वाराणसी: अयोध्या बाबरी विध्वंस मामले में 28 साल बाद बुधवार को फैसला आया, जिसमें सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया गया. सीबीआई ने जो आरोप दाखिल किए थे, उसे अदालत ने खारिज कर दिया. अदालत ने 2,300 पन्नों के आदेश में कहा कि फोटो के आधार पर किसी को आरोपी नहीं बनाया जा सकता.
बाबरी विध्वंस के समय देश के कोने-कोने से कारसेवक अयोध्या पहुंचे थे. ऐसे में धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी के लोग भी अयोध्या पहुंचे थे. वहीं अब सीबीआई की विशेष अदालत का फैसला आने के बाद सभी ने स्वागत किया है. बाबरी विध्वंस के समय वहां पर मौजूद लोगों ने उस समय की बात को याद किया और बताया कि किस तरह राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े लोगों में उत्साह था, जिसमें यह एक त्वरित घटना हुई.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा ने बताया कि वह खुद बाबरी विध्वंस के स्वयं वहां पर मौजूद थे. उन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन में हिस्सा लिया था. वह इस पूरी घटना के गवाह हैं. प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा ने बताया कि यह सारे नेता जिनको आरोपी बताया जा रहा था चाहे वह कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी, लालकृष्ण आडवाणी और उमा भारती हों यह सभी नेता तो भाषण कर रहे थे. उस समय लाखों की संख्या में वहां मौजूद आम जनता थी.
प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा ने बताया कि यह आम जनता का गुस्सा था और आम जनता के गुस्से ने बाबरी को विध्वंस किया. उन्होंने कहा कि सीबीआई की विशेष कोर्ट ने बहुत महत्वपूर्ण फैसला दिया है. अब देश की जनता को यह पता चल गया है कि जो आरोपी बनाए गए थे वह लोग बेगुनाह हैं. यह त्वरित घटना थी. घटना के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है.