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BHU वैज्ञानिकों की खोज को मिला अंतरराष्ट्रीय पेटेंट, सार्स सीओवी-2 वायरस के खिलाफ मिली बड़ी जीत

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने सार्स सीओवी-2 वायरस के शोध में उत्कृष्टता का परिचय दिया है. इस टीम के 6 वैज्ञानिकों को जर्मन पेटेंट प्रदान किया गया है.

Varanas
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Published : Jun 20, 2023, 10:52 PM IST

Updated : Jun 21, 2023, 6:13 AM IST


वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने सार्स सीओवी-2 वायरस के खिलाफ जंग में एक और मुकाम हासिल किया है. विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को इस कार्य के लिए अंतरराष्ट्रीय पेटेंट हासिल हुआ है. सेंटर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर्स तथा प्राणि विज्ञान विभाग के शोधकर्ताओं ने एक महत्वपूर्ण खोज की है. इसके तहत सार्स सीओवी-2 वायरस के विरुद्ध सोमिनोन फाइटोमोलेक्यूल की त्रि-लक्ष्य एंटीवायरल गतिविधि की पहचान की गई है. जिसके लिए बीएचयू को जर्मन पेटेंट प्रदान किया गया है.


विश्वविद्यालय में अत्याधुनिक शोधः काशी हिंदू विश्वविद्यालय का सेन्टर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर्स तथा प्राणि विज्ञान विभाग आणविक जीव विज्ञान और आनुवंशिकी के क्षेत्र में अपने अत्याधुनिक शोध के लिए प्रसिद्ध है. विभाग के वैज्ञानिकों ने इस खोज के साथ अपनी उत्कृष्टता का परिचय दिया है. इसके साथ ही यह खोज वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए अभिनव समाधानों की उनकी अथक खोज की एक पहल है. विश्वविद्यालय का विज्ञान विभाग लगातार ऐसे तमाम प्रयास करता रहता है. जिससे मानव जीवन को सहज बनाया जा सके. ऐसे में यह प्रयोग बड़ा कीर्तिमान हासिल हुआ है.

पिछले तीन वर्षों से कर रहे थे प्रयासः प्रो. परिमल दास के नेतृत्व वाली टीम ने अश्वगंधा से प्राप्त एक नए एंटीवायरल अणु सोमिनोन ने सार्स सीओवी-2 वायरस के संबंध में उल्लेखनीय रूप से 96 प्रतिशत निषेध का प्रदर्शन किया है. सोमिनोन के अद्वितीय गुणों की पहचान करने और उनका दोहन करने के लिए यह अनुसंधान दल पिछले 3 वर्षों से अथक प्रयास कर रहा है. इस महत्वपूर्ण सफलता ने एक ऐसी प्रणाली के विकास को प्रेरित किया है जो सार्स सीओवी-2 वायरस के अस्तित्व के लिए आवश्यक 3 महत्वपूर्ण प्रोटीन Mpro, ORF8, और RdRp को निशाना बनाती है.

एंटीवायरल अनुसंधान के क्षेत्र प्रतिबद्धता का प्रमाण: प्रो. परिमल ने कहा कि इस शोध को अंतरराष्ट्रीय पेटेंट मिलना एंटीवायरल अनुसंधान के क्षेत्र को आगे बढ़ाने की टीम की प्रतिबद्धता का प्रमाण है. यह सार्स सीओवी-2 वायरस के खिलाफ लड़ाई में बड़ा कदम है. यह पेटेंट COVID-19 के लिए प्रभावी उपचार विकसित करने में नई व बेहतरीन दृष्टिकोण और शोध के संभावित प्रभाव को दर्शाता है. प्रो. ने कहा हम सोमिनोन पर अपने शोध के लिए दूसरा अंतरराष्ट्रीय पेटेंट प्राप्त करने पर रोमांचित महसूस कर रहे हैं.


सार्स CoV2 वायरस का मुकाबलाः प्रो. परिमल ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनके निष्कर्ष एंटीवायरल थेरेपी के विकास में योगदान देंगे. साथ ही COVID-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में मदद करेंगे. यह सार्स सीओवी-2 वायरस का मुकाबला करने के प्रयासों में एक मील का पत्थर है. शोधकर्ताओं की टीम में प्रशांत रंजन (पीएचडी स्कॉलर), नेहा (पीएचडी स्कॉलर), चंद्रा देवी (पीएचडी स्कॉलर), डॉ. गरिमा जैन (मालवीय पोस्ट डॉक्टोरल फेलो), और डॉ. भाग्यलक्ष्मी महापात्र (एसोसिएट प्रोफेसर, प्राणि विज्ञान विभाग) शामिल हैं.

यह भी पढ़ें- International Yoga Day : योगासन से आसान कर रहे अपनी और दूसरों की जिंदगी


वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने सार्स सीओवी-2 वायरस के खिलाफ जंग में एक और मुकाम हासिल किया है. विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को इस कार्य के लिए अंतरराष्ट्रीय पेटेंट हासिल हुआ है. सेंटर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर्स तथा प्राणि विज्ञान विभाग के शोधकर्ताओं ने एक महत्वपूर्ण खोज की है. इसके तहत सार्स सीओवी-2 वायरस के विरुद्ध सोमिनोन फाइटोमोलेक्यूल की त्रि-लक्ष्य एंटीवायरल गतिविधि की पहचान की गई है. जिसके लिए बीएचयू को जर्मन पेटेंट प्रदान किया गया है.


विश्वविद्यालय में अत्याधुनिक शोधः काशी हिंदू विश्वविद्यालय का सेन्टर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर्स तथा प्राणि विज्ञान विभाग आणविक जीव विज्ञान और आनुवंशिकी के क्षेत्र में अपने अत्याधुनिक शोध के लिए प्रसिद्ध है. विभाग के वैज्ञानिकों ने इस खोज के साथ अपनी उत्कृष्टता का परिचय दिया है. इसके साथ ही यह खोज वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए अभिनव समाधानों की उनकी अथक खोज की एक पहल है. विश्वविद्यालय का विज्ञान विभाग लगातार ऐसे तमाम प्रयास करता रहता है. जिससे मानव जीवन को सहज बनाया जा सके. ऐसे में यह प्रयोग बड़ा कीर्तिमान हासिल हुआ है.

पिछले तीन वर्षों से कर रहे थे प्रयासः प्रो. परिमल दास के नेतृत्व वाली टीम ने अश्वगंधा से प्राप्त एक नए एंटीवायरल अणु सोमिनोन ने सार्स सीओवी-2 वायरस के संबंध में उल्लेखनीय रूप से 96 प्रतिशत निषेध का प्रदर्शन किया है. सोमिनोन के अद्वितीय गुणों की पहचान करने और उनका दोहन करने के लिए यह अनुसंधान दल पिछले 3 वर्षों से अथक प्रयास कर रहा है. इस महत्वपूर्ण सफलता ने एक ऐसी प्रणाली के विकास को प्रेरित किया है जो सार्स सीओवी-2 वायरस के अस्तित्व के लिए आवश्यक 3 महत्वपूर्ण प्रोटीन Mpro, ORF8, और RdRp को निशाना बनाती है.

एंटीवायरल अनुसंधान के क्षेत्र प्रतिबद्धता का प्रमाण: प्रो. परिमल ने कहा कि इस शोध को अंतरराष्ट्रीय पेटेंट मिलना एंटीवायरल अनुसंधान के क्षेत्र को आगे बढ़ाने की टीम की प्रतिबद्धता का प्रमाण है. यह सार्स सीओवी-2 वायरस के खिलाफ लड़ाई में बड़ा कदम है. यह पेटेंट COVID-19 के लिए प्रभावी उपचार विकसित करने में नई व बेहतरीन दृष्टिकोण और शोध के संभावित प्रभाव को दर्शाता है. प्रो. ने कहा हम सोमिनोन पर अपने शोध के लिए दूसरा अंतरराष्ट्रीय पेटेंट प्राप्त करने पर रोमांचित महसूस कर रहे हैं.


सार्स CoV2 वायरस का मुकाबलाः प्रो. परिमल ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनके निष्कर्ष एंटीवायरल थेरेपी के विकास में योगदान देंगे. साथ ही COVID-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में मदद करेंगे. यह सार्स सीओवी-2 वायरस का मुकाबला करने के प्रयासों में एक मील का पत्थर है. शोधकर्ताओं की टीम में प्रशांत रंजन (पीएचडी स्कॉलर), नेहा (पीएचडी स्कॉलर), चंद्रा देवी (पीएचडी स्कॉलर), डॉ. गरिमा जैन (मालवीय पोस्ट डॉक्टोरल फेलो), और डॉ. भाग्यलक्ष्मी महापात्र (एसोसिएट प्रोफेसर, प्राणि विज्ञान विभाग) शामिल हैं.

यह भी पढ़ें- International Yoga Day : योगासन से आसान कर रहे अपनी और दूसरों की जिंदगी

Last Updated : Jun 21, 2023, 6:13 AM IST
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