वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित मनोविज्ञान विभाग, सामाजिक विज्ञान संकाय के शोधकर्ताओं के दल ने सकारात्मक मनोविज्ञान के प्रभाव पर अपना शोध कार्य हाल ही में ब्रसेल्स, बेल्जियम में आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रस्तुत किया. इस दल को इंटरनेशनल कन्वेंशन ऑफ साइकोलॉजिकल साइंस (आईसीपीएस) में जनमानस के हित के मामलों पर अपना शोध प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया गया था. सम्मेलन में दुनिया भर के 75 देशों से चिकित्सा, आनुवंशिकी, जीव विज्ञान, भाषाविज्ञान, अर्थशास्त्र, आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों से संबद्ध प्रसिद्ध विद्वानों, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने प्रतिभागिता किया.
सम्मेलन में प्रस्तुत शोध कार्यस्थल पर सकारात्मक मनोविज्ञान के प्रभाव, कार्यस्थल के संदर्भ में सचेतन और आध्यात्मिकता, आदिवासी बच्चों की शिक्षा में चुनौतियां, एसिड अटैक पीड़ितों का मनोविज्ञान भारत में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों का संघर्ष और सांस्कृतिक बुद्धि और कल्याण आदि विषयों पर आधारित है. दो वर्ष में एक बार आयोजित होने वाला यह सम्मलेन, वैश्विक अंतर्विषयक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए वैज्ञानिकों और संगठनों के एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को जोड़ता है. यह एसोसिएशन ऑफ साइकोलॉजिकल साइंस द्वारा आयोजित किया जाता है, जो दुनिया के सबसे बड़े और अत्यधिक प्रतिष्ठित मनोवैज्ञानिक संघों में से एक है.
सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाला बीएचयू एकमात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय था. बीएचयू के दल में प्रोफेसर योगेश कुमार आर्य, प्रोफेसर संदीप कुमार, सहायक प्रोफेसर डॉ तुषार सिंह, सीनियर रिसर्च फेलो सुश्री ऐश्वर्या जायसवाल, जूनियर रिसर्च फेलो शुभम पाण्डेय सौम्या चंद्रा और आकांक्षा श्रीवास्तव शामिल थे. सम्मलेन में अपना शोध प्रस्तुत करने हेतु, इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, द्वारा यात्रा अनुदान के स्वरुप में आंशिक आर्थिक सहायता भी प्रदान की गई थी.
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