने भिक्षा मांगकर 1916 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना किया. उनका कहना था कि जब देश आजाद हो जाएगा, तो देश का नेतृत्व कौन करेगा. देश में शिक्षा टेक्नोलॉजी पर कार्य कौन करेगा. ऐसे में जहां एक तरफ देश आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, उस वक्त महामना ऐसे पौधों को सींच रहे थे जो आगे चलकर विशाल वृक्ष बने.
देश की महान विभूतियां बीएचयू से संबंधित
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉक्टर एनी बेसेंट, राजेंद्र नाथ लाहिड़ी, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, जयप्रकाश नारायण, कमलापति त्रिपाठी, गोविंद मालवीय, आचार्य नरेंद्र देव, भगवान दास, जगजीवन राम, सर सुंदर दास, ऐसे अनेक नाम हैं.
मालवीय जी ने दिया था सत्यमेव जयते का सुझाव
डॉ बाला लखेंद्र ने बताया कि 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ. यहां के विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए गर्व की बात है कि वो काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हैं. हमारे संविधान का प्रतीक चिन्ह अशोक स्तंभ है, जिसके नीचे लिखा हुआ है सत्यमेव जयते. यह शब्द मुण्डकोपनिषद से लिया गया है. इसका सुझाव भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय ने दिया था. हमारे लिए गर्व का विषय है कि हम महान शिक्षाविद द्वारा स्थापित संस्था में कार्यरत हैं.
बीएचयू के 89 व्यक्तियों का योगदान
डॉक्टर बाला लखेंद्र ने बताया आजादी के संघर्ष से लेकर संविधान के निर्माण तक बीएचयू के छात्रों, अध्यापकों की बड़ी यादगार भूमिका रही. यहां के विद्वान और शिक्षकों का बहुत बड़ा योगदान रहा है. निर्मात्री संविधान सभा में 89 जो व्यक्ति थे, किसी न किसी रूप से काशी हिंदू विश्वविद्यालय से जुड़े रहे हैं. मालवीय जी के बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति बने एवं देश के प्रथम उपराष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन, इसके साथ ही मालवीय जी के पुत्र गोविंद मालवीय, पंडित कमलापति त्रिपाठी, बाबू जगजीवन राम, महान हस्तियों ने मिलकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व किया. संविधान सभा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. संविधान के 72 वर्ष पूरे हो गए हैं हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.