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बीएचयू के वैज्ञानिकों ने किसानों को बताया गेहूं की बुवाई का नया तरीका - कृषि विज्ञान संस्थान

बीएचयू के कृषि वैज्ञानिकों ने विकसित देशों की तर्ज पर ड्रोन की सहायता से गेहूं की बुवाई की. इस दौरान प्रो. रमेशचंद ने बताया कि विकसित देशों की तर्ज की पहल पर देश में अपने ढंग का यह पहला उदाहरण है.

गेहूं की बुवाई का नया तरीका
गेहूं की बुवाई का नया तरीका
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Published : Dec 26, 2020, 1:54 PM IST

वाराणसी: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय कृषि विज्ञान संस्थान, वाराणसी के निदेशक प्रोफेसर रमेश चंद के नेतृत्व में मिर्जापुर की तर्ज पर खुटहां गांव में ड्रोन की सहायता से उतेरा विधि से गेहूं की बोवाई की. उतेरा विधि से की गई यह बोवाई किसानों में कौतूहल का विषय बन गई. बीएचयू स्थित कृषि विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रोफेसर रमेश चंद के नेतृत्व में कृषि अभियंत्रिकी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एके नेमा और प्रोफेसर वीके मिश्रा और अपने ड्रोन के स्पेशलिस्ट अभिनव कुमार सिंह ठाकुर ने इस कार्य को बखूबी अंजाम दिया.

जानकारी देते प्रो. रमेशचंद.

प्रो. रमेशचंद ने बताया कि विकसित देशों की तर्ज की पहल पर देश में अपने ढंग का यह पहला उदाहरण है. इसके लिए उतेरा विधि को अपनाया गया है. जिसमें बिना जोताई के ही बोवाई की जाती है. इसमें ड्रोन के माध्यम से खेत में गेहूं की बोवाई की जाती है. ड्रोन विधि अगर सफल रही तो यह आगे खरीफ के सीजन में दवाओं और उर्वरक के छिड़काव के लिए भी उपयोगी होगी. उन्होंने कहा कि कृषि तकनीक को अब अलग तरह से लागू करने की जरूरत है. ड्रोन से खेती करके समय और श्रम दोनों चीजों की बचत होगी और तमाम उन समस्याओं से भी बचा जा सकेगा जिनमें किसान परेशान रहते हैं.

वाराणसी: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय कृषि विज्ञान संस्थान, वाराणसी के निदेशक प्रोफेसर रमेश चंद के नेतृत्व में मिर्जापुर की तर्ज पर खुटहां गांव में ड्रोन की सहायता से उतेरा विधि से गेहूं की बोवाई की. उतेरा विधि से की गई यह बोवाई किसानों में कौतूहल का विषय बन गई. बीएचयू स्थित कृषि विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रोफेसर रमेश चंद के नेतृत्व में कृषि अभियंत्रिकी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एके नेमा और प्रोफेसर वीके मिश्रा और अपने ड्रोन के स्पेशलिस्ट अभिनव कुमार सिंह ठाकुर ने इस कार्य को बखूबी अंजाम दिया.

जानकारी देते प्रो. रमेशचंद.

प्रो. रमेशचंद ने बताया कि विकसित देशों की तर्ज की पहल पर देश में अपने ढंग का यह पहला उदाहरण है. इसके लिए उतेरा विधि को अपनाया गया है. जिसमें बिना जोताई के ही बोवाई की जाती है. इसमें ड्रोन के माध्यम से खेत में गेहूं की बोवाई की जाती है. ड्रोन विधि अगर सफल रही तो यह आगे खरीफ के सीजन में दवाओं और उर्वरक के छिड़काव के लिए भी उपयोगी होगी. उन्होंने कहा कि कृषि तकनीक को अब अलग तरह से लागू करने की जरूरत है. ड्रोन से खेती करके समय और श्रम दोनों चीजों की बचत होगी और तमाम उन समस्याओं से भी बचा जा सकेगा जिनमें किसान परेशान रहते हैं.

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